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Class 12 Political Science 1st Book Chapter 01 Notes (शीतयुद्ध का दौर) in Hindi | Education Flare

Class 12 Political Science 1st Book Chapter 01 Notes (शीतयुद्ध का दौर) in Hindi | Education Flare. शीतयुद्ध :- शीतयुद्ध से अभिप्राय उस तनावपूर्ण राजनी

"Class 12 Political Science 1st Book Chapter 01 Notes"

"Class 12 Political Science 1st Book Chapter 01 Notes"

"शीतयुद्ध का दौर "

द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) :-  मित्र राष्ट्र  →  धुरी राष्ट्र

  •   मित्र राष्ट्र

  1. अमेरिका (USA)
  2. फ्रांस
  3. ब्रिटेन (UK)
  4. सोवियत संघ (USSR)

  •   धुरी राष्ट्र

  1. जापान
  2. जर्मनी
  3. इटली 
नोट :- द्वितीय विश्वयुद्ध 1939-1945 तक मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र के बीच हुआ था जिसमें से मित्र राष्ट्र की जीत हुई थी।

शीतयुद्ध :- शीतयुद्ध से अभिप्राय उस तनावपूर्ण राजनीतिक स्थिति से हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सन् 1945-90 तक संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच जारी रहा|

 तीसरी दुनिया :-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के समूह को तीसरी दुनिया कहां जाता हैं। जैसे एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका के देश।

क्यूबा मिसाइल संकट :- (Most important)
  1. क्यूबा को सोवियत संघ द्वारा कुटनायिक व वित्तीय सहायता  प्राप्त होना।
  2. क्यूबा को रूस के सैनिक अड्डे के रूप में बदलना।
  3. अमेरिका का सोवियत संघ के नजदीकी निशाने की सीमा में आना।
  4. अमेरिका का असमंजस में पड़ ना।
  5. अमेरिकी राष्ट्रपति (जॉन एफ कैनेडी )द्वारा अमेरिकी जंगी पेड़ों को आदेश देना।
  6. अमेरिका द्वारा अपनी गंभीरता की चेतावनी देना।

-: महत्वपूर्ण तथ्य :-
         देश                                 नेता
  • क्यूबा                           फिदेल कास्त्रो
  • सोवियत संघ                 निकिता ख्रुश्चेव
  • अमेरिका                       जॉन एफ कैनेडी

Full Form :-
  • USSR - Union Soviet of Socailist Republics
  • USA - United State America
  • UK - United Kingdom
  • NATO - North Atlantic Treaty Organisation (1949)
  • SEATO - Southeast Asia Treaty Organisation (1954)
  • CENTO - Central Treaty Organisation (1955)
  • NAM - Non-Alignment Movement (1965)
  • NIEO - New International Economic Order (1972)
  • UNCTAD - United Nations Conference on Trade and Development
  • LTBT - Limited Test Ban Treaty (1963)
  • NPT - Nuclear non-Proliration Treaty (1968)
  • SALT - Stratigic Arms Limitation Talk (1. May 1972 2. June 1972)
  • START - Stratigic Arms Reducation Treaty (1. July 1991, 2. January 1993)
  • CTBT : Comprehensive nuclear Test Ban Treaty (1996)

मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र में अंतर :- 

  • मित्र राष्ट्र :-

  1. द्वितीय विश्व युद्ध में पूंजीवादी देशों के समूह को मित्र राष्ट्र कहा गया।
  2. मित्र राष्ट्र की अगुवाई अमेरिका, सोवियत संघ, फ्रांस और ब्रिटेन कर रहे थे।
  3. इस युद्ध में मित्र राष्ट्र की जीत हुई।

  • धूरी राष्ट्र :-

  1. द्वितीय विश्व युद्ध में साम्यवादी देशों के समूह को धुरी राष्ट्र कहा गया।
  2. धुरी राष्ट्र की अगुवाई जर्मनी जापान और इटली कर रहे थे।
  3. इस युद्ध में धूरी राष्ट्र की हार थी।

अमेरिका और जापान :-

  • अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में अगस्त 1945 में शामिल हुआ।
  • अमेरिका ने जापान के 2 शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए।
  • हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को 'लिटिल बॉय ' नामक परमाणु बम गिराए, जो 15 किलोटन का था।
  • दूसरा नागासाकी में 9 अगस्त 1945 को 'फैटमैन ' नामक परमाणु बम गिराए जिसका वजन 21 किलोटन था।

द्वितीय विश्वयुद्ध की विशेषता :- 
  • द्वितीय विश्व युद्ध मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र के बीच में लड़ा गया था।
  • इस युद्ध का प्रभाव केवल यूरोप पर ही नहीं था बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया चीन वर्मा तथा भारत के पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों तक था।

अपरोध :- अगर कोई अपने शत्रु पर आक्रमण करके उसके परमाणु हथियारों को नाकाम करने की कोशिश करता है परंतु फिर भी दूसरे के पास उसे बर्बाद करने के लायक हथियार बज जाएंगे तो ऐसी स्थिति को अपरोध कहा जाता हैै।  

दो-ध्रुवीयता के अंत का मुख्य कारण सोवियत संघ का विघटन और शीतयुद्ध की समाप्ति थी।

Note :- 
  • समकालीन विश्व में राजनीति की शुरुआत 1991 में अर्थात शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद हुआ।
  • अमेरिका और सोवियत संघ का महाशक्ति बनने की होड़ में एक दूसरे के मुकाबले खड़ा होना शीतयुद्ध का कारण बना।

दो-ध्रुवीय और एक ध्रुवीय विश्व में अंतर :-

  • दो-ध्रुवीय विश्व
  1. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संपूर्ण विश्व दो भागों में बट गया जिसे दो ध्रुवीय विश्व कहा गया।
  2. यह दो भाग अमेरिका और सोवियत संघ थे।
  • एक-ध्रुवीय विश्व :- सन 1991 के बाद के दौर को एक ध्रुवीय विश्व कहा जाता हैं।

    NATO

    • नाटो की स्थापना अप्रैल 1949 में हुई थी और इसकी स्थापना समारोह में कुल 12 देश शामिल हुए थे।
    • नाटो का 'मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसल्स' में है।
    नाटो का मुख्य उद्देश्य :-
    • नाटो का मुख्य उद्देश्य यह है कि यदि कोई देश उतरी अमेरिका अथवा यूरोप के इन देशों में से किसी पर भी हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे।
    • नाटो में शामिल हर देश एक दूसरे की सहायता करेंगे।

    नोट :- वारसा पैक्ट (1955) पूर्व सैन्य गठबंधन (USSR) था जो NATO का मुकाबला करने के लिए बनाया गया था।

    लीग ऑफ नेशन :-

    • स्थापना : 10 जनवरी 1920
    • मुख्यालय : जिनेवा

    UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) :- 

    • UNO 'लीग ऑफ नेशन' का उत्तराधिकारी है जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में हुआ था
    • 1945 में UNO के संस्थापक देशों के सदस्यों की कुल संख्या 51 थी।
    • UNO का मुख्यालय 'न्यूयॉर्क सिटी' में है।

    चीन और सोवियत संघ
    • 1950 के दशक मैं सोवियत संघ और चीन के बीच अनबन हुई।
    • 1969 में चीन और सोवियत संघ के बीच युद्ध हुआ।
    महाशक्तियों का छोटे देशों को अपने गुट में शामिल करने का कारण :-
    1. महत्वपूर्ण संसाधन (जैसे :- तेल और खनिज)।
    2. भू-क्षेत्र ताकि यहां से महाशक्तियां अपने हथियारों और सेना का संचालन कर सकें।
    3. सैनिक ठिकाने :- महा शक्तियां अपने सैनिक ठिकाने के लिए भी छोटे देशों के साथ हाथ मिलाए ताकि वह यहां से एक दूसरे की जासूसी कर सके। 
    4. आर्थिक मदद :- बड़े देशों को छोटे देशों से संबंध बनाने से आर्थिक मदद भी मिलती थी, जिसमें गठबंधन में शामिल बहुत से छोटे-छोटे देश सैन्य खर्च वहन करने में मददगार हो सकते थे।
    मार्शल योजना :- पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका ने जो मदद की थी, उसे मार्शल योजना के नाम सेे जाना गया।

    शीतयुद्ध के दायरे :-
    • 1947 साम्यवाद को रोकने के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन सिद्धांत।
    • क्यूबा का मिसाइल संकट  1962 में
    • बर्लिन की दीवार खड़ी की गई 1961 में
    • कोरियाई युद्ध 1950-53 तक
    • अमेरिका ने वियतनाम पर हस्तक्षेप 1954 में
    • सोवियत संघ का हंगरी में हस्तक्षेप 1965 में
    • जर्मनी का एकीकरण 1990 में
    • सोवियत संघ का विघटन 1991 में
    1960 के दशक के उत्तरार्ध में दोनोंं महा शक्तियों के बीच हथियारों को सीमित करने के लिए 3 अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए
    1. परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि
    2. परमाणु अप्रसार संधि
    3. परमाणु प्रक्षेपास्त्र परिसीमन संधि
    बर्लिन की दीवार
    • बर्लिन की दीवार को सन 1961 में खड़ा किया गया था।
    • यह साम्यवाद व पूंजीवाद की विचारधारा का प्रतीक था।
    • इस दीवार की कुल लंबाई 150 किलोमीटर थी।
    • इस दीवार को सन 1989 में जर्मनी के लोगों द्वारा गिरा दिया गया।
    गुटनिरपेक्षता :- विकासशील देशों या नव स्वतंत्र देशों ने शीतयुद्ध से अलग रहने केेे लिए जिस नीति का अनुसरण किया उसेे गुटनिरपेक्षता कहते हैं।

    गुटनिरपेक्ष आंदोलन :- 
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM ) की स्थापना सन 1956 में एशिया के 5 देशों ने मिलकर की थी।
    देश                                             नेता
    1. भारत                                     जवाहरलाल नेहरू
    2. युगोस्लाविया                           जोसेफ ब्रॉज टीटो
    3. मिस्र                                       गमाल अब्दुल नासिर
    4. इंडोनेशिया                              सुक्रणों
    5. घाना।                                      वामे एन्क्रूमा

    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है।
    • गुट निरपेक्ष आंदोलन का प्रथम सम्मेलन सन 1961 में बेलग्रेड में हुआ था। यह सम्मेलन तीन बातों की परिणति थी:-
    1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देश एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
    2. शीतयुद्ध का प्रसार और इसके बढ़ते हुए दायरों को नियंत्रित करना।
    3. अंतरराष्ट्रीय फलक पर बहुत से नव स्वतंत्र अफ्रीकी देशों का नाटकीय उदय सन 1960 तक UNO (1945) में 16 नए अफ्रीकी देश बतौर सदस्य शामिल हो चुके हैं।
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन का 17वां सम्मेलन 2016 वेनेजुएला के भार्गरिता दूध में हुआ था इस सम्मेलन में कुल 120 सदस्य देश शामिल हुए थे।
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन का 19वां  सम्मेलन 2020 में अजरबैजान की राजधानी बाकू में हुई।

    पृथकतावाद :- पृथकतावाद का मतलब है खुद को अंतरराष्ट्रीय मामलों से अलग रखना। 

    तटस्थता :- तटस्थता का मतलब, युद्ध में शामिल ना होने की नीति का पालन करना करने से हैं।

    NIEO :- नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था(NIEO) की स्थापना सन् 1972 में हुई थी ताकि विकासशील व नव स्वतंत्र तथा अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्था का विकास कर सके।

    वे ऑफ पिग्स :- सन 1967 में अमेरिका द्वारा क्यूबा में किए गए आक्रमण को 'वे ऑफ पिग्स' नाम से जाना गया।

    सन्1972 में UNO के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन में "Towards a New Trade Policy For Development" से संबंधित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी इस रिपोर्ट में चार सुधारो की बात की गई :-

    1. अल्प विकसित देशों को अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण प्राप्त होगा जिसका दोहन पश्चिम के विकसित देश करते हैं।
    2. अल्प विकसित देशों की पहुंच पश्चिमी देशों के बाजारों तक होगी वह अपना सामान बेच सकेंगे और इस तरह गरीब देशों के लिए यह व्यापार फायदेमंद होगा।
    3. पश्चिमी देशों से मंगाई जा रही प्रौद्योगिकी की लागत कम होगी।
    4. जो देश विकसित नहीं हैं उन देशों की अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों में भूमिका बढ़ेगी।
    गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेता के रूप मेंं शीत यद्ध के दौर में भारत की भूमिका :-  
    •  भारत ने सजग और सचेत रूप से अपने को दोनों महाशक्तियों के खेमे मंदी से अलग रखा।
    • भारत ने उपनिवेशो  के चंगुल से मुक्त हुए नव स्वतंत्र देशों को महा शक्तियों के खेमों में जाने का पुरजोर विरोध किया।
    गुटनिरपेक्षता की नीति से भारत के फायदे :-
    • गुटनिरपेक्ष के कारण भारत ऐसे अंतर्रष्ट्रीय फैसले और पक्ष ले सका जिससे उसका हित साधता हो, नाकि महाशक्तियों और उसके खेमे के देशों का।
    • भारत हमेशा इस स्थिति में रहा कि एक महाशक्ति उसके खिलाफ हो जाए तो वह दूसरी महाशक्ति के करीब आने की कोशिश करें।
    भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति का आलोचना :-
    • आलोचकों का कहना है कि भारत की गुट निरपेक्ष 'सिद्धांतविहीन' है कहा जाता है कि भारत अपनेे राष्ट्र  इसी बीच में हितों को साधने के नाम पर अक्सर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुनिश्चित पक्ष नहीं ले सका है।
    • अनुज को का दूसरा तर्क है कि भारत के व्यवहार में स्थिरता नहीं है और कई बार भारत की स्थिति विरोधाभासी रही है महा शक्तियों के खेमों में शामिल होने पर दूसरे देशों की आलोचना करने वाले भारत ने स्वयं सन 1971 में सोवियत संघ के साथ महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए।

     -:{ Question & Answer }:- 

    प्रश्न :-1 शीतयुद्ध के काल में दोनों महा शक्तियों ने एक तरफ तो हथियार की होड़ की तथा दूसरी ओर हथियार सीमित करने के लिए  की। क्यों? 
    उत्तर :- 

    हथियारों की होड़ :-
    • अपना वर्चस्व स्थापित करना।
    • अति उत्तम तकनीक के हथियार।
    • ज्यादा ताकत के परमाणु बम बनाना।
    हथियार को सीमित करना :-
    • दोनों देशों को ही अपने नष्ट होने का भय।
    • हथियार निर्माण से धन को बचाना।
    • शास्त्र परिसीमन संधिया की।
    प्रश्न :-2 शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद क्या गुटनिरपेक्षता की नीति प्रसांगिक अथवा उपयोगी है? स्पष्ट करें।
    उत्तर :-
    • विकासशील की नीति की प्रसंगिकता।
    • NIEO को लागू करना।
    • अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी पहचान तथा अस्तित्व बनाना।
    • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में विकसित देशों के वर्चस्व को चुनौती देना।
    • गरीब देशों के आर्थिक शोषण के विरुद्ध एकजुटता।
    • विश्वशांति तथा नि:शस्त्रीकरण लागू करना।
    प्रश्न :-3 शीतयुद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए
    उत्तर :-
    • दो ध्रुवीय विश्व का उदय
    • सैन्य संधिया का गठन
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उदय
    • हथियारों की होड़ शुरू
    • महाशक्तियों की ओर से वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में प्रतियोगिता
    • UNO की कार्यकुशलता में कमी
    प्रश्न :-4 शीतयुद्ध के तनाव को कम करने में भारत ने क्या भूमिका निभाई?
    उत्तर :-
      • गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व
      • सैन्य गुटों में शामिल नहीं
      • वैश्विक समस्याओं पर स्वतंत्र विचार
      • क्षेत्रीय संगठन निर्माण
      • महाशक्तियों से मित्रतापूर्ण संबंध
      • अंतरराष्ट्रीय संगठन को मजबूत करने में सहायक
      प्रश्न :-5 सन 1980 के दशक के उत्तरार्ध तक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने के प्रयास मंद पड़ गए इसका मुख्य कारण क्या था?
      उत्तर :-
          1. विकसित देशों द्वारा किया जा रहा तेज विरोध
          2. विकसित देश एक सुर में विरोध कर रहे थे जबकि गुटनिरपेक्ष देशों को इस विरोध के बीच अपनी एकता बनाए रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ रही थी।

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