"Class 12 Political Science 1st Book Chapter 02 Notes"
" दो ध्रुवीयता का अंत "
दो-ध्रुवीयता :-द्वितीय विश्व यद्ध के बाद के दौर को दो ध्रुवीयता कहा जाता है, जिसमें संपूर्ण विश्व दो समूह यानी सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में बट गया था।
बोल्शेविक क्रांति (समाजवादी क्रांति) :- बोल्शेविक क्रांति सन 1917 में हुई थी और यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी और यह समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित थी।
दूसरी दुनिया :-
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के अंकुश में आ गए। सोवियत सेना ने इन्हें फांसीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था।
- इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली के तर्ज पर ढाला गया था, इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहां गया।
सोवियत संघ की विशेषता :-
- विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- उन्नत संचार प्रणाली
- विशाल ऊर्जा संसाधन
- उन्नत घरेलू उपभोक्ता उद्योग
- आगमन की अच्छी सुविधाएं
- राज्य का स्वामित्व
शॉक थेरेपी :-
- रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों ने पूंजीवादी की ओर संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया जिसे विश्व बैंक और IMF ने इस मॉडल को शॉक थेरेपी का नाम दिया।
- शॉक थेरेपी का अर्थ होता है आघात पहुंचाकर उपचार करना।
इतिहास की सबसे बड़ी गेराज सेल :- शॉक थेरेपी को ही इतिहास की सबसे बड़ी गेराज-सेल के नाम से जाना जाता है क्योंकि महत्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से कम करके आंकी गई और इन्हें ओने-पौने दामों में बेचा गया।
समाजवादी क्रांति :-
- यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी और समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की जरूरत से प्रेरित थी।
- ऐसा करने में सोवियत प्रणाली के निर्माताओं ने राज्य और पार्टी की संस्था को प्रमुख प्राथमिक महत्व दिया।
फांसीवादी :- एंडू हेवुड का मानना है कि फासीवाद मूल स्वरूप से आधुनिकता और बौद्धिकता के उन मूल्यों और आदर्शों के विरोध के स्वरूप में उपजा है जिसकी राजनीतिक संरचना उन्होंने की। इस विचारधारा का उदय 20वीं सदी में हुआ था।
सोवियत संघ के विघटन के मुख्य कारण :-
- सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा कसना
- राजनीतिक आर्थिक संस्थाओं की आंतरिक कमजोरियां।
- हथियारों की पागल दौड़ में शामिल होना।
- पश्चिमी देशों की तुलना पर जनता निराश।
- कम्युनिस्ट पार्टी का एकाधिकार।
- मिखाईल गोर्बाचोव द्वारा सुधारों के प्रयासों का विफल होना।
- सोवियत प्रणाली का सत्तावादी होना।
- लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी का ना होना।
- सोवियत संघ 15 गणराज्यों से मिलकर बना था और उसमें रूस का दबदबा होता था। जिससे बाकी देश अपने आप को दमित और अपेक्षित समझते थे।
- संसाधनों का अधिक उपयोग हथियारों में कर रहे थे।
सोवियत संघ में मिखाईल गोर्बाचोव के सुधारों का प्रयास :-
- मिखाईल गोर्बाचोव ने पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास किया।
- इसके अलावा उन्होंने सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप देने का प्रयास किया।
- गोर्बाचोव द्वारा सरकार और सोवियत संघ के नियंत्रण का विरोध होने के बावजूद गोर्बाचोव ने इन गड़बड़ियों में हस्तक्षेप नहीं किया।
- गोर्बाचोव ने देश के अंदर आर्थिक, राजनीतिक और लोकतांत्रिक सुधारों की नीति चलाई।
सोवियत संघ के विघटन के परिणाम :-
- शीतयुद्ध के दौर के संघर्ष की समाप्ति हुई।
- विश्व राजनीति में शक्ति संबंध बदल गए और इस कारण विचारों और संस्थाओं के अपेक्षित प्रभाव में भी बदलाव आया।
- अमेरिका अकेली महाशक्ति बन बैठा।
- अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नए देशों का उदय हुआ।
- विचारधाराओं की लड़ाई खत्म हुई।
- विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्था ताकतवर देशों की सलाहकार बन गई।
- हथियारों की ओर खत्म हो गई, दूसरी दुनिया का पतन हो गया।
रूस और भारत की सोच :-
- अंतरराष्ट्रीय फलक पर कई शक्तियां मौजूद हो।
- सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी हो।
- क्षेत्रीयताओ को ज्यादा जगह मिले।
- अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों का समाधान बातचीत के द्वारा हो।
- हर देश की स्वतंत्र विदेश नीति हो और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं द्वारा फैसला किए जाएं तथा इन संस्थानों को मजबूत लोकतांत्रिक और शक्ति संपन्न बनाया जाए।
शॉक थेरेपी के परिणाम :-
- रूस का औद्योगिक ढांचा चरमरा उठा।
- 90% उद्योगों को निधि हाथों या कंपनियों को बेच दिया गया।
- इतिहास की सबसे बड़ी ग्रास सेल के नाम से जाना गया।
- रूस की मुद्रा रूबल में गिरावट आई।
राष्ट्रकुल :-
- सोवियत संघ के विघटन के बाद स्वतंत्र में सोवियत गणराज्य के सदस्य देशों ने अपना एक संगठन बनाया जिससे राष्ट्र के नाम से जाना गया।
- राष्ट्रकुल का मुख्य उद्देश्य था अपने देशों का आर्थिक और सामाजिक विकास करना तथा रूस पर अत्यधिक निर्भरता को कम करना।
नोट :-
- सोवियत संघ का विघटन सन् 1991 में हुआ
- सोवियत संघ परिवहन और ऊर्जा के मामले में पश्चिमी देशों की तुलना में पीछे रह गया था।
- सोवियत संघ ने सन् 1979 में अफगानिस्तान में हंसते किया।
- मिखाईल गोर्बाचोव 1985 में सोवियत संघ के महासचिव बने।
- सन् 1991 में सोवियत संघ का तख्तापलट हुआ।
- बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के 3 बड़े गणराज्य ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की थी।
- रूस को सोवियत संघ का उत्तराधिकारी मान गया।
- रूस को UNO में स्थाई सदस्यता प्राप्त है।
- रूस की संसद का नाम ड्यूमा है।
- तजाकिस्तान मध्य एशिया के देश 10 वर्षों यानी 2001 तक ग्रह युद्ध की चपेट में रहा।
- दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के नेता बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में तीन बड़े गणराज्य रूस, बेलारूस, यूक्रेन ने सोवियत संघ के विघटन की घोषणा की।
- सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी का एकाधिकार 70 वर्षों तक रहा।
बाल्टिक गणराज्य :-
- एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया।
सोवियत संघ 15 गणराज्य से मिलकर बना था :-
सोवियत संघ के 15 गणराज्य:
- सोवियत रूस
- यूक्रेन
- बेलारूस
- उज़्बेकिस्तान
- कजाकिस्तान
- जॉर्जिया
- अज़रबैजान
- लिथुआनिया
- माल्दोविय
- लताविया
- किर्गिस्तान
- ताजिकिस्तान
- आर्मेनिया
- तुर्कमेनियाएस्टोनिया
CIS : Commonwelth of Independence States (1997)
तेल और गैस उत्पादक के बड़े देश :-
- कजाकिस्तान
- तुर्कमेनिस्तान
- उज़्बेकिस्तान
- अज़रबैजान
- रूस
-: महत्वपूर्ण तथ्य :-
- रूस के दो गणराज्य चेचन्या और दार्गिस्तान में हिंसक अलगाववादी आंदोलन चले।
- चेकोस्लोवाकिया दो भागों में बट गया चेक और स्लोवाकिया।
भारत और सोवियत संघ के संबंध :-
प्रस्तावना :- शीत यद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के संबंध बहुत गहरे थे इससे आलोचकों को यह कहने का अवसर भी मिला कि भारत सोवियत खेमे का हिस्सा था। इस दौरान भारत और सोवियत संघ के संबंध बहुआयामी थेे।
1. आर्थिक :-
1. आर्थिक :-
- सोवियत संघ ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के ऐसे वक्त में मदद की जब ऐसी मदद पाना मुश्किल था। भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी, तब सोवियत संघ ने रुपए को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया।
- सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के रुख को समर्थन दिया। सोवियत संघ ने भारत के संघर्ष के गाढ़े बिना दिनों खासकर सन 1971 में पाकिस्तान में युद्ध के दौरान मदद की।
- भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया।
- भारत को सोवियत संघ ने ऐसे वक्त में सैनिक साजो-समान दिए जब शायद ही कोई अन्य देश अपनी सैन्य टेक्नोलॉजी भारत को देने के लिए तैयार था।
- सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण तैयार कर सका।
- हिंदी फिल्म और भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थे। बड़ी संख्या में भारतीय लेखक और कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्रा की।