"Class 12 Political Science 1st Book Chapter 08 Notes"
"पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन"
विश्व राजनीति में सन 1960 के दशक से पर्यावरण के मसले पर जोर दिया।
मूलवासी - मूलवासी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जन समुदाय को कहते हैं।
पृथ्वी सम्मेलन
- 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केंद्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुआ, जिसे प्रथम पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है।
- इस सम्मेलन में 170 देश हजारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया था।
- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन से 5 साल पहले 1987 में आवर कॉमन फ्यूचर शीर्षक बर्टलैंड रिकॉर्ड छपी थी रिपोर्ट में बताया गया था कि आर्थिक विकास के चालू तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे
- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के दौरान पर्यावरण को संरक्षण देने के लिए एजेंडे तैयार किए गए थे जिसे एजेंडा 21 के नाम से जाना गया
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता
- दुनिया भर में कृषि योग्य भूमि में अब कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से की उर्वरता कम हो रही है सारा गांव के सारे खत्म होने को है और मत्स्य भंडार घट रहा है जलाशयो जल राशि बड़ी तेजी से कम हुई है इसमें प्रदूषण बढ़ाएं इससे खाद उत्पादन में कमी आ रही है
- संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता है और यहां की 2 अरब 60 करोड़ आबादी साफ सफाई की सुविधा से वंचित है इस वजह से 30 लाख से ज्यादा बच्चे हर साल मौत के शिकार होते हैं।
- प्रकृति वन जलवायु को संतुलित रखने में मदद करते हैं इससे जलचक्र भी संतुलित बना रहता है और इन्हीं वनों में भर्ती की जैव विविधता का भंडार भरा रहता है लेकिन ऐसे वनों की कटाई हो रही है और लोग विस्थापित हो रहे हैं जय विविधता के हनी जारी है और इसका कारण है उन पर्यावासों का विध्वंस जो जेब प्रजातियों के मामले में समृद्ध है
- धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं इससे परिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
- पूरे विश्व में समुद्र तटीय क्षेत्रों का प्रदूषण भी बढ़ रहा है यद्यपि समुंद्र का मध्यवर्ती भाग अभी अपेक्षाकृत स्वच्छ है लेकिन इसका तटवर्ती जल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है पूरी दुनिया में समुद्र तटीय इलाकों में मनुष्य की संगत बसाहट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश ना लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आएगी।
साझी संपदा - साझी संपदा उन संसाधनों को कहते हैं जिन पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है संयुक्त परिवार का चूल्हा, चारागाह मैदान, कुआं, नदी साझी संपदा के उदाहरण है।
वैश्विक संपदा - विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संपर्कों क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं इसलिए इसका प्रबंध साधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है उन्हें वैश्विक संपदा या मानवता की साझी विरासत कहा जाता है।
साझी जिम्मेदारी लेकिन अलग भूमिका
- पर्यावरण के संरक्षण को लेकर दक्षिणी गोलार्ध के देशों के रवैया में अंतर उत्तर के विदेश पर्यावरण के मसले पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में आयोजित पर्यावरण मौजूद यह देश चाहते हैं कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश की जिम्मेदारी एक बराबर हो।
- दक्षिण एशिया के देशों का तर्क है कि विश्व में पारिस्थितिकी को नुकसान अधिकांश विकसित देशों औद्योगिक विकास से पहुंचा है यदि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है तो उन्हें इस नुकसान की जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए।
पृथ्वी सम्मेलन पर्यावरण संरक्षण के लिए भूमिकाओं से जुड़े निर्णय या सुझाव
- सन 1993 में हुए 13 सम्मेलन में यह मान लिया गया और इसे साजिश जिम्मेदारी लेकिन अलग-अलग भूमिका का सिद्धांत कहा गया इस संदर्भ में रियो घोषणापत्र का कहना है कि धरती के कार्य क्षेत्र की तंत्र की अखंडता और गुणवत्ता की बहाली सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व बंधुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे।
- जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमानुसार यानी UNFCCC-1992 मे भी कहा गया है कि इस संधि को स्वीकार करने वाले देश अपनी क्षमता के अनुरूप पर्यावरण के अक्षय मैं अपनी खेदारी के आधार पर शादी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी निभाते हुए पर्यावरण को सुरक्षा के प्रयास करेंगे।
- क्योटो प्रोटोकॉल के अंतरराष्ट्रीय समझौता है इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए गए CO2, CH4 और हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसे कुछ देशों के बारे में माना जाता है कि वैश्विक ताकत दी है इन पैसों की कोई ना कोई भूमिका जरूरी है।
जिम्मेदारियों को लागू करने के लिए सुझाव
- अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के नियम में प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए।
- राष्ट्र की कुल राष्ट्रीय आय का कुछ प्रतिशत निर्धारित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों द्वारा किया जाना चाहिए और वह धनराशि केवल पर्यावरण संरक्षण पर विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र संघ की तिथि एजेंसी के माध्यम से मानव सुरक्षा और साझी संपदा संरक्षण को ध्यान में रखकर खर्ची की जानी चाहिए।
- यह एक विशाल संघर्ष है इसे एक मशीन भी भावना से व्यक्तिगत स्तर पर गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं के स्तर, पर जिला स्तरों पर राष्ट्रीय या देश के स्तर पर और अंततः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।
पर्यावरण के मसले पर भारत के पक्ष
- भारत ने सन 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया और इसका अनुमोदन किया भारत चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यतो से छूट दी गई है क्योंकि उद्योगीकीकरण के दौर में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में इनका कुछ खास योगदान नहीं है।
- औद्योगिकीकरण के दौर को मौजूदा वैश्विक ताप वृद्धि और जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार माना जाता है बाहर हाल क्योटो प्रोटोकोल के आलोचकों ने या ध्यान दिलाया है कि अन्य विकासशील देशों सहित भारत और चीन भी जल्दी ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में विकसित देशों की भांति अलग सरकर में नजर आएंगे।
- सन 2005 के जून में G-8 के देशों की बैठक हुई इसमें भारत ने ध्यान दिलाया कि विकासशील देशों में ग्रीन हाउस गैसों की प्रति व्यक्ति उत्सर्जन पर विकासशील देशों की तुलना में नाम मात्र है।
- शादी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार है कि उत्सर्जन दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी विकसित देशों की है क्योंकि उन देशों में 1 लंबी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है।
- भारत में सन 2030 तक कार्बन का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बढ़ाने के बावजूद विश्व के औसत 3 पॉइंट 8 टन प्रति व्यक्ति के आधे से भी कम होगा सन 2000 तक भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन जीरो पॉइंट 9 तथा और अनुमान है कि 2030 तक यह मात्रा बढ़ कर 1 पॉइंट 6 टन प्रति व्यक्ति हो जाएगी।
- भारत की सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए पर्यावरण से संबंधित वैश्विक प्रयासों में शिकायत की है और कर रही है मिसाल के लिए भारत ने अपनी नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी के लिए स्वच्छ इंधन अनिवार्य कर दिया है सन 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ इसमें उर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल की गई है।
- सन 2003 में बिजली अधिनियम में 15 वा ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया हाल ही में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की तरफ रुझान बढ़ा है इससे पता चलता है कि भारत पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से ठोस कदम उठा रहा है।
Q. मूल वासियों का सवाल पर्यावरण संसाधन और राजनीति को एक साथ जोड़ देता है, इस कथन के पक्ष में उत्तर दीजिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1982 में इसकी एक शुरुआती परिभाषा दें इन्हें ऐसे लोगों का वंशज बताया गया जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से चलते रहते चले आ रहे थे फिर किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के दूसरे हिस्से से उस देश में आए और इन लोगों को अधीन बना लिया किसी देश के मूल निवासी आज भी उस देश की संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से ज्यादा अपनी परंपरा संस्कृति रिवाज तथा अपने खास सामाजिक आर्थिक धरने पर जीवन यापन करना पसंद करते हैं।
- भारत सहित विश्व के विभिन्न हिस्सों में मौजूद लगभग 30 करोड़ मूल निवासियों के सर्वमान्य हित विश्व राजनीति के संदर्भ में क्या है यह एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि इसके हितो को विश्व राजनीति ने समय-समय पर प्रभावित किया है फिलीपींस के गोल्डी ले रहा क्षेत्र में 2000000 मूलनिवासी लोग रहते हैं चीले मे मापुशे नामक मूल वासियों की संख्या 10 लाख है बांग्लादेश के चटगांव पर्वतीय क्षेत्र में 600000 आदिवासी बसे हैं उत्तरी अमेरिका मूल वासियों की संख्या 350000 है। पनामा नहर के पूर्व कूबा नामक मूलवासी 50000 की तादाद में है और उत्तरी सोवियत में ऐसे लोग की आबादी 1000000 है।
- विश्व राजनीति में मूल वासियों की आवाज विश्व बिरादरी में बराबरी का दर्जा पाने के लिए उठी है मूल वसियों के निवास वाले स्थान मध्य और दक्षिण अमेरिका अफ्रीका दक्षिण पूर्व एशिया तथा भारत में है। जहां इन्हें आदिवासी या जनजाति कहा जाता है।
- भारत में मूलवासी के लिए अनुसूचित जनजाति या आदिवासी शब्द प्रयोग किया जाता है यह कुल जनसंख्या का 8% है लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन कायम होने के बाद से जनजातीय समुदाय का सामना बाहरी लोगों से हुआ है।
- मूलवासी समुदायों के अधिकारों से जुड़े मुद्दे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में लंबे समय तक अपेक्षित रहे हैं सन 1970 के दशक में विश्व के विभिन्न भागों के मूल निवासियों के नेताओं के बीच संपर्क बड़ा सन 1975 में वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल का गठन हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ में सबसे पहले इस परिषद को प्राय परिषद का दर्जा दिया गया।
- इसके अतिरिक्त आदिवासियों के सरोकारों से संबंधित 10 अन्य स्वयंसेवी संगठनों को भी या दर्जा दिया गया।
Q. विश्व राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन क्यों हैं।
- विश्व के कुछ भागों में पानी की कमी हो रही है साथी रे विश्व के हर हिस्से में स्वच्छ जल समान मात्रा में मौजूद नहीं है इस कारण संभावना है कि साधे जल संसाधन को लेकर पैदा मतभेद 21वीं सदी में फसाद की जड़ साबित हो।
- इस जीवनदाई संसाधन को लेकर हिंसक संघर्ष होने की संभावना है और इसी को इंगित करने के लिए विश्व राजनीति के कुछ विद्यालयों में जल युद्ध शब्द गढ़ा है।
- जलधारा के उद्गम से दूर बसा हुआ देश उद्गम के नजदीक बसे हुए देश द्वारा इस पर बांध बनाने के माध्यम से अत्यधिक सिंचाई करने या इसे प्रदूषित करने पर आपत्ति जताता है क्योंकि ऐसे कामों से दूर बसे हुए देश को मिलने वाले पानी की मात्रा कम होगी या उसकी गुणवत्ता घटेगी।
- देशों के बीच स्वच्छ जल संसाधनों को हथियाने या उनकी सुरक्षा करने के लिए हिंसक झड़पें हुई है इसका एक उदाहरण है 1950 और 60 के दशक में इजराइल सीरिया तथा जॉर्डन के बीच हुआ संघर्ष।
- इस में से प्रत्येक देश ने जॉर्डन और यार्मूक नदी से पानी बहाव मोड़ने की कोशिश की थी।
- फिलहाल तुर्की सीरिया और इराक के बीच फरात नदी पर बांध के निर्माण को लेकर एक दूसरे से ठनी हुई है बहुत से देशों के बीच नदियों का ताजा है और उसके बीच सैन्य संघर्ष होते रहते हैं।
NOTE
- क्लब ऑफ रोम ने 1972 में लिमिट्स टू ग्रोथ से एक पुस्तक प्रकाशित की
- 1987 में आवर कॉमन फ्यूचर के चार रिपोर्ट प्रकाशित हुई।
- अंटार्कटिका संधि 1959 में हुई
- मॉन्ट्रियल नयाचार (क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है) 1997 में
- जापान के क्योटो मे 1997 में इस प्रोटोकॉल पर सहमति बनी ।
- अंटार्कटिका पर्यावरण संधि 1991 मे
- UNEP - United Nations Environment Programme
- UNFCCC - United Nations Framework Convention on Climate Change
- SAARC - South Asia Association For Reginal Co-operation
- ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे ज्यादा हिस्सा विकसित देशों का है।
- जून 2005 में G-8 के देशों की बैठक हुई
- भारत में 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया।
- 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित किया।
- भारत ने 2003 में उर्जा अधिनियम लागू किया ।
- भारत ने पृथ्वी सम्मेलन का पुनः अवलोकन 1997 में किया।
- भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन सबसे प्रसिद्ध रहा है।
- पहला बांध विरोधी आंदोलन 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलिया के फ्रैंकलिन नदी और इसके परिवर्ती वन को बचाने का आंदोलन था।
- वैश्विक राजनीति में तेल सबसे महत्वपूर्ण संसाधन में से एक है।
- पश्चिम एशिया के देश तेल उत्पादन का 30% मुहैया कराता है।
- सऊदी अरब के पास विश्व के कुल तेल भंडार का एक चौथाई हिस्सा मौजूद है।
- सऊदी अरब में सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और दूसरे नंबर पर इराक है।
- इराक का तेल भंडार 112 अरब बैरल से अधिक है।
- भारत में 30 करोड़ मूलवासी है।
- फिलीपींस के कोराडलेरा क्षेत्र में 20 लाख मूलवासी हैं।