"Class 12 Political Science (अंतरराष्ट्रीय संगठन) Chapter 06 Notes"
"अंतरराष्ट्रीय संगठन"
संयुक्त राष्ट्र संघ (Union Nation Organization)
- 'लीग ऑफ नेशंस' के उत्तराधिकारी के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई, जिसकी स्थापना सन 1920 में हुई थी।
- UNO - Union Nation Organization
- स्थापना - 24 October, 1945
- वर्तमान मे UNO के सदस्य देशों की संख्या 193
- संयुक्त राष्ट्र संघ के मूल संस्थापक देशों की संख्या 51 (51वां देश पोलैंड था, जो 15 October, 1945 में शामिल हुआ।
- भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में 30 October, 1945 को शामिल हुआ था।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के पहले महासचिव ट्राइग्व ली (1946-52) जो नॉर्वे के थे।
- वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हैं जो पुर्तगाल के रहने वाले है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के पहले दक्षिण एशियाई महासचिव बान की मून ( कार्यकाल 2007-2016) जो कोरिया के थे।
- अंतरराष्ट्रीय संगठन हर मर्ज की दवा नहीं है लेकिन यह महत्वपूर्ण है अंतरराष्ट्रीय संगठन युद्ध और शांति के मामलों में मदद करते हैं विदेशों की सहायता करते हैं ताकि हम सब की बेहतर जीवन स्थितियों कायम हो।
- अंतरराष्ट्रीय संगठन एक और तरीके से मददगार होते हैं राष्ट्रों के सामने अक्सर कुछ काम ऐसे आ जाते हैं जिन्हें एक साथ मिलकर करना ही होता है।
- अमेरिका
- जापान
- जर्मनी
- फ्रांस
- ब्रिटेन
- इटली
- कनाडा
- रूस
- सऊदी अरब
- चीन
- यह संगठन वैश्विक स्तर की वित्त व्यवस्था की देखरेख करता है और मांगे जाने पर वित्तीय तथा तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाता है।
सुरक्षा परिषद
स्थाई सदस्य- संयुक्त राज्य अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस रूस चीन
- संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्यों को निषेधाधिकार (सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों को एक अधिकार प्राप्त होता है जिसे निषेध अधिकार कहते हैं इस अधिकार के तहत यह देश एक दूसरे की शक्तियों पर लगाम लगाते हैं) प्राप्त है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के अस्थाई सदस्यों का चुनाव 2 वर्ष के लिए होता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार
- इस संगठन की बनावट और इसकी प्रक्रियाओं में सुधार होना चाहिए। संगठन के न्याय अधिकार में आने वाले मुद्दों की समीक्षा की जाए।
- सोवियत संघ बिखर गया
- अमेरिका सबसे ज्यादा ताकतवर देश बनकर उभरा
- सोवियत संघ के उत्तराधिकारी राज्य रूस और अमेरिका के बीच अब संबंध कहीं ज्यादा सहयोगात्मक नहीं है।
- चीन बड़ी तेजी से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है भारत भी तेजी से इस दिशा में अग्रसर है।
- एशिया की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित दर से तरक्की कर रही है।
- अनेक नए देश संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हुए हैं। (यह देश सोवियत संघ से आजाद हुए देश हैं अथवा पूर्वी यूरोप के भूतपूर्व साम्यवादी देश से है।)
- विश्व के सामने चुनौतिया की एक पूरी नई कड़ी मौजूद है जैसे जनसंहार, गृहयुद्ध, जातीय संघर्ष, आतंकवाद, परमाण्विक प्रसार, जलवायु में बदलाव, पर्यावरण की हानि, महामारी इत्यादि।
- सुरक्षा परिषद अब राजनीतिक वास्तविकता ओं की नुमाइंदगी नहीं करती।
- इसके फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों और हितों की छाप होती है और इन फैसलों पर चंद देशों का दबदबा होता है।
- सुरक्षा परिषद में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है।
- सुरक्षा परिषद के नए सदस्यों को चुनने के लिए मानदंड
- बड़ी आर्थिक ताकत होना चाहिए
- बड़ी सैन्य ताकत होना चाहिए
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में ऐसे देश का योगदान ज्यादा हो।
- आबादी के लिहाज से बड़ा राष्ट्र हो।
- ऐसा देश जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान करता हो।
- या देश ऐसा हो कि अपने भूगोल अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिहाज से विश्व की विविधता की नुमाइंदगी करता हो।
- मानवीय विकास (शिक्षा स्वास्थ्य)
- कृषि और ग्रामीण विकास (सिंचाई ग्रामीण सेवाएं)
- पर्यावरण सुरक्षा (प्रदूषण में कमी लेन का निर्माण और उन्हें लागू करना)
- आधारभूत ढांचा तथा सुशासन (सड़क शहरी विकास बिजली और सदाचार का विरोध आदि के लिए काम करता है।)
- रूस {112}
- अमेरिका {82}
- ब्रिटेन {32}
- फ्रांस {18}
- चीन {4}
शांति संस्थापक आयोग का गठन
- यदि कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अत्याचारों से बचाने में असफल हो जाए तो विश्व बिरादरी इसका उत्तरदायित्व संयुक्त राष्ट्र संघ लेगा।
- मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 के 19 जून से सक्रिय
- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति।
- हर रूप रीति के आतंकवाद की निंदा
- एक लोकतंत्र कोष का गठन
- न्यायसिता परिषद को समाप्त करने पर सहमति
- भारत का मानना है कि बदले हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती और जरूरी इस बात का भी समर्थन करता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाती है।
- भारत का विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के एजेंडे में विकास का मामला प्रमुख होना चाहिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है।
- भारत की एक बड़ी चिंता सुरक्षा परिषद की संरचना को लेकर है, सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या स्थिर रही है जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में सदस्यों की संख्या बड़ी है।
- भारत का तर्क है कि परिषद का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधि मूल्य होगी और इसे विश्व बिरादरी का ज्यादा समर्थन मिलेगा।
- भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई और अस्थाई दोनों ही तरह के सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी का समर्थन है भारत के प्रतिनिधियों का तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा परिषद की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है।
- ,सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या स्थिर रही है जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में सदस्यों की संख्या बढ़ी है।
- भारत का मानना है कि इससे सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधि मुल्क चरित्र की हानि हुई है।
- भारत का तर्क है कि परिषद का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधि मूलक होगी और उसे विश्व बिरादरी का ज्यादा समर्थन मिलेगा।
- सोवियत संघ की गैरमौजूदगी में आज अमेरिका एकमात्र महाशक्ति है अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत के बूते वह संयुक्त राष्ट्र संघ या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन की अनदेखी कर सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के अंदर अमेरिका का खास प्रभाव है वह संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में सबसे ज्यादा योगदान करने वाला देश है अमेरिका की वित्तीय ताकत बेजोड़ है यह भी एक तथ्य है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिकी क्षेत्र में स्थित है और इस कारण भी अमेरिका का प्रभाव उसमें बढ़ जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कई नौकरशाह इसके नागरिक है इसके अतिरिक्त अगर अमेरिका को लगे कि कोई प्रस्ताव उसके अथवा उसके साथी राष्ट्रों के हितों के अनुकूल नहीं है अथवा अमेरिका को या प्रस्तावना चाहते तो अपने निषेधाधिकार सेवर उसे रोक सकता है।
- अपनी ताकत और निषेधाधिकार के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के चयन में भी अमेरिका की बात बहुत वजन रखती है अमेरिका अपनी एक ताकत के बूते शेष विश्व में वोट डाल सकता है और डालता है ताकि उसकी नीतियों का विरोध मंद पड़ जाए।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता
- अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण हल
- युद्ध में रोकथाम में सहायक
- विश्व के आर्थिक विकास में सहायक
- प्राकृतिक आपदा महामारी से निपटना
- अंतरष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- वैश्विक तापवृद्धि से निपटना
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को बनाए रखना
- राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा
- आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक तथा मानवीय ढंग से अंतररष्ट्रीय समस्याओं को हल करना
- अंतर्रष्ट्रीय संधियों एवं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को सम्मानपूर्वक लागू करवाना।
- राष्ट्रों की प्रादेशिक अखंडता और राजनीति स्वतंत्रता का आदर करना
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख एजेंसियां
IMF
- International Monetary Fund ( अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष)
- स्थापना.....?
- सदस्य देशों की संख्या 189
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अग्रणी 10 सदस्यों के पास 55% मत प्राप्त है यह देश G-8 के सदस्य देश हैं।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष मे अकेले अमेरिका के पास 17.4% मताधिकार है।
WTO
- World Trade Organization (विश्व व्यापार संगठन)
- स्थापना - 1995 में ( यह संगठन जनरल एग्रीमेंट फॉर ट्रेड एंड टेरिफिक के उत्तराधिकारी के रूप में काम करता है जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अस्तित्व में आया था।)
- सदस्य देशों की संख्या 164
- यह अंतरराष्ट्रीय संगठन व्यापार के नियमों को तय करता है।
IAEA
- International Atomic Energy Agency (अंतरराष्ट्रीय आणविक ऊर्जा एजेंसी)
- स्थापना - 1957 में
- यह संगठन पर्व आणविक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल को रोकने के लिए कोशिश करता है।
- WHO - World Health Organization (विश्व स्वास्थ्य संगठन)
- UNDP - United Nations Development Program (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम)
- UNHRC - United Nations Human Rights Commission ( संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग)
- UNHCR - United Nations High Commission for Refuses ( संयुक्त राष्ट्र संघ शरणार्थी उच्चायोग)
- UNICEF - United Nations Children's Fund (संयुक्त राष्ट्र संघ बाल कोष)
- UNESCO - United Nations Education, Social and Culture Organization ( संयुक्त राष्ट्रसंघ शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन)
NGO : Non-Governmental Organization ( स्वयंसेवी संगठन)
1. एमनेस्टी इंटरनेशनल
- यह पूरे विश्व में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाता है एवं मानवाधिकारों से जुड़ी रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करता है
- यह रिपोर्ट मानवाधिकारों से संबंधित अनुसंधान और तरफदारी में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch)
- यह अमेरिका का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है।
- यह दुनिया भर के मीडिया का ध्यान मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर खींचता है