"Class 12 Political Science 2nd Book Chapter 03 Notes"
"नियोजित विकास की राजनीति"
विकास : विकास का अर्थ है ज्यादा-से-ज्यादा आधुनिक होना। और आधुनिक होने का अर्थ था, पश्चिमी औद्योगिक देशों की तरह होना।
इस्पात उद्योग को लेकर विभिन्न समूह का तर्क:
- आदिवासी
आदिवासियों को डर है कि अगर उद्योग लग गए तो उन्हें अपने घर-बार से विस्थापित होना पड़ेगा और आजीविका भी छिन जाएगी।
- पर्यावरणविद
पर्यावरणविद को इस बात का डर है कि खनन और उद्योग से पर्यावरण प्रदूषित होगा।
- केंद्र सरकार
केंद्र सरकार को लगता है कि अगर उद्योग लगाने की अनुमति नहीं दी गई तो इससे एक बुरी मिसाइल कायम होगी और देश में पूंजी निवेश का वादा पहुंचेगी।
इस्पात की विश्वव्यापी मांग बड़ी तो निवेश के लिहाज से उड़ीसा एक महत्वपूर्ण जगह के रूप में उभरा :-
- जब इस्पात की मांग बढ़ी तो निवेश के आधार पर उड़ीसा एक महत्वपूर्ण राज्य बन कर उभरा।
- उड़ीसा में लौह अयस्क का विशाल भंडार था।
- उड़ीसा सरकार ने लौह अयस्क की मांग को पूरा करना चाहा।
- अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय इस्पात निर्माताओं के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।
- इससे पूंजी निवेश भी होगा और इस रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उद्योगों को लेकर राजनीतिक टकराव :-
- कोई भी फैसला लेने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूरी है।
- अर्थशास्त्री पर्यावरणविद की भी सलाह ले और जनता से भी पूछा जाए।
- अंतिम फैसला राजनीतिज्ञों का हो।
आजाद भारत के सामने विकास के 2 मॉडल :-
- पूंजीवादी मॉडल
- समाजवादी मॉडल
*भारत में दोनों मॉडल से कुछ महत्वपूर्ण चीजों को ले लिया और एक नई व्यवस्था को अपनाया जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था का नाम दिया गया।
वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा
वामपंथी विचारधारा :-
1. इसमें गरीब व पिछड़े लोगों की तरफदारी की जाती है।
यह कहा जाता है कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए 2. 2. जिससे गरीब लोगों का फायदा हो।
3. गरीबों के हितों को ध्यान में रखकर विकास की नीतियां अपनानी चाहिए।
दक्षिणपंथी विचारधारा :-
1. खुली स्पर्धा और बाजार मुल्क अर्थव्यवस्था हो और सरकार अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप ना करें
2. इसमें पूंजीवादी को बेहतर मानते हैं।
3. इसमें कहा जाता है कि सरकार को व्यापार के नियम आसान बनाने चाहिए।
योजना आयोग
- 1950 में बनाया गया
- योजना आयोग पंचवर्षीय योजना बनाता था।
- इसके प्रथम अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू के और योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
- मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसकी सिफारिशें लागू होती है।
नीति आयोग
- 1 जनवरी 2015 में योजना आयोग से नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया गया।
- इसके अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री होते हैं वर्तमान में इसके अध्यक्ष श्री नरेंद्र मोदी जी हैं।
- NITI- नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया।
बॉम्बे प्लान : 1944 में उद्योगपतियों का एक समूह एकजुट हुआ समूह ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था को चलाने का एक प्रस्ताव रखा जिसे बॉम्बे प्लान कहा गया।
बॉम्बे प्लान का मुख्य उद्देश्य : सरकार औद्योगिक और अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए।
नियोजन : एक निश्चित अवधि में देश के विकास के लिए जो योजना बनाई जाती है उसे नियोजन कहते हैं।
पंचवर्षीय योजना
प्रथम (1951-56) :
- इस योजना में कृषि पर ज्यादा जोर दिया गया।
- इसके योजनाकार और अर्थशास्त्री के. एन. राज थे।
- इसमें धीमी गति से विकास प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया था।
- बांध सिंचाई भाखड़ा नांगल परियोजना भूमि सुधार पर जोर दिया गया।
द्वितीय (1956-61) :
- उद्योगों पर ज्यादा जोर दिया गया।
- इस योजना के योजनाकार और अर्थशास्त्री पी.सी. महालनोविस थे।
- तेज गति से विकास करने का लक्ष्य रखा गया।
- देशी उद्योगों का संरक्षण आयात पर भारी शुल्क बिजली, रेलवे, इस्पा, संचार पर ध्यान दिया गया।
*यह सोवियत संघ से लिया गया है इसमें सरकार एक दस्तावेज तैयार करेगी जिसमें अगले 5 वर्ष के आमदनी और खर्च की योजना होगी।
केरल मॉडल :
- केरल में विकास और नियोजन के लिए जो मॉडल अपनाया गया उसे केरल मॉडल के नाम से जाना जाता है।
- केरल मॉडल में सबसे ज्यादा जोर शिक्षा, स्वास्थ्य, भूमि सुधार, कारगर खाद्य वितरण और गरीबी उन्मूलन पर दिया गया।
Q.1 कृषि बनाम उद्योग की स्थिति को लेकर भारत के प्रधानमंत्री "चौधरी चरण सिंह" किस प्रकार कृषि की आलोचना की?
- चौधरी चरण सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आयोजन में कृषि को केंद्र में रखने के बाद बड़े विचारक और दमदार ढंग से उठाई थी।
- उन्होंने कहा कि योजन से शहरी और औद्योगिक तब के सम्मिलित हो रहे हैं और इसकी कीमत किसानों और ग्रामीण जनता को चुकानी पड़ रही है।
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत की।
- सिंचाई परियोजनाएं शुरू की।
विकास के दो प्रमुख मॉडल :-
- पूंजीवादी मॉडल : इस मॉडल में विकास का काम पूर्ण रूप से निजी क्षेत्र के भरोसे पर होता है।
- समाजवादी मॉडल : समाजवादी मॉडल में निजी संपत्ति को खत्म कर दिया जाता है और हर तरह के उत्पादन पर राज्य का अधिकार होता है।
Q. 2 भारतीय अर्थव्यवस्था को मिले-जुले मॉडल की आलोचना दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों में किस प्रकार की?
- आलोचकों का कहना है कि योजनाकारों ने निजी क्षेत्र को पर्याप्त जगह नहीं दी है और ना ही निजी क्षेत्र के विकास के लिए कोई उपाय किया गया है।
- विशाल सार्वजनिक क्षेत्र में ताकतवर निहित स्वार्थों को खड़ा किया है और लाइसेंस तथा परमिट की प्रणाली खड़ी करके निजी पूंजी की राह में समस्याएं खड़ी की है।
- सरकार ने ऐसी चीजों के आयात पर भी बाधा लगा रखी है, जिन्हें घरेलू बाजार में बनाया जा सकता है।
- इस प्रकार का प्रतिबंध लगाने से निजी क्षेत्र के पास अपने वादों की गुणवत्ता सुधारने अथवा उन्हें सस्ता करने की कोई हड़बड़ी नहीं है, सरकार ने अपने नियंत्रण में जरूरत से ज्यादा चीजें रखी है इससे भ्रष्टाचार और कुशलता बढ़ी है।
- कुछ आलोचकों का यह मानना है कि सरकार ने शिक्षा और चिकित्सा पर कुछ खास धनराशि खर्च नहीं की है, सरकार ने केवल उन्हीं क्षेत्रों में हस्तक्षेप किया जहां निजी क्षेत्र जाने के लिए तैयार नहीं था।
- अनुज को ने आरोप लगाया कि राज्य के हस्तक्षेप के कारण एक नया मध्यमवर्ग उठ खड़ा हुआ है जो बगैर जिम्मेदारी के मोटी तनख्वाह सहित अन्य सुविधाओं को भोग रहा है इस अवधि में गरीबी से ज्यादा कमी नहीं आई गरीबों का प्रतिशत कुल जनसंख्या में भले कम हुआ हो लेकिन उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
जे.सी. कुमारप्पा :-
- भारत के मुख्य व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट थे।
- इन्होंने अमेरिका व इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त की थी।
- यह महात्मा गांधी के अनुयाई थे।
- "इकोनॉमी ऑफ परमानेंट" के लेखक व योजना आयोग के सदस्य थे।
पूंजीवादी और समाजवादी मॉडम :-
पंजीवादी मॉडल
- इस मॉडल को अमेरिका ने अपनाया था।
- निजीकरण को महत्व दिया जाता है।
- इसमें खुली प्रतिस्पर्धा होती है।
- मजदूरों का शोषण किया जाता है।
- बाजारमूलक अर्थव्यवस्था होती है।
- अधिक से अधिक व्यापार पर ध्यान दिया जाता है।
समाजवादी मॉडल
- सोवियत संघ ने इसे अपनाया था
- निजीकरण का विरोध किया गया है।
- इसमें समानता पर बल दिया गया है।
- समाजवादी मॉडल सरकार का स्वामित्व होता है।
- सरकार नीति बनाती है।
- नेहरू जी समाजवाद के समर्थक थे।
पहली पंचवर्षीय योजना दूसरी पंचवर्षीय योजना से भिन्न थी:-
- दूसरी पंचवर्षीय योजना में भारी औद्योगिक पर बल दिया।
- दूसरी पंचवर्षीय योजना की कोशिश तीव्र गति से संरचनात्मक परिवर्तन करने की थी। यह पहली पंचवर्षीय योजना की तरह धीमी गति से नहीं चलना चाहती थी।
- पी. सी. महालनोविस के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों और योजनाकार की एक टोली ने दूसरी पंचवर्षीय योजना तैयार की थी।
प्रथम पंचवर्षीय योजना :-प्रथम पंचवर्षीय योजना की शुरुआत 1950-56 में हुई थी इस योजना की मुख्य देश को गरीबी के मकड़जाल से निकालना था।
प्रथम पंचवर्षीय योजना को लेकर के. एन. राज की दलील :-इनका सुझाव था कि भारत को पहले दो दशक विकास की धीमी गति रखनी चाहिए कि रिश्तेदार विकास से अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
पी.सी. महालनोविस :-
पीसी महालनोविस अंतरराष्ट्रीय स्तर के विख्यात वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। इन्हीं के नेतृत्व में दूसरी पंचवर्षीय योजना का स्वरूप तैयार किया गया था। इन्होंने ही भारतीय सांख्यिकी संस्थान की नींव रखी थी।
Note :-
- हीराकुंड बांध महा नदी पर बनाया गया है जो पूर्ण रूप से उड़ीसा में स्थित है यहां कुल 15 किलोमीटर लंबा बांध है।
- 1960 का दशक भारत में बांध संकट के नाम से जाना जाता है।
- सन् 1950 और 80 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था 3-3.5 प्रतिशत की धीमी गति से आगे बढ़ रही थी।
- AMUL :- Anand Milk Union Limited
1960 के खाद्य संकट का बिहार पर प्रभाव :-
- 1960 के खाद संकट की सबसे ज्यादा मार बिहार पर पड़ी थी। इस राज्य के लगभग 9 जिलों में उत्पादन आधा हो गया था।
- बिहार के अनेक हिस्सों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन का आहार 2200 कैलोरी से घटकर 1200 कैलोरी हो गया था जबकि एक सामान्य व्यक्ति के लिए 2450 कैलोरी की आवश्यकता होती है।
- 1967 में बिहार की मृत्यु दर पहले की तुलना में 34% बढ़ी गई थी।
खाद संकट के परिणाम :-
- सरकार को गेहूं का आयात करना पड़ा और विदेशी मदद (खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका की) भी स्वीकार करनी पड़ी।
- खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जाए।
"क्रांति" (1960 के दशक में) :-
हरित क्रांति श्वेत क्रांति
1967-68 जनक - वर्गीज कुरियन
जनक - नॉर्मन बोरलॉग "Milkman of India"
हरित क्रांति
- हरित क्रांति खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए की गई थी, जिसने विशेष रूप से गेहूं और चावल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने बीज, उर्वरक, कीटनाशक और बेहतर सिंचाई सुविधा बड़े कम मूल्य पर देना शुरू किया। जिसे हरित क्रांति कहा जाता है।
हरित क्रांति के सकारात्मक परिणाम :-
- गरीब किसानों और भू स्वामियों के बीच का अंतर मुखर हो उठा इससे देश के अनेक इस समय वामपंथी संगठनों के लिए गरीब किसानों को लामबंद करने की वजह से अनुकूल स्थिति उत्पन्न हुई।
- हरि क्रांति के कारण कृषि में मझोले दर्जी के किसानों यानी मध्यम श्रेणी के भू-स्वामियों वाले किसानों का उभार हुआ।
हरित क्रांति के नकारात्मक परिणाम :-
- इस प्रक्रिया में धनी किसानों और बड़े भू स्वामियों को अधिक फायदा हुआ, जन से किसानों के जमींदारों के मध्य दूरी बढ़ा दी।
- इस क्रांति के खेतीहर पैदावर में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ और देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई।
- पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाके कृषि के लिहाज से समृद्ध हो गए जबकि बाकी इलाके खेती के मामले में पिछड़े रहे हैं।
श्वेत क्रांति :-
- गुजरात का आनंद शहर दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है इसमें गुजरात के 25 लाख दूध उत्पादक जुड़े हुए।
- ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के साथ से शुरू किया गया अमूल सहकारी आंदोलन को श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाता है।
ऑपरेशन फ्लड :-
- सन 1970 में ऑपरेशन फ्लड के नाम से एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू किया गया।
- सन् 1967 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया 'प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी' के द्वारा।
सन 1980 के दशक के बाद से अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका को कम कर दिया गया :-
- सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उद्योगों में भ्रष्टाचार और कुशलता का ही और बढ़ा। नौकरशाही भी आर्थिक विकास में ज्यादा सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रही थी।
- सार्वजनिक क्षेत्र तथा नौकरशाही के प्रति शुरू शुरू में लोगों में गहरा विश्वास था परंतु बाद के बदलते माहौल मे यह विश्वास टूट गया।
- इसीलिए नीति निर्माताओं कार्य जनता का विश्वास टूटता देखा इसलिए 1980 में राज्य की भूमिका को को कम कर दिया गया।