Class 6 geography Chapter 01 Notes
"सौरमंडल में पृथ्वी नोट्स"
- पूर्ण चंद्रमा महीने में केवल एक बार दिखाई देता हैं। पूर्ण चंद्रमा वाली रात को पूर्णिमा की रात कहते हैं।
- पूर्णिमा के पंद्रह दिन बाद अमावस्या आती हैं। अमावस्या के रात में अगर आसमान साफ हो तो आप आसमान का अवलोकन (ध्यानपूर्वक देखना) अच्छी तरह से कर सकते हैं।
खगोलीय पिंड:- सूर्य, चंद्रमा तथा सभी वस्तुएं जो रात के समय आसमान में चमकती हैं। खगोलीय पिंड कहलाती हैं।
तारा:- कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं यह गैसों से बने होते हैं इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता हैं जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं इन खगोलीय पिंडों को तारा कहते हैं। सूर्य भी एक तारा है।
नक्षत्रमंडल:- रात को आसमान में तारों के समूह कई प्रकार के विभिन्न आकृतियां बनाती है। यह नक्षत्र मंडल कहलाते हैं। अरसा मेजर या बिग बियर इसी प्रकार का एक नक्षत्र मंडल है।
ध्रुव तारा:- उत्तर में दिखने वाला सबसे बड़ा तारा ध्रुव तारा कहलाता है। पुराने जमाने में लोग रात के समय उत्तर दिशा का पता इसी तरह से लगाते थे।
ग्रह:- कुछ खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होता है वे तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं ऐसे पिंड ग्रह कहलाते हैं। जिसे अंग्रेजी में प्लेनेट कहते हैं।
Planet:- planet (planetai) शब्द से बना है प्लानेटाई शब्द एक ग्रीक भाषा है जिसका अर्थ परिभ्रमक अर्थात चारों ओर घूमने वाले होता है।
पृथ्वी:- पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य से प्रकाश एवं ऊष्मा प्राप्त करती है। चंद्रमा से देखने पर पृथ्वी भी चंद्रमा की तरह ही चमकती हुई दिखाई देती है।
चंद्रमा:- चंद्रमा, पृथ्वी का एक उपग्रह है यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
सौरमंडल:- सूर्य आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड से मिलकर सौर्य मंडल का निर्माण करते हैं उसे हम सौर परिवार का नाम देते हैं जिसका मुख्य सूर्य है।
सूर्य:- सूर्य सौरमंडल के बीच में स्थित है। यह आकार में बहुत बड़ा है और बहुत ही गर्म गैसों से बना है। सूर्य का खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बांधे रखता है। सूर्य सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है लेकिन हम उसकी अत्यधिक तेज ऊष्मा को महसूस नहीं करते हैं क्योंकि सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद यह हमसे बहुत दूर है। सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।
ग्रह:- हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह है सूर्य से दूरी के अनुसार वे हैं : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्चून।
कक्षा:- सौरमंडल के सभी आठ ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं यह रास्ते दीर्घ वृत्ताकार में फैले हुए हैं यह कक्षा कहलाते हैं।
सौरमंडल शब्द का अर्थ:- पौराणिक रोमन कहानियों में 'सोल' सूर्य देवता को कहा जाता है। सौर शब्द का अर्थ है सूर्य से संबंधित इसलिए सूर्य के परिवार को सौरमंडल कहा जाता है।
Geography शब्द का अर्थ:- Geography एक अंग्रेजी शब्द है जिसे ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'पृथ्वी का विवरण'।
- Geologia (ज्योलॉजी):- पृथ्वी का अध्ययन।
- Geometria (ज्योमेट्री):- पृथ्वी का मापन।
- Geioeides (ज्योऑइड):- पृथ्वी के आकार के अनुरूप।
खगोलशास्त्री:- खगोलीय पिंडों एवं उनकी गति के संबंध में अध्ययन करने वाले को खगोल शास्त्री कहते हैं। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोल शास्त्री थे उन्होंने कहा था कि सभी ग्रह तथा चंद्रमा प्रवर्तित सूर्य प्रकाश के कारण चमकते हैं।
पृथ्वी:- सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है। आकार में यह पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। यह ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है यही कारण है कि इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है भू आभ का अर्थ है पृथ्वी के समान आकार।
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां संभवतः केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती है। पृथ्वी ना तो अधिक गर्म है और ना ही अधिक ठंडी यहां पानी एवं वायु उपस्थित है जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। वायु में जीवन के लिए आवश्यक गैस जैसे ऑक्सीजन मौजूद है इन्हीं कारणों से पृथ्वी सौरमंडल का अद्भुत ग्रह है। अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है क्योंकि इसकी दो तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है इसलिए इसे नीला ग्रह कहा जाता है।
चंद्रमा:- चंद्रमा पृथ्वी का केवल एकमात्र उपग्रह है इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक चौथाई है यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है यह हम से लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर है। चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है चंद्रमा की परिस्थितियां जीवन के लिए अनुकूल नहीं है इसकी सतह पर पर्वत मैदान एवं गड्ढे हैं जो चंद्रमा की सतह पर छाया बनाते हैं।
क्षुद्र ग्रह:- तारो, ग्रहों एवं उपग्रहों के अलावा भी बहुत सारे पिंड भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं इन पिंडों को क्षुद्र ग्रह कहते हैं यह मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं वैज्ञानिकों के अनुसार शुद्र ग्रह के ही भाग होते हैं जो कि बहुत वर्ष पहले विस्फोटक के बाद ग्रहों से टूट कर अलग हो गए।
उल्कापिंड:- सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने को उल्कापिंड कहते हैं। तारों वाले खुले आकाश में एक ओर से दूसरी ओर तक फैली चौड़ी सफेद पट्टी यह लाखों तारों का समूह हैं। यह पट्टी आकाशगंगा (मिल्की वे) कहलाती हैं। हमारा सौरमंडल इस आकाशगंगा का एक भाग है प्राचीन भारत में इसकी कल्पना आकाश में प्रकाश की एक बहती नदी से की गई थी। इस प्रकार इसका नाम आकाशगंगा पड़ा।
आकाशगंगा:- आकाशगंगा करोड़ो तारों बादलों तथा गैसों की एक प्रणाली है इस प्रकार की लाखो आकाशगंगा मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करती है।
प्रकाश की गति:- प्रकाश की गति लगभग 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर आने में 8 मिनट का समय लगता है।
नोट:
- चंद्रमा पर जाने वाला पहला व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग था।
- उपग्रह एक खगोलीय पिंड है जो ग्रहों के चारों और उसी प्रकार चक्कर लगाता है जिस प्रकार ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
मानव निर्मित उपग्रह:- अंतरिक्ष में पाए जाने वाले सेटेलाइट्स मानव निर्मित उपग्रह है।