Class 6 Geography Chapter 03 Notes:
"पृथ्वी की गतियां"
पृथ्वी दो प्रकार से गति करती है; घूर्णन, परिक्रमण।
घूर्णन: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना 'घूर्णन' कहलाता है।
परिक्रमण: सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
कक्षीय समतल: वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है उसे कक्षीय समतल कहते हैं।
प्रदीप्ति वृत्त: ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं।
अगर पृथ्वी की घूर्णन नहीं करे तो क्या होगा?
अगर पृथ्वी घूर्णन नहीं करेगी तो सूर्य की तरह वाले पृथ्वी के भाग में हमेशा दिन होगा जिसके कारण उस भाग में गर्मी लगातार पड़ेगी। दूसरे भाग में हमेशा अंधेरा रहेगा एवं पूरे समय ठंड पड़ेगी इस तरह की अवस्था में जीवन संभव नहीं हो पाएगा।
- पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों और कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है।
- पृथ्वी 1 वर्ष या 365,1/4 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हम लोग 1 वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं इसलिए प्रत्येक 4 वर्ष में लीप वर्ष होता है जिसमें 366 दिन होते हैं।
- 1 वर्ष को गर्मी, सर्दी, वसंत और शरद ऋतु में बांटा जाता है ऋतु में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।
- 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तरी अयनांत कहते हैं।
- 22 दिसंबर को दक्षिणी ध्रुव में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिणी अयनांत कहते हैं इसके ठीक विपरीत या उल्टा उत्तरी गोलार्ध में होता है।
विषुव: 21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत वृत्त पर सीधी पड़ती है। इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की और नहीं छुका होता है इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं इसे विषुव कहा जाता है।
- 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है। 21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है जब उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है।
- पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है जो इसके कक्षीय सतह से 66.5° डिग्री का कोण बनाते हैं।