Class 6 Geography Chapter 05 Notes:
"पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल"
भूमंडल: पृथ्वी का ठोस भाग (जमीन) जिस पर हम रहते हैं उसे भूमंडल कहा जाता है।
वायुमंडल: ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा दूसरी गैसों की परत जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरती है उसे वायुमंडल कहा जाता है।
जलमंडल: पृथ्वी के बहुत बड़े भाग पर जल पाया जाता है जिससे जलमंडल का जाता है।
नोट: बड़े स्थलीय भूभाग को महाद्वीप तथा बड़े जलाशय को महासागरीय बेसिन कहा जाता है।
- विश्व का सबसे ऊंचा शिखर माउंट एवरेस्ट है इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,848 मीटर है।
- विश्व का सबसे गहरा भाग प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त है जिसकी गहराई 11,022 मीटर है।
नोट:
- न्यूजीलैंड के 'एडमंड हलेरी' तथा भारत के 'तेनजिंग नौर्गे शेरपा' 29 मई 1953 को पृथ्वी की सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे।
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला जापान की 'जुंको ताबेइ' थी। जो 16 मई 1975 को चढ़ी थी।
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली महिला 'बचेंद्री पाल' थी जो 23 मई 1984 को चढ़ी थी।
- पृथ्वी पर सात प्रमुख महाद्वीप है एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका।
एशिया महाद्वीप
- एशिया विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है।
- यह पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग में फैला है।
- यह महाद्वीप पूर्वी गोलार्ध में स्थित है कर्क रेखा किस महाद्वीप से होकर गुजरती है।
- एशिया के पश्चिम में यूराल पर्वत है जो इसे यूरोप से अलग करता है।
- यूरोप एवं एशिया के संयुक्त भूभग को यूरेशिया कहा जाता है।
यूरोप महाद्वीप
- यूरोप एशिया से बहुत छोटा है यह महाद्वीप एशिया के पश्चिम में स्थित है।
- आर्कटिक वृत्त इससे होकर गुजरता है यह तीन तरफ से जल से घिरा है।
अफ्रीका महाद्वीप
- अफ्रीका एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
- विषुवत वृत्त या 0° अक्षांश इस महाद्वीप के लगभग मध्य भाग से होकर गुजरती हैं।
- अफ्रीका का बहुत बड़ा भाग उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। इस महाद्वीप से कर्क, विषुवत तथा मकर तीनों रेखाएं होकर गुजरती है।
- सहारा का रेगिस्तान विश्व का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है जो कि अफ्रीका में स्थित है।
- विश्व की सबसे लंबी नदी 'नील' अफ्रीका से होकर गुजरती है।
उत्तर अमेरिका महाद्वीप
- उत्तर अमेरिका विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
- यह दक्षिण अमेरिका से एक संकरे स्थल से जुड़ा है जिसे पनावा स्थल संधि कहा जाता है।
- यह महाद्वीप पूरी तरह से उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्ध में स्थित है यह महाद्वीप तीन महासागरों से घिरा है उत्तर में आर्कटिक महासागर, पूर्व में अटलांटिक महासागर और पश्चिम में प्रशांत महासागर।
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप
- दक्षिण अमेरिका का अधिकांश भाग दक्षिण गोलार्ध में स्थित है।
- दक्षिण अमेरिका के पूर्व और पश्चिम में अंध महासागर (Atlantic Ocean) और प्रशांत महासागर स्थित है।
- विश्व की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला एंडीज इसके उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है।
- दक्षिण अमेरिका में विश्व की सबसे बड़ी नदी 'अमेज़न' बहती है।
ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप
- ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे छोटा महाद्वीप है जो कि पूरी तरह से दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है।
- यह चारों तरफ से महासागरों तथा समुद्रों से गरा है इसे द्वीपीय महाद्वीप कहा जाता है।
अंटार्कटिका महाद्वीप
- अंटार्कटिका एक बहुत बड़ा महाद्वीप है जोकि दक्षिण गोलार्ध में स्थित है।
- दक्षिण ध्रुव इस महाद्वीप के मध्य में स्थित है। चूंकि यह दक्षिण ध्रुव में स्थित है इसलिए यह हमेशा मोटी बर्फ की परतों से ढका रहता है।
- यहां किसी भी प्रकार का स्थाई मानव निवास नहीं है बहुत से देशों के शोध केंद्र यहां स्थित है।
- अंटार्कटिका महाद्वीप में भारत के भी शोध संस्थान स्थित है इनके नाम 'मैत्री' तथा 'दक्षिण गंगोत्री' है।
नोट: ऑस्ट्रेलिया को द्वीपीय महाद्वीप कहा जाता है।
जलमंडल
- पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है क्योंकि पृथ्वी पर 71 प्रतिशत भाग जल तथा 29% भाग स्थल है।
- जल मंडल में जल के सभी रूप उपस्थित है इसमें महासागर एवं नदियां, झीलें, हिम नदियां, भूमिगत जल तथा वायुमंडल की जलवाष्प सभी सम्मिलित है।
- पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का 97% से अधिक भाग महासागरों में पाया जाता है एवं यह जल इतना खड़ा होता है कि पीने लायक नहीं है।
- 3% शेष जल का बहुत बड़ा भाग बर्फ की परतों एवं हिम नदियों तथा भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है।
- जल का बहुत कम भाग पीने लायक है जो मनुष्य के इस्तेमाल में आता है यही कारण है कि नीले ग्रह में रहने के बावजूद हम पानी की कमी महसूस करते हैं।
महासागर: महासागरीय जल हमेशा गतिशील रहता है तरंगे, ज्वार भाटा तथा महासागरीय धाराएं महासागरीय जल की तीन मुख्य गतियां हैं।
पृथ्वी पर पांच प्रमुख महासागर: प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, दक्षिण महासागर तथा आर्कटिक महासागर।
प्रशांत महासागर
- प्रशांत महासागर सबसे बड़ा महासागर है यह पृथ्वी के एक तिहाई भाग पर फैला है।
- पृथ्वी का सबसे गहरा भाग मेरियाना गर्त प्रशांत महासागर में स्थित है।
- प्रशांत महासागर लगभग वृत्ताकार है एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका इसके चारों ओर स्थित है।
अटलांटिक महासागर
- अटलांटिक महासागर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है।
- इसके पश्चिम किनारे पर उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका है तथा पूर्वी किनारे पर यूरोप एवं अफ्रीका।
- अटलांटिक महासागर की तट रेखा बहुत अधिक दंतुरित है।
- यह अनियमित एवं तंदुरित तट रेखा, प्राकृतिक पोताश्रय एवं पत्नों के लिए आदर्श स्थित है।
- व्यापार की दृष्टि से यह सबसे व्यस्त महासागर है।
हिंद महासागर
- हिंद महासागर ही एक ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर यानी भारत के नाम पर रखा गया है।
- यह महासागर लगभग त्रिभुजाकार है इसके उत्तर में एशिया, पश्चिम में अफ्रीका तथा पूर्व में ऑस्ट्रेलिया स्थित है।
दक्षिण महासागर
दक्षिण महासागर अंटार्कटिका महाद्वीप को चारों ओर से घेरता है यह अंटार्कटिका महाद्वीप से उत्तर की ओर 60° डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक फैला हुआ है।
आर्कटिक महासागर
- आर्कटिक महासागर उत्तर ध्रुव वृत्त में स्थित है तथा यह उत्तर ध्रुव के चारों ओर फैला है।
- यह प्रशांत महासागर से छिछले जल वाले एक संकरे भाग से जुड़ा है जिसे बेरिंग जल संधि के नाम से जाना जाता है।
- यह उत्तर अमेरिका के उत्तरी तटों तथा यूरेशिया से घिरा है।
वायुमंडल
- हमारी पृथ्वी के चारों ओर से गैस की एक तरफ से गिरी हुई है जिसे वायुमंडल कहा जाता है।
- वायुमंडल 1,600 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला है वायुमंडल को 5 परतों में बांटा गया है क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल, आयन मंडल तथा बहिर्मंडल।
- हमारा वायुमंडल मुख्यतः ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन का बना है। जिसमें 78% नाइट्रोजन तथा 21% ऑक्सीजन है 1% में कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन इत्यादि गैस शामिल है।
- अधिक ऊंचाई पर जाने पर हमें वायुमंडल में गैसों की कमी देखने को मिलती है जिसकी वजह से हमें अधिक ऊंचाई पर सांस लेने में कठिनाई होती है।
जीवमंडल
- जीवमंडल स्थल जल तथा हवा के बीच का एक सीमित भाग है यह हुआ भाग है जहां जीवन मौजूद है।
- जी मंडल के प्राणियों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है जंतु जगत तथा पादप जगत।
भूमंडलीय तापन: कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है इसे भूमंडलीय तापन कहते हैं।