Class 6 Geography Chapter 06 Notes
"पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप"
बाह्य प्रक्रिया: बाह्य प्रक्रिया स्थल के लगातार बनने एवं टूटने की प्रक्रिया है।
अपरदन: पृथ्वी की सतह के टूट कर गिर जाने को अपरदन कहते हैं।
निक्षेपन: निक्षेपन एक ऊष्मागतिक प्रक्रिया है जिसमें कोई गैस, ठोस बन जाती है।
- अपरदन तथा निक्षेपन यह दो प्रक्रिया बहते हुए जल वायु तथा बर्फ के द्वारा होती है।
पर्वत: पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊंचाई है पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है या आसपास के क्षेत्र से बहुत ऊंचा होता है।
हिमानी: कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियां होती है उन्हें हिमानी कहा जाता है।
श्रृंखला: पर्वत एक रेखा के क्रम में व्यवस्थित हो सकते हैं जिसे श्रृंखला का जाता है।
पर्वत मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं: वलित पर्वत, भ्रंशोत्थ पर्वत ज्वालामुखी पर्वत।
वलित पर्वत: पर्वत के ऊपर खबर तथा शिखर शंक्वाकार होते हैं वह वलित पर्वत होते हैं। हिमालय तथा आल्पस वलित पर्वत है।
भ्रंशोत्थ पर्वत: जब बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा उधर्वधार (सीधा खड़ा) रूप से व्यवस्थित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वत का निर्माण होता है।
ज्वालामुखी पर्वत: ज्वालामुखी पर्वत ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बनते हैं। अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो तथा जापान का फ्यूजियामा इस तरह के पर्वत के उदाहरण है।
पर्वतों पर खेले जाने वाले खेल:
- पैराग्लाइडिंग
- ग्लाइडिंग
- रिवर राफ्टिंग
- स्कीइंग
पठार
- पठार उठी हुई एवं सपाट भूमि होती है। यह आसपास के क्षेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है तथा इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट होता है।
- किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं जिनके ढाल खड़े होते हैं।
- पठानों की ऊंचाई पर आए कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है।
नोट: तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊंचा पठार है जिसकी ऊंचाई माध्यम समुद्र तल से 4000 से 6000 मीटर तक है।
पठार किस प्रकार उपयोगी होते हैं?
- पठार बहुत उपयोगी होते हैं क्योंकि उनमें खनिजों की प्रचुरता होती है अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरो के खनन के लिए प्रसिद्ध है।
- लावा पठार में काली मिट्टी की प्रचुरता होती है जो उपजाऊ है एवं खेती के लिए काफी अच्छी होती है।
- पठारी क्षेत्र में बहुत से जलप्रपात हो सकते हैं क्योंकि यहां नदियां ऊंचाई से गिरती है।
- कई पत्रों में रमणीय स्थल होते हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
मैदान: मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वह सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊंचे नहीं होते हैं कुछ मैदान काफी समतल होते हैं कुछ उर्मिल तथा तरंगित हो सकते हैं। अधिकांश मैदान नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने हैं।
मैदान कैसे बनते हैं? / मैदान का निर्माण कैसे होता है?
नदिया पर्वतों के डालो पर नीचे की ओर बहती है तथा उन्हें अपरदित कर देती है वे अपरदीत पदार्थों को अपने साथ आगे की ओर ले जाती है अपने साथ ले जाने वाले पदार्थों जैसे: पत्थर, बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती है इन्हीं निक्षेपो से मैदान का निर्माण होता है।
मनुष्य के लिए पर्वत किस प्रकार उपयोगी है?
- पर्वत चल के संग्रहागार होते हैं। बहुत सी नदियों का स्रोत पर्वतों में स्थित हिमानी में होता है।
- जलाशयों के जल को लोगों तक पहुंचाया जाता है पर्वतों के जल का उपयोग सिंचाई तथा पन बिजली के उत्पादन में भी किया जाता है।
- नदी घाटियां तथा वैदिकाय कृषि के लिए उपयुक्त होती है। पर्वतों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियां तथा जीव जंतु पाए जाते हैं।