"Class 12 Political Science 2nd Book Chapter 04 Notes"
"भारत के विदेश संबंध"
विदेश नीति :-
- विदेश नीति से अभिप्राय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए अन्य देशों की नीति में परिवर्तन करवाने से है।
भारत के विदेश नीति का लक्ष्य :-
- किसी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के लिए आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक और सैनिक संबंधों से भी संबंधित हो सकता है।
- भारत में अपनी विदेश नीति में सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान तथा शांति कायम करके अपनी सुरक्षा प्राप्त करने का उदेश्य रखा है।
विदेश नीति का उद्देश्य :-
- किसी भी देश का विदेश नीति का उद्देश्य होता है कि नीति का निर्धारण करने वाले देश अन्य देशों के व्यवहार में अपने हित के अनुसार परिवर्तन लाने का प्रयास करें।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस :-
- ये देश के उन राष्ट्रवादियों में से एक थे जिन्होंने न केवल देश में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला बल्कि इन्होंने विदेश में रह रहे "NRI" व भारतीयों को भी अंग्रेजों के खिलाफ किया।
- बॉस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक में हुआ था परंतु उनका पारिवारिक संबंध बंगाल से था बॉस विदेश से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब भारत आए तो उन्होंने "इंडियन नेशनल कॉन्फ्रेंस" को ज्वाइन कर लिया।
- बस की मृत्यु के बारे में आज तक एक रहस्य बना हुआ है उनकी मृत्यु कब कहां और कैसे हुई किसी को पता नहीं।
- सरकार द्वारा इनकी मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए कमेटियों का गठन तो कर लिया गया है परंतु एक भी कमेटी इनकी मृत्यु के कारणों का पता लगाने असफल रही।
नोट :-
- INA - INDIAN NATIONAL ARMY की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी।
- भारत के पहले प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में 1946-1964 तक पंडित जवाहरलाल नेहरु जी रहे।
- Dr. Bheemrav Ambedkar जी चाहते थे कि भारत को अमेरिका के साथ ज्यादा नजदीकी बढ़ानी चाहिए क्योंकि इसके में की प्रतिष्ठा लोकतंत्र की हिमायती के रूप में थी।
- स्वतंत्र भारत की दो पार्टियां थी जो अमेरिका के पक्ष में विदेश नीति बनाने की सिफारिश की थी :- 1. भारतीय जनसंघ, 2. स्वतंत्र पार्टी
- सन 1949 में चीनी क्रांति हुई
- गुट निरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन 1961 में युगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में हुआ।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्यालय बेलग्रेड में है।
- 29 अप्रैल 1954 में भारत के प्रधानमंत्री नेहरू और चीन के प्रमुख चाउ एन लाई के बीच पंचशील समझौता हुआ।
- तिब्बत के धार्मिक नेता "दलाई लामा" 1959 में भारत आया था।
- सन 1949 में इंडोनेशिया आजाद हुआ।
- CTBT : Comprehensive Test Ban Treaty
- भारत में पहली बार 1977 में जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी।
- अरब-इजरायल युद्ध 1973 में हुआ था।
- सन 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के सलाहकार हेनरी किस किंजर ने चीन का दौरा किया था।
नेहरू जी के विदेश नीति के प्रमुख तत्व :-
- कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना
- क्षेत्रीयअखंडता को बनाए रखना
- तेज गति से आर्थिक विकास करना
भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांत :-
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास
- गुटनिरपेक्ष की नीति
- पंचशील समझौता
- साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध
- विश्व शांति के लिए प्रयास
- लोकतंत्र का सम्मान
- मानवाधिकारों का सम्मान
- विभिन्न देशों के बीच शांति और मित्रता बढ़ाना।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब सारी दुनिया दो गुटों में बट गई थी तो ऐसे में भारत ने दोनों ही गुटों से अलग रहने का फैसला किया और भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई।
- भारत को आजादी मिलने के बाद भारत ने दुनिया के दूसरे देशों के साथ सहयोग का रास्ता अपनाया तथा अन्य उपनिवेश देशों की मुक्ति के लिए प्रयास किया।
भारत के दोनों के खेमों से दूरी का कारण :-
- आजाद भारत की विदेश नीति में शांतिपूर्ण विश्व का सपना था इसलिए भारत ने दोनों खेलना से दूरी बनाई थी।
- भारत में अपने आप को नाटो (NATO) और वारसा संगठन से दूर रखा।
- भारत ने हमेशा से विभिन्न देशों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया।
भारत और अमेरिका के संबंध :-
- भारत अभी विकासशील देशों को गुटनिरपेक्षता की नीति के बारे में आश्वस्त करने में लगा था कि पाकिस्तान अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य संगठन में शामिल हो गया।
- इस वजह से अमेरिका और भारत के संबंधों में खटास पैदा हो गई और अमेरिका सोवियत संघ से भारत की बढ़ती हुई दोस्ती को लेकर भी नाराज था।
एफ्रो-एशियाई समझौता :-
- नेहरू के दौर में भारत ने अफ्रीका तथा एशिया के नव-स्वतंत्र देशों से संपर्क बनाए।
- 1950 के दशक में नेहरू ने एशियाई एकता की पैरों कारी की।
- भारत ने 1947 के मार्च में ही एशियाई संबंध सम्मेलन (Asian relations conference) आयोजित किया।
- भारत में इंडोनेशिया की आजादी में भरपूर प्रयास किया।
- भारत ने 1949 में इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया।
- भारत ने दक्षिण अफ्रीका में हो रहे रंगभेद का विरोध किया।
- एफ्रो एशियाई सम्मेलन 1955 में इंडोनेशिया के एक शहर बांडुंग में हुआ था, इसी सम्मेलन को बांडुंग सम्मेलन कहते हैं।
- अफ्रीका और एशिया के नव स्वतंत्र देशों के साथ भारत के बढ़ते संपर्क का चरण बिंदु था अर्थात बांडुंग सम्मेलन में ही गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी।
- 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दो भागों में विभाजित हो गई।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सोवियत संघ का पक्ष में और मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी चीन का समर्थक
- नागालैंड को प्रांत का दर्जा दिया गया मणिपुर और त्रिपुरा हालांकि केंद्र शासित प्रदेश थे लेकिन उन्हें अपनी विधानसभा के निर्वाचन का अधिकार मिला।
- रक्षा विभाग उत्पाद की स्थापना 1962 में हुई।
- लक्ष आपूर्ति विभाग की स्थापना 1965 में।
वी.के. कृष्ण मैनन :-
- 1943-47 के बीच इंग्लैंड की राजनीति में सक्रिय रहे थे 1956 के बाद संघ के कैबिनेट सदस्य के रूप में 1957 में रक्षा मंत्री 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
*1962 में चीन ने हमला किन दो स्तरों पर किया था?
- चीन 1962 के अक्टूबर में दोनों (अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्से) विवादित क्षेत्रों में तेजी तथा व्यापक स्तर पर हमला किया पहला हमला 1 हफ्ते तक चला और इस दौरान चीन की सेना अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा करती चली गई।
- लद्दाख से लगे पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना ने चीन की बढ़त को रोका लेकिन पूर्व में चीनी सेना आगे बढ़ते हुए मैदानी उत्सव के प्रवेशद्वार तक पहुंच गई, आखिरकार एकतरफा युद्धविराम हुआ।
चीन युद्ध से भारत की छवि को देश और विदेश दोनों जगह धक्का लगा :-
- 1962 के चीन हमले से भारत के विदेश नीति को धक्का लगा।
- इस युद्ध के धक्के से निकलने के लिए भारत ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से सैन्य मदद लेनी पड़ी सोवियत संघ इस संकट की घड़ी में तटस्थ बना रहा।
- कुछ सैन्य कमांडरों ने इस्तीफा दे दिया या तो अवकाश ग्रहण कर लिया। नेहरू जी के नजदीकी सहयोगी और तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन को भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
- नेहरू जी की छवि भी थोड़ी धूमिल हुई जिनके इरादे को समय रहते ना भाप सपने और सैन्य तैयारी ना कर पाने को लेकर नेहरू की बड़ी आलोचना हुई।
- पहली बार उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और लोकसभा में बहस भी हुई इसके बाद कांग्रेस को होने वाले उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
- युद्ध से भारतीय राजनीतिक दलों में भी मतभेद देखने को मिली कुछ नेता व दल चीन के पक्ष में थे तो कुछ विरोध में इस युद्ध व चीन सोवियत संघ के बीच भाजपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) के रूप में।
1962 के बाद भारत और चीन के संबंध :-
- सन 1962 के युद्ध के बाद भारत और चीन के संबंधों को सामान्य होने में करीब 10 साल लग गए।
- सन में दोनों देशों के बीच पूर्व राजनयिक संबंध हो सके।
- सन 1979 में भारत के विदेश मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई चीन गए दोनों देशों के नेताओं के बीच वार्ता हुई।
- नेहरू के बाद राजीव गांधी चीन के दौरे पर गए और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध हुए।
- 1962 के बाद भारत में अपने सीमित संसाधन रक्षा के क्षेत्र में लगाने पड़े।
"चीन"
- क्रांति
1949 में
- राजनीति पार्टी
- भाषा
चीनी
- प्रधानमंत्री
ली क्यांग
- राष्ट्रपति
शी जिनपिंग
- क्षेत्रफल
9.6 लाख वर्ग किलोमीटर
- जनसंख्या
137 करोड़
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- GDP
6.7
सन 1965 का युद्ध :-
- अप्रैल 1965 में गुजरात के कच्छ इलाके के रण में
- अगस्त से सितंबर 1965 जम्मू कश्मीर में
पाकिस्तान के साथ युद्ध और शांति (6 Mask):-
प्रस्तावना : भारत और पाकिस्तान एशिया के दो प्रमुख देश हैं सन 1947 से पहले दोनों देश कभी एक ही भूभाग के हिस्से थे लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और संप्रदायिक हिंसा के कारण इस भूभाग के टुकड़े हो गए और भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्र अस्तित्व में आए।
- सन 1947 में पाकिस्तान के कव्वाली घुसपैठ ने जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की जिसके कारण युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई जिसे छाया युद्ध के नाम से जाना गया यह युद्ध पूर्ण व्यापी युद्ध का रूप नहीं ले सका इसलिए से युद्ध नहीं कहा जाता है।
- कश्मीर के सवाल पर हुए संघर्ष के बावजूद भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच संयोग संबंध कायम हुए दोनों सरकारों ने मिलजुल कर प्रयास किया कि बंटवारे के समय जो महिलाएं अपहरण हुई थी उन्हें अपने परिवार के पास लौटाया जा सके।
- 1965 के अप्रैल में पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ इलाके के रण में सैनिक हमला बोला उसके बाद जम्मू-कश्मीर में उसने अगस्त सितंबर के महीने में बड़े पैमाने पर हमला किया पाकिस्तान की नेता को उम्मीद थी कि जम्मू-कश्मीर की जनता उसका समर्थन करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना की बढ़त को रोकने के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पंजाब की सिम आप की तरफ से जवाबी हमला करने के आदेश दिए दोनों देशों के बीच घनघोर लड़ाई हुई और भारत की सेना आगे बढ़ते हुए लाहौर के नजदीक पहुंच गई।
- 1965 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को बहुत ज्यादा सैन्य क्षति पहुंचाई लेकिन इस युद्ध से भारत के कठिन आर्थिक स्थिति पर और ज्यादा बोझ पड़ा।
"भारत-पाकिस्तान के बीच समझौते"
1. सिंधु नदी जल बंटवारा समझौता 1960, 19 सितंबर
- विश्व बैंक की सहायता से
- पाकिस्तान के अयूब खान और भारत के नेहरू
2. ताशकंद समझौता 1966, 10 जनवरी
- सोवियत संघ की मध्यस्था में
- पाकिस्तान से अयूब खान और भारत के लाल बहादुर शास्त्री
3. शिमला समझौता 1972, 3 जुलाई
- इंदिरा गांधी और जुल्फीअलीकार भुट्टो
भारत और पाकिस्तान 1971 का युद्ध :-
- सन 1970 में पाकिस्तान के सामने एक गहरा अंदरूनी संकट आ खड़ा हुआ था पाकिस्तान के पहले आम चुनाव में खंडित जनादेश आया जुल्फिकार अली भुट्टो की पार्टी पश्चिमी पाकिस्तान में विजय रही जबकि शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में जोरदार जीत हासिल की।
- आवामी लीग के इस जनादेश को पाकिस्तान के शासक स्वीकार नहीं कर पा रहे थे इसकी वजह से 1971 में पाकिस्तान की सरकार शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया और वहां के नागरिकों पर जुल्म ढाने लगी।जवाब में पूर्वी पाकिस्तान की जनता ने अपने इलाके यानी मौजूदा पाकिस्तान को मुक्त कराने के लिए संघर्ष छेड़ दिया।
- 1971 में पूरे साल भारत को 80 लाख शरणार्थियों का बोझ सहना पड़ा दिसंबर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया और 10 दिन के अंदर भारतीय सेना ने ढाका को तीन तरफ से घेर लिया और अपने 90000 सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
- 1971 के दिसंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्ण व्यापी युद्ध छिड़ गया पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने पंजाब और राजस्थान पर हमले किए जबकि उसकी सेना ने जम्मू कश्मीर में अपना मोर्चा खोला।
- जवाब में भारत में वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बूते पश्चिमी और पूर्वी मोर्चे से कार्यवाही की। अन्य लोगों के समर्थन और स्वागत के बीच भारतीय सेना पूर्वी इलाके में तेजी से आगे बढ़ी।
- बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय के साथ भारतीय सेना ने अपनी तरफ से एकतरफा युद्धविराम घोषित कर दिया।
कारगिल युद्ध :-
- 1999 में भारतीय इलाकों की सीमा रेखा मश्कोह, काकसर, द्रास और बतालिक पर मुजाहिदीन ने कब्जा कर लिया था।
- पाक सेना ने मुजाहिदीन संगठन की मिलीभगत थी।
- भारत की सेना तुरंत हरकत में आई और दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ा जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना गया।
- इस युद्ध में पूरे विश्व का ध्यान गया क्योंकि दोनों देश परमाणु संपन्न थे।
ऑपरेशन विजय :-
- कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ जो ऑपरेशन चलाया था उसे ऑपरेशन विजय के नाम से जाना गया।
- सेना के प्रमुख ने प्रधानमंत्री को इस मामले में अंधेरे में रखा।
- उसके बाद पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट हो गया।
भारत की परमाणु नीति का आरंभ :-
- भारत ने 1974 में परमाणु परीक्षण किया नेहरू जी ने भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विश्वास जताया था।
- भारत की परमाणु नीति की शुरुआत 1940 के दशक के अंतिम सालों में होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में ।
- भारत शांतिपूर्ण उद्देश्य तथा आत्मरक्षा के लिए अणु ऊर्जा बनाना चाहता था।
- साम्यवादी सांसद जी ने 1964 के अक्टूबर में परमाणु परीक्षण किया।
- सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों ने दुनिया के देशों पर 1968 में परमाणु अप्रसार की संधि को थोपना चाहा।
- भारत में इस संधि का विरोध किया और इस संधि पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया।
भारत की परमाणु नीति :-
- भारत अपनी आत्मरक्षा के लिए परमाणु हथियार रखेगा और हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा।
- शांति उद्देश्यों के लिए अणु शक्ति बनाई।
- निरस्त्रीकरण के लिए भारत तैयार हुआ।
अरब इजरायल युद्ध का भारत के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :-
- भारत इस वजह से आर्थिक समस्याओं से गिर गया था।
- भारत में मुद्रास्फीति बहुत ज्यादा बढ़ गई।