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Class 6 (S.S.T) History Chapter 07 Notes in Hindi | Education Flare

Class 6 (S.S.T) History Chapter 07 Notes in Hindi |मौर्य वंश के तीन महत्वपूर्ण राजा:- चंद्रगुप्त, बिंदुसार, अशोक। मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्

"Class 6 History Chapter 07 Notes"

Class 6 History Chapter 07 Notes in Hindi

'अशोक एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध का त्याग किया Notes'


वंश: जब एक ही परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं तो उन्हें वंश कहते हैं उदाहरण के तौर पर:- दादा, बेटा, पोता। यह सभी एक ही वंश कहलाएंगे।

  • मौर्य वंश के तीन महत्वपूर्ण राजा:- चंद्रगुप्त, बिंदुसार और अशोक थे।
  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 2300 साल पहले की थी।
  • मौर्य साम्राज्य की प्रमुख राजधानी:- पाटलिपुत्र, उज्जैन और तक्षशिला थी।
  • तक्षशिला उत्तर पश्चिम और मध्य एशिया के लिए आने जाने का एक महत्वपूर्ण मार्ग था।
  • उज्जैन उत्तरी भारत से दक्षिण भारत में आने जाने वाले रास्ते में पड़ता था।

          मौर्य साम्राज्य की परिस्थिति: मौर्य साम्राज्य के बहुत बड़े क्षेत्रों में किसानों और पशुपालकों के गांव बसे हुए थे। मध्य भारत जैसे इलाकों में ज्यादातर हिस्सा जंगलों से भरा हुआ था वहां पर लोग फल फूल को इकट्ठा और जानवरों का शिकार करके अपना जीवन चलाते थे। साम्राज्य के अलग अलग क्षेत्र में लोग अलग अलग प्रकार के भाषाएं बोलते थे, वे लोग शायद अलग अलग तरह का भोजन भी करते थे और यहां तक कि अलग-अलग तरह के कपड़े भी पहनते थे।

          राज्य, साम्राज्य से किस प्रकार भिन्न/अलग है?
          साम्राज्य राज्यों से बहुत बड़े होते हैं और उनकी रक्षा के लिए बहुत बड़ी सेनाओं की जरूरत होती है, इसलिए सम्राटों को राजाओं की तुलना में ज्यादा संसाधनों की जरूरत होती है। इसी वजह से राजाओं को बहुत सारे अधिकारियों की जरूरत कर इकट्ठा करने में होती है।

          'मौर्य साम्राज्य का प्रशासन'

          1). शासन व्यवस्था: मौर्य साम्राज्य क्षेत्रफल में बहुत बड़ा साम्राज्य था। इसलिए साम्राज्य के अलग-अलग इलाको पर अलग-अलग तरह से शासन किया जाता था। पाटलिपुत्र और उसके आसपास के इलाकों पर सम्राट का सीधा नियंत्रण था। गांव और शहरों के व्यापारियों, पशुपालको, किसानों और शिल्पकारों से कर इकट्ठा करने के लिए राजा अधिकारियों की नियुक्ति करता था जो राजा के आदेशों को नहीं मानते थे अधिकारी उनको सजा भी देते थे इनमें से कई अधिकारियों को वेतन भी दिया जाता था। संदेशवाहक एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे और राजा के जासूस अधिकारियों के कार्य कलाप पर नजर रखते थे। इन सबके ऊपर सम्राट था जो राज परिवार एवं वरिष्ठ मंत्रियों की सहायता से सब पर नियंत्रण रखता था।

          2). छोटे क्षेत्र व प्रांत: मौर्य साम्राज्य में बहुत सारे छोटे क्षेत्र व प्रांत थे। इन पर तक्षशिला या उज्जैन जैसी प्रांतीय राजधानियों से शासन किया जाता था। कुछ हद तक पाटलिपुत्र से इन क्षेत्रों पर नियंत्रण रखा जाता था और अक्सर राजकुमारों को वहां का राज्यपाल बना कर भेजा जाता था। लेकिन ऐसा लगता है कि इन जगहों पर स्थानीय परंपराओं और नियमों को ही माना जाता था।

          3). प्रादेशिक केंद्र: प्रादेशिक केंद्रों के बीच विस्तृत क्षेत्र थे। इनके इलाकों में मौर्य शासक सिर्फ मार्गों और नदियों पर नियंत्रण रखते थे जो कि व्यापारियों के आने जाने के लिए महत्वपूर्ण मार्ग थे। यहां से सम्राट को जो भी संसाधन, कर और भेंट मिला करते थे उसे इकट्ठा किया जाता था।

          4). जंगली इलाके: जंगल में रहने वाले लोग काफी हद तक स्वतंत्र थे। उनसे यह उम्मीद की जाती थी कि वह मौर्य पदाधिकारियों को हाथी, लकड़ी, मधु और मोम जैसी चीजें ला कर दें।

          नजराना: जहां कर नियमित ढंग से इकट्ठे किए जाते थे वहीं नजराना अनियमित रूप से जिन से संभव हो सके इकट्ठा किया जाता था ऐसे नजराने विभिन्न पदार्थों के रूप में प्राय ऐसे लोगों से लिए जाते थे जो अपनी इच्छा से इसे देते थे।

          अशोक एक महान सम्राट: अशोक मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे। वह ऐसे पहले शासक थे जिन्होंने अभिलेखों द्वारा लोगों तक अपने संदेश पहुंचाए। अशोक के ज्यादातर अभिलेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृतिक भाषा में है।

          सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद युद्ध त्याग क्यों किया? और धम्म का मार क्यों चुना?

          1). युद्ध का त्याग: अशोक के राजा बनने के 8 साल बाद अशोक ने कलिंग (उड़ीसा) को जीता। इस युद्ध में लगभग डेढ़ लाख लोग बंदी बना लिए गए और एक लाख से ज्यादा लोग मारे गए। इतने लोगों को मरता हुआ देख अशोक को बहुत दुख हुआ और उसका मन परिवर्तन हो गया।

          2). धम्म का मार्ग: कलिंग युद्ध जीतने के बाद अशोक को लगा जब किसी स्वतंत्र देश को जीता जाता है तो लाखों लोग मारे जाते हैं और बहुत सारे बंदी बनाए जाते हैं। इसमें ब्राह्मण और क्षमण भी मारे जाते हैं। जो लोग अपने सगे संबंधी और मित्रों को बहुत प्यार करते हैं तथा दाशो और मृतकों के प्रति दयावान होते हैं वह भी युद्ध में या तो मारे जाते हैं या अपने प्रियजनों को खो देते हैं। इन सब को देखने के बाद अशोक को पश्चाताप होता है और धम्म का पालन करने एवं दूसरों को इसकी शिक्षा देने का निश्चय करता है।


          अशोक का कलिंग युद्ध: कलिंग तटवर्ती उड़ीसा का प्राचीन नाम है। अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए एक युद्ध लड़ा लेकिन युद्धजनित हिंसा और खून खराबा देखकर उन्हें युद्ध से वितृष्णा हो गई उन्होंने निर्णय लिया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे।

          अशोक का धम्म:  अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी। उन्हें लगता था कि जैसे पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा देते हैं वैसे ही यह उनका कर्तव्य था कि अपनी प्रजा को निर्देश दे।

          अशोक ने धर्म का प्रचार कैसे किया?
          1). अशोक ने अपने धम्म के संदेश कई स्थानों पर शिलाओं और स्तंभों पर खुदवाए।
          2). अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि वे राजा के संदेश को उन लोगों को पढ़कर सुनाएं जो खुद पढ़ नहीं सकते थे।
          3). अशोक ने धम्म के विचारों को प्रसारित करने के लिए सीरिया, मिस्र, ग्रीस तथा श्रीलंका में भी दूत भेजे।

          चीन की महान दीवार: चीन की महान दीवार (द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना) लगभग 2400 वर्ष पहले निर्माण करना शुरू किया गया था। इस दीवार का निर्माण लगभग 2000 वर्षों तक चलता रहा। यह दीवार लगभग 6400 किलोमीटर लंबी है। हर 100 - 200 मीटर की दूरी पर इस पर निगरानी के लिए बुर्ज बने हुए हैं।


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