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Class 9 Geography Chapter 04 (जलवायु) Notes in Hindi

Class 9 Geography Chapter 04 जलवायु Notes in Hindi। मानसून: मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द मौसिम से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है मौसम।

"Class 9 Geography Chapter 04 Notes"

Class 9 Geography Chapter 04 Notes in Hindi

  • मानसून: मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द मौसिम से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है मौसम।
  • मानसून का अर्थ: 1 वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन से है।
  • भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है एशिया में इस प्रकार की जलवायु मुख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण पूर्व में पाई जाती है।
  • राजस्थान के मरुस्थल में तापमान 50° सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जबकि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में तापमान लगभग 20° सेल्सियस रहता है।
  • सर्दी के मौसम में रात के समय जम्मू कश्मीर में द्रास का तापमान -45° सेल्सियस तक हो सकता है।
  • केरल, अंडमान एवं निकोबार में दिन तथा रात का तापमान लगभग समान ही रहता है।

मेघालय में वर्षा: 400 सेन्टीमीटर।
राजस्थान में वर्षा: 10 सेन्टीमीटर।

  • भारत के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है लेकिन कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर एवं नवंबर में होती हैं।

'जलवायवी नियंत्रण'

किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रित करने वाले 6 प्रमुख कारक है: अक्षांश, ऊंचाई, वायु दाब एवं पवन तंत्र, समुद्र से दूरी, महासागरीय धाराएं तथा उच्चावच लक्षण।

  • तापमान विषुवत वृत्त से ध्रुवों की और घटता जाता है।
  • जब कोई व्यक्ति पृथ्वी की सतह से ऊंचाई की ओर जाता है तो वायुमंडल की संघनता कम होती जाती है तथा तापमान घट जाता है।
  • किसी भी क्षेत्र का वायुदाब एवं पवन तंत्र उस स्थान की अक्षांश तथा ऊंचाई पर निर्भर करती है।
  • महासागरीय धाराएं समुद्र से तट की और चलने वाली हवाओं के साथ तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करती है।
  • किसी स्थान की जलवायु को निर्धारित करने में उच्चावाच की भी महत्पूर्ण भूमिका होती हैं। ऊंचे पर्वत ठंडी अथवा गर्म हवा को अवरोधित करते हैं।

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक:

अक्षांश, ऊंचाई, वायु दाब एवं पवन, जेट धाराएं।

अक्षांश: देश के मध्य भाग पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर पूर्व में मिजोरम से होकर गुजरती है। देश का लगभग आधा भाग कर्कवृत्त के दक्षिण में स्थित है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है। कर्कवृत्त के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण कटिबंधीय है। इसलिए भारत की जलवायु में उष्णकटिबंधीय जलवायु एवं उपोष्ण कटिबंध जलवायु दोनों की विशेषताए उपस्थित है।

ऊंचाई: भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है जिस की औसत ऊंचाई लगभग 6000 मीटर है हिमालय मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को रोक भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से रोकता है इन्हें पर्वतों के कारण इस क्षेत्र में मध्य एशिया की तुलना में ठंड कम पड़ती है।

वायु दाब एवं पवन भारत में जलवायु तथा संबंधित मौसमी अवस्था निम्नलिखित वायुमंडलीय अवस्थाओं से संचालित होती है:
  • वायुदाब एवं धरातलीय पवने
  • उपरी वायु परिसंचरण तथा
  •  पश्चिमी चक्रवर्ती बिछोर एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात।

कोरियालिस बल: पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरियॉलिस बल कहते हैं। इस बल के कारण पवने उत्तरी गोलार्ध में दाहिनी और तथा दक्षिणी गोलार्ध में भाई और विक्षेपित हो जाती है। इसे फेरेल का नियम भी कहा जाता है।

जेट धाराएं: जेट धाराएं लगभग 27° डिग्री से 30° डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित होती है इसलिए उन्हें उपोषण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएं कहा जाता है।

जेट धारा: क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊंचाई (12000 मीटर से अधिक) वाली पश्चिमी हवाएं होती है। इनकी गति गर्मी में 110 किलोमीटर प्रतिघंटा एवं सर्दी में 184 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। बहुत सी अलग-अलग धाराओं को पहचाना गया है उनमें से सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय एवं उपोषण कटिबंध धाराएं हैं।

  • उपोषण कटिबंधीय पूर्वी जेट धारा भारत के ऊपर लगभग 14° डिग्री उत्तरी अक्षांश में प्रवाहित होती है।

'भारतीय मानसून'


मानसून का प्रभाव उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 20° डिग्री उत्तर एवं 20° डिग्री दक्षिण के बीच रहता है।

मानसून प्रक्रिया को समझने वाले तथ्य:

क). जमीन तथा पानी के गर्म और ठंडे होने की विभ्रेदी प्रक्रिया की वजह से भारत के स्थल भाग पर कम दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है, जबकि इसके आसपास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है।
ख). ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है। (यह विषुवत गर्त है जो प्राय विषुवत वृत्त से 5 डिग्री उत्तर में स्थित होता है इसे मानसून ऋतु में मानसूनी गर्त के नाम से भी जाना जाता है।)
ग). हिंद महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 20 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के ऊपर उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय मानसून को प्रभावित करती हैं।
घ). ग्रीष्म ऋतु में तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है जिसके परिणाम स्वरूप पठार के ऊपर समुद्री तल से अलग लगभग 9 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं एवं उच्च दाब का निर्माण होता है।
ड़). ग्रीष्म ऋतु में हिमालय के ऊपर पश्चिम जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।

  • जब दक्षिण प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय पूर्वी भाग में उच्च दाब होता है तब हिंद महासागर के उष्णकटिबंधीय पूर्वी भाग में निम्न दाब होता है और कुछ वर्षों के बाद इसका उल्टा हो जाता है इसे दक्षिणी दोलन कहते हैं।

ENSO - एलनीनो दक्षिणी दोलन।

एलनीनो: ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो का नाम दिया गया है। एलनीनो स्पेनिश शब्द है जिसका अर्थ होता है बच्चा तथा जो की बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है, क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है। एलनीनो की उपस्थिति समुद्र की सतह के तापमान को बढ़ा देती है तथा उस क्षेत्र में व्यापारिक पवनों को शिथिल कर देती है।

  • मानसून का आगमन एवं वापसी: मानसून का समय जून के आरंभ से लेकर मध्य सितंबर तक 100 से 120 दिनों के बीच होता है।
  • मानसून के आगमन से अचानक हुई वर्षा जो कई दिनों तक जारी रहती है इसे मानसून प्रस्फोट (फटना) कहते हैं।


'ऋतुएं'

शीत ऋतु: उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है। भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर एवं जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं। पूर्वी तट पर चेन्नई का औसत तापमान 24° डिग्री सेल्सियस से 25° डिग्री सेल्सियस के बीच होता है जबकि उत्तरी मैदान में यह 10° डिग्री सेल्सियस से 15° डिग्री सेल्सियस के बीच में होता है। दिन गर्म तथा रात ठंडी होती है हिमालय के ऊपरी भाग में हिमपात (बर्फ का गिरना) होता है।

ग्रीष्म ऋतु: सूर्य के उत्तर की और आभासी गति के कारण भूमंडलीय ताप पट्टी उत्तर की तरफ खिसक जाती है। मार्च से मई तक भारत में ग्रीष्म ऋतु होती है। मार्च में दक्कन के पठार का उच्च तापमान लगभग 38 डिग्री सेल्सियस होता है। अप्रैल में मध्य प्रदेश एवं गुजरात का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस होता है। देश के उत्तर पश्चिमी भागों का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है।
ग्रीष्म ऋतु के अंत में कर्नाटक एवं केरल में प्राय पूर्व मानसूनी वर्षा होती है इसके कारण आम जल्दी पक जाते हैं तथा इसे आम्र वर्षा भी कहा जाता है।

वर्षा ऋतु: जून के प्रारंभ में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब की अवस्था तीव्र हो जाती है। यह दक्षिणी गोलार्ध की व्यापारिक भवनों को आकर्षित करता है। यह दक्षिण पूर्व व्यापारिक पवने दक्षिण समुद्र के उपोषण कटिबंध क्षेत्रों में उत्पन्न होती है। ये पवन तीव्र होती है तथा 30 किलोमीटर प्रति घंटे के औसत वेग से चलती है। सुदूर उत्तर पूर्वी भाग को छोड़कर यह मानसूनी पवने देश के शेष भाग में लगभग 1 महीने में पहुंच जाती है।



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