"Class 9 Geography Chapter 05 Notes"
"प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी"
- भारत विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता (जीवन में विविधता/ परेशानी) वाले देशों में से एक है।
- भारत में लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है।
- भारत में करीब 15,000 अलग अलग तरह के फूलों के पौधे हैं जो कि पूरी दुनिया में फूलों के पौधों का 6% प्रतिशत भाग है।
- बिना फूल वाले कुछ पौधों के नाम: फर्न, शैवाल (एलेगी) तथा कवक (फंजाई) आदि।
- भारत में लगभग 90,000 जातियों के जानवर तथा विभिन्न प्रकार की मछलियां ताजेे साफ तथा समुंद्र के पानी की पाई जाती है।
अक्षत वनस्पति या प्राकृतिक वनस्पति:
प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ है कि वनस्पति का वह भाग जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है और लंबे समय तक उस पर मानव पर प्रभाव नहीं पड़ता। इसे अक्षत वनस्पति कहते हैं।
- भारत में पाए जाने वाले पेड़ पौधे को देशज कहते हैं लेकिन जो पौधे भारत के बाहर से आते हैं उन्हें 'विदेशज पौधे' कहते हैं।
- वनस्पति जगत शब्द का मतलब किसी भी देश के क्षेत्र में किसी समय में पौधों के उगने व बड़े होने से है।
"धरातल"
भूभाग:- धरातल के स्वभाव का वनस्पति पर बहुत प्रभाव पड़ता हैै। उपजाऊ भूमि पर प्राय कृषि की जाती है। ऊबड़ तथा समतल भूभाग पर, जंगल तथा घास के मैदान हैं, जिनमें वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।
मृदा:- अलग अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार की मृदा पाई जाती है, जो अलग अलग या विविध तरह के वनस्पति का आधार है। मरुस्थल की बलुई मृदा में कटीली झाड़ियां तथा नदियों के डेल्टा वाले इलाके में पर्णपाती जंगल पाए जाते हैं। पर्वतों की ढलान में जिस जगह मृदा की परत गहरी है उस जगह शंकुधारी जंगल पाए जाते हैं।
"जलवायु"
तापमान:- जंगल की विविधता और विशेषताएं तापमान और हवाओं की नमी पर भी निर्भर करती है। हिमालय पर्वत की ढलानों तथा प्रायद्वीप की पहाड़ियों पर 915 मीटर की ऊंचाई से ऊपर के क्षेत्र में तापमान में गिरावट वनस्पति के उगने और बढ़ने को प्रभावित करती है और उसे उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण तथा अल्पाइन वनस्पति में परिवर्तित करती है।
सूर्य का प्रकाश:- किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय, उस स्थान के अक्षांश, समुद्र तल से ऊंचाई एवं मौसम पर निर्भर करता है। सूर्य के प्रकाश ज्यादा समय तक मिलने की वजह से पेड़ पौधें गर्मी के मौसम में जल्दी बढ़ते हैं।
वर्षण:- भारत में लगभग सारी वर्षा आगे बढ़ते हुए दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर तक) एवं पीछे हटते उत्तर पूर्वी मानसून से होती है। अधिक वर्षा वाले जगहों में कम वर्षा वाले इलाके की अपेक्षा सघन वन पाए जाते हैं।
वन मनुष्य के लिए क्यों आवश्यक हैं?
- वन नवीकरण योग्य संसाधन है और वातारण की गुणवत्ता बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
- ये स्थानीय जलवायु, मृदा, अपरदन तथा नदियों की धारा नियंत्रित करते हैं।
- यह मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
- यह वायु तथा तापमान को नियंत्रित करते हैं और वर्षा लाने में भी सहायता करते हैं।
- इनसे मृदा को जीवाश्म मिलता है और वन्य प्राणियों को आश्रय।
- सन् 2003 में वनों का कुल क्षेत्रफल 68 लाख वर्ग किलोमीटर था।
- इंडिया स्टेट ऑफ़ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2011 के अनुसार भारत में वनों का कुल क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का 21.05% है।
"वनस्पति के प्रकार"
हमारे देश में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियां पाई जाती है।
- उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन।
- उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन।
- उष्णकटिबंधीय कटीले वन तथा झाड़ियां।
- पर्वतीय वन।
- मैंग्रोव वन।
- यह 1 पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, लक्ष्यदीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, असम के ऊपरी भागों तथा तमिलनाडु के तट तक सीमित है।
- यह उन क्षेत्रों में भलीभांति विकसित है जहां 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा के साथ एक थोड़े समय के लिए शुष्क ऋतु पाई जाती है।
- इन वनों में वृक्ष 60 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई तक पहुंचते हैं। यहां हर प्रकार की वनस्पति वृक्ष, झारिया एवं लताएं उगती है और वनों में इनकी विभिन्न उचाई से कई स्तर देखने को मिलते हैं।
- इन वनों में पाए जाने वाले व्यापारिक महत्व के कुछ वृक्ष आबनूस (एबोनी), महोगनी, रोजवुड, रबड़ और सिंकोना है।
- इन वनों में सामान्य रूप से पाए जाने वाले जानवर हाथी, बंदर, लैमूर और हिरन है। एक सींग वाले गैंडे असम और पश्चिमी बंगाल के दलदली क्षेत्र में मिलते हैं।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन:-
- यह भारत में बहुत बड़े इलाके में फैले हुए जंगल है। इन्हें मानसूनी वन भी कहते हैं और यह उन क्षेत्रों में विस्तृत है जहां 70 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।
- जल के कमी होने के कारण इन जंगलों को शुष्क पर्णपाती वनों में बांट दिया जाता है। इनमें से आर्द्र या नम पर्णपाती वन उस क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां 100 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।
- इस प्रकार के वन देश के पूर्वी भागों, उत्तरी पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपद प्रदेशों, झारखंड, पश्चिम उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिम घाटों के पूर्व के ढालों में पाए जाते हैं। सागोन पेड़ इन वनों की सबसे प्रमुख प्रजाति है। बॉस, साल, शीशम, चंदन, रवैर, कुसुम, अर्जुन तथा शहतूत के पेड़ व्यापारिक मतवाली प्रजातियां है।
- शुष्क पर्णपाती वन उन इलाकों या क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां वर्षा 70 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर के बीच होती है। यह वन प्रायद्वीपीय पठार के ऐसे वर्षा वाले क्षेत्रों उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य के मैदानों में पाए जाते हैं।
- इन जंगलों में मिलने वाले जानवर प्रायः सिंह, शेर, सुअर, हिरण और हाथी है। उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन के बहुत बड़े भाग कृषि कार्य में प्रयोग के लिए साफ कर लिए गए हैं।
कटीले वन तथा झाड़ियां:-
- जिस इलाके में 70 सेंटीमीटर से कम बारिश होती है वहां प्राकृतिक वनस्पति में कटीले वन तथा झाड़ियां पाए जाते है।
- इस तरह के वनस्पति भारत में उत्तरी पश्चिमी भागों में पाए जाते है। जिनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के अर्ध शुष्क क्षेत्र शामिल हैं।
- आकासिया, खजूर (पाम), यूफोरबिया तथा नागफनी (कैक्टाई) यहां की प्रमुख पादप प्रजातियां हैं।
- इन वनों के पेड़ बिखरे हुए होते हैं इन वृक्ष की जड़े लंबी तथा जल की तलाश में चारों तरफ फैली होती है। पत्तियां छोटी होती है जिनसे वाष्पीकरण कम से कम हो सकें।
- इन जंगलों में पाए जाने वाले कुछ जीव-जंतु: चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िया, शेर, सिंह, जंगली गधा, घोड़े तथा ऊट पाए जाते हैं।
पर्वतीय वन:-
- पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊंचाई के साथ साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस तरह का अंतर हम उष्णकटिबंधीय प्रदेशों से टूंड्रा की तरफ देखते हैं उसी प्रकार का अंतर हमे पर्वतीय भागों में भी ऊंचाई के साथ साथ देखने को मिलता है।
- 1000 मीटर से 2000 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आर्द्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट जैसे वृक्षों बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती हैं।
- 1500 से 3000 मीटर की ऊंचाई के बीच शंकुधारी वन पाए जाते हैं। जैसे चीड़, देवदार, सिल्वर - फर, स्प्रूस, सीडर आदि।
- 3,600 मीटर से अधिक ऊंचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पाइन वनस्पति ले लेती है। सिल्वर - फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।
- इन वनों में प्राय कश्मीरी महामृग, चितरा हिरण, जंगली भेड़, खरगोश, तिब्बती बारहसिंघा, याक, हिम तेंदुआ, गिलहरी, रीछ, आइबैक्स, लाल पांडा, घने बालों वाला भेड़ तथा बकरियां जैसे जीव जंतु पाए जाते है।
मैंग्रोव वन:-
- यह वनस्पति तटवर्ती क्षेत्रों में जहां ज्वार भाटा आते हैं, कि सबसे महत्वपूर्ण वनस्पति है। मिट्टी और बालू इन तटो पर एकत्रित हो जाती है।
- घने मैंग्रोव एक प्रकार की वनस्पति है जिसमें पौधों की जड़े पानी में डूबी रहती है।
- गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टा भाग में यह वनस्पति मिलती है।
- गंगा - ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे मजबूत लकड़ी प्राप्त होती है। नारियल, तार, क्योरा, वंऐगार के वृक्ष भी इन क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- इस क्षेत्र का रॉयल बंगाल टाइगर प्रसिद्ध जानवर है। इसके अतिरिक्त कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल एवं कई प्रकार के सांप भी इन जंगलों में मिलते हैं।
"वन्य प्राणी"
- भारत में जीवों की लगभग 90,000 प्रजातियां मिलती है। देश में लगभग 2000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है। यह कुल विश्व का 13% है। यहां मछलियों की 2546 प्रजातियां है जो विश्व की लगभग 12% है। भारत में विश्व के 5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक उभयचरी, सरीसृप तथा स्तनधारी जीव जंतु पाए जाते हैं।
- हाथी असम, कर्नाटक और केरल राज्य में पाए जाते हैं।
- एक सींग वाले गैंडे अन्य जानवर पश्चिमी बंगाल तथा असम में पाए जाते हैं।
- जंगली गधे तथा ऊंट कच्छ के रण तथा थार मरुस्थल में पाए जाते हैं।
- भारत जीव सुरक्षा अधिनियम सन् 1972 में लागू किया गया था।
- भारत विश्व का इकलौता ऐसा देश है जहां शेर तथा बाघ दोनों ही पाए जाते हैं।
- भारतीय शेरों का प्राकृतिक घर गुजरात में गिर जंगल है।
- बाग मध्य प्रदेश तथा झारखंड के वनों, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन तथा हिमालय क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- लद्दाख के बर्फीले वादियों में याक पाए जाते हैं।
- घड़ियाल विश्व में केवल भारत में पाया जाता है।
जानवर मनुष्य के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
जानवर हमें बोझा ढोने, कृषि कार्य तथा यातायात के साधन के रूप में मदद करते हैं। इनसे हमें मांस एवं अंडे भी प्राप्त होते हैं। मछली से पोस्टिक आहार मिलता है। बहुत से कीड़े मकोड़े फसलों, फलों और वृक्षों के परागण में मदद करते हैं और हानिकारक कीड़ों पर जैविक नियंत्रण रखते हैं।
- मनुष्य द्वारा पादपों और जीवो के अत्यधिक उपयोग के कारण 1300 पादप प्रजातियां संकट में है तथा 20 प्रजातियां नष्ट हो चुकी है।
सरकार द्वारा पादप और जीव संपत्ति की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम:
- देश में 18 जीव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) स्थापित किए गए हैं। इनमें से 10 सुंदरबन, नंदादेवी, मन्नार की खाड़ी, नीलगिरी, नाकरेक, ग्रेट निकोबार, मानस, सिमलीपाल, पंचमढ़ी और अचनकमर- अमरकंटक की गणना विश्व के जीव मंडल निचय में की गई है।
- सन 1993 से सरकार द्वारा पादप उद्यानों को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता देने की योजना बनाई है।
- शेर संरक्षण, गेंडा संरक्षण, भारतीय भैंसा संरक्षण तथा पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन के लिए कई योजनाएं बनाई गई है।
- 103 नेशनल पार्क, 535 वन्य प्राणी अभयवन और कई चिड़ियाघर राष्ट्र की पादप और जीव संपत्ति की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।