"जैन धर्म - सामान्य ज्ञान"
जैन धर्म के संस्थापक - ऋषभदेव (पहले तीर्थंकर)।
वास्तविक संस्थापक - महावीर स्वामी।
जैन धर्म में कुल तीर्थंकर - 24।
24 वे तीर्थंकरों की जीवनी भद्रबाहु रचयिता कल्प सूत्र पुस्तक में बताया गया है।
1) पहले तीर्थंकर (ऋषभदेव):-
ऋषभदेव के अन्य नाम - केशरिया देव, आदिनाथ।
ऋषभदेव को ज्ञान की प्राप्ति वट वृक्ष के नीचे हुआ था।
शिक्षा - अहिंसा, अपरिग्रह।
ऋषभदेव के पुत्र - बाहुबली, महाबली।
बाहुबली की मूर्ति - श्रवण बेल गोला में (कर्नाटक) स्थित थी। पहले बाहुबली की सबसे ऊंची मूर्ति 57 फीट की थी।
प्रतीक - सांड, बैल, वृषभ।
2) दूसरे तीर्थंकर (अजीतनाथ):-
प्रतीक - हाथी।
3) तीसरे तीर्थंकर (संभवनाथ):-
प्रतीक - घोड़ा।
4) चौथे तीर्थंकर (अभिनंदन नाथ):-
प्रतीक - बंदर।
5) बीसवे तीर्थंकर (मुनिसुब्रत)।
प्रतीक - कछुआ।
6) 21वें तीर्थंकर (नेमिनाथ)।
प्रतीक - नीलकमल।
7) 22वें तीर्थंकर (अरिष्टिनेमी)।
प्रतीक - शंख।
इन्हें ज्ञान, गिरनार (गुजरात) की पहाड़ी पर प्राप्त हुआ।
8) 23वें तीर्थंकर (पार्श्वनाथ)।
प्रतीक - सांप।
पार्श्वनाथ ने चतुर्याम चार नियम दिए - अहिंसा, सत्य, असत्य, अपरिग्रह।
पांचवा नियम 'ब्रह्मचर्य' महावीर स्वामी द्वारा जोड़ा गया और यह पांच नियम पंच महाव्रत कहलाए।
9) 24वें तीर्थंकर (महावीर स्वामी)।
प्रतीक - शेर, सिंह।
जन्म - 599 BC / 540 BC।
मृत्यु - 527 BC / 468 BC (कल्पसूत्र के अनुसार)।
कुल 72 वर्ष जीवित रहें।
जन्म स्थान - कुंडग्राम, वैशाली (बिहार)।
मृत्यु स्थान - पावापुरी (पटना)।
पिता का नाम - सिद्धार्थ (ज्ञातृक कुल, इक्ष्वाकु वंश)।
माता का नाम - त्रिशला (लिच्छवी वंश के शासक चेतक की बहन)।
बचपन का नाम - बर्धमान।
पत्नी - यशोदा।