"दीपावली पर निबंध हिंदी में"
प्रस्तावना (Introduction)
(दीपावली पर निबंध) दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जिसे लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है। दिवाली पर बच्चों को निबंध लिखकर उन्हें त्योहार से जुड़े अपने आनंदमय अनुभव को साझा करने का मौका मिलता है। युवा लोग इस त्योहार को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए बहुत सारी खुशियाँ और संदेश लेकर आता है। वे अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और अपने प्रियजनों के साथ बधाई और उपहार साझा करते हैं। इस त्योहार का आनंद सबसे ज्यादा रात के समय आता हैं जिस समय दिवाली मनाई जाती हैं।
दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali)
दीपावली का अर्थ: दीपावली जिसको दिवाली के नाम से भी लोग जानते हैं, हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। जिस से हमें पता चलता हैं की दीपावली दीयों का त्योहार हैं। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में पटाखे और आतिशबाजी एक मुख्य रोल निभाते हैं। जिस से पता चलता हैं की युवाओं में दिवाली को लेकर कितनी खुसी हैं।
दीपावली की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से बहुत दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। दीपावली के एक हफ्ते पहले से ही लोग अपने घरों की सफाई करने लगते हैं दीवारों में नए रंगो से पेंट करते हैं ऐसा इसलिए किया जाता हैं की हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान/ प्रवेश करती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी करती है। दिवाली के एक दिन पहले ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट से सजाना शुरू कर देते हैं। ताकि घर देखने में सुंदर व अच्छा लगे।
दीपावली में पटाखों का महत्व: दिवाली को "दियों का त्योहार" कहा जाता है। लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और अलग अलग प्रकार के लाइटों से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि जलाना बहुत पसंद होते हैं। जिससे पता चलता हैं की दिवाली में पटाखों का बहुत बड़ा महत्व हैं। पटाखों के आवाज और रोशनी से पूरा देश जगमगा उठता हैं।
दीपावली का इतिहास: हिंदुओं के धर्म ग्रंथो के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद सीता, लक्ष्मण और उनके भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण उस दिन बहुत अंधेरा था, जिस वजह से दिवाली के दिन पुरे अयोध्या को दीपों से श्री राम भगवान के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के लौटने की खुशी में किसी तरह की परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार कहा जाता हैं और इस त्योहार को अंधकार पर प्रकाश के विजय के रूप में मनाते है।
दीपावली त्योहार जैसे शुभ अवसर पर, बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम भगवान आदि की मूर्तियां खरीदी जाती है। बाजारों में बहुत चहल पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए बर्तन, वस्त्र, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है क्योंकि व्यापारी दिवाली पर नए वही खाता की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का यह भी मानना है कि दिवाली जैसे त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दीपावली त्योहार के दिन अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं।
दीपावली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
दीपावली जैसे धार्मिक त्यौहार को कुछ असामाजिक तत्व जैसे: दारू शराब, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से ख़राब करने में लगे रहते हैं। अगर समाज में दीपावली जैसे त्योहार के दिन इन चीजों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।
उपसंहार (Conclusion)
दीपावली त्योहार के दिन हमें अपने अंधकार को खत्म कर के पूरे वातावरण को दीयों और प्रकाश से जगमगाना चाहिए। युवा लोग बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। जैसा की हमें पता हैं की दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम और सुख-समृद्धि से है। इसलिए हमें पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक करना चाहिए। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।