'सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का संक्षिप्त जीवन परिचय हिन्दी में'
सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला' का जन्म : निराला जी का जन्म सन 1898 में बंगाल में मोदीनीपुर जिले के महिषादल गांव में हुआ था। उनका पितृ ग्राम उत्तर प्रदेश का गढ़कोला है।
मृत्यु : इनकी मृत्यु सन 1961 में इलाहाबाद (आधुनिक प्रयागराज) में हुआ।
शिक्षा : निराला की विधिवत स्कूली शिक्षा नौवीं कक्षा तक ही हुई। पत्नी की प्रेरणा से निराला की साहित्य और संगीत में रुचि पैदा हुई।
उनके बचपन का नाम सूर्यकुमार था बहुत छोटी सी उम्र में उनकी मां का निधन हो गया। सन 1918 में उनकी पत्नी का देहांत हो गया और उसके बाद पिता, चाचा, चचेरे भाई एक-एक करके सब चल बसे। अंत में पुत्री सरोज की मृत्यु ने निराला को भीतर से झकझोर दिया।
ये मुक्त छंद के प्रवर्तक माने जाते हैं तथापि उन्होंने विभिन्न छंदों में भी कविताएं लिखी हैं।
निराला की प्रमुख काव्य-कृतियां : परिमल, गीतिका, अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अनीमा, नए पत्ते, बेला, अर्चना, आराधना, गीतागूंज आदि। निराला कविता के अतिरिक्त कहानियां और उपन्यास भी लिखे उनके उपन्यास में बिल्लेश्वर बकरिहा विशेष चर्चित हुए।
निराला की काव्य विशेषता काव्य :
- शुद्ध व परिमार्जित खड़ी बोली का प्रयोग
- मुक्त छंद का विकास
- सरल व प्रभावपूर्ण भाषा
- संस्कृत निष्ठ शब्दावली
- छायावादी शैली
- मानवीकरण, उपमा, रूपक अलंकारो का प्रयोग
- बिंबत्मकता विधान