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खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Class 12th Geography Chapter 7 Notes in Hindi

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Class 12th Geography Chapter 7 Notes. 1) धात्विक: (i) लौह: लोहा, मेगनीज। (ii) तांबा, सीसा। 2) अधत्विक: (i) ईंधन: कोयला (ii) अन्य

'खनिज तथा ऊर्जा संसाधन'

  • खनिज: धात्विक, अधात्विक।
1) धात्विक: (i) लौह: लोहा, मेगनीज।
(ii) तांबा, सीसा।
2) अधत्विक: (i) ईंधन: कोयला
(ii) अन्य: चुना, माइका।

भारत की प्रमुख खनिज पेटियां
1) उत्तर पूर्वी पेटी: (i) लोहा, कोयला, बॉक्साइट।
(ii) क्षेत्र: झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़।
2) उत्तर पश्चिम पेटी: (i) तांबा, जिंक, ग्रेनाइट।
(ii) क्षेत्र: राजस्थान और गुजरात।
3) दक्षिण पश्चिम पेटी: (i) मैग्नीज, चुना, लोह, अयस्क।
(ii) क्षेत्र: कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा।

खनिज: खनिज एक ऐसा भौतिक पदार्थ है जो हमें खनन की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होता है प्रत्येक खनिज की कुछ भौतिक तथा रासायनिक विशेषताएं होती है।

अधात्विक खनिज: अधात्विक खनिज कार्बनिक उत्पादित के होते हैं जिन्हें जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं यह पृथ्वी में दबे प्राणी व पादप जीवो से प्राप्त होते हैं जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि।

खनिज पेटी: खनिज पेटी का अर्थ होता है वह क्षेत्र जहां खनिज पाए जाते हैं।

  • लौह खनिज: लौह अयस्क, मेगनीज।
लौह खनिज: (i) भारत में लोहा अच्छी मात्रा में उपलब्ध है यहां एशिया के विशालतम लौह अयस्क है।
(ii) हमारे देश में लौह अयस्क के दो प्रमुख प्रकार है हेमोटाइट और मैग्नेटाइट।
(iii) इसकी सर्वोत्तम गुणवत्ता के कारण इसकी विश्व भर में मांग है।
(iv) प्रमुख क्षेत्र: ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोवा।

मेगनीज: (i) लोहा अयस्क को पिघलने के लिए मैग्नीज एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
(ii) इसका उपयोग लो मिश्रित धातु और विनिर्माण में किया जाता है यह मुख्य रूप से इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाता है।
(iii) 1000 किलो इस्पात बनाने में 10 किलो मैग्नीज की आवश्यकता पड़ती है।
(iv) ओडिशा मैगनीज का अग्रहणी उत्पादक है।
(v) कर्नाटक एक और बड़ा उत्पादक है।
(vi) महाराष्ट्र भी एक बड़ा उत्पादक राज्य है।


  • अलौह अयस्क: बॉक्साइट, तांबा।
बॉक्साइट: (i) बॉक्साइट एक अयस्क है जिसका प्रयोग एलमुनियम के विनिर्माण में किया जाता है।
(ii) यह मुख्यता लैटेराइट चट्टानों में पाया जाता है और सोडियम ऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य हैं।
(iii) झारखंड के लोहारडागा में अच्छी मात्रा में इसके निक्षेप है।

तांबा: (i)  बिजली की मोटर ट्रांसफार्मर तथा जनरेटर आदि बनाने और विद्युत के लिए तांबे का प्रयोग किया जाता है।
(ii) आभूषण को मजबूती प्रदान करने के लिए भी तांबे का प्रयोग किया जाता है।
(iii) तांबा मुख्यत: झारखंड के सिंहभूम जिले में एवं मध्यप्रदेश के बालाघाट में पाया जाता है।

प्र.1. भारत में कौन से दो प्रमुख प्रकार में लौह अयस्क पाए जाते हैं?
उ.1. हेमेटाइट तथा मैग्नेटाइट।

प्र.2. भारत में कौन सा राज्य में खनिज का अग्रहणी उत्पादक है?
उ.2. ओडिशा।

प्र.3. अधात्विक खनिज में अकार्बनिक उत्पत्ति के दो उदाहरण दीजिए।
उ.3. अभ्रक, चूना पत्थर, ग्रेफाइट।

प्र.4. भारत में कौन से दो प्रकार के तेल शोधन कारखाने हैं?
उ.4. (i) क्षेत्र आधारित (बिगबोई असम)। 
(ii) बाजार आधारित (बरौनी बिहार)।

प्र.5. हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन को किस नाम से जाना जाता है?
उ.5. HVJ पाइपलाइन।

प्र.6. भारत में एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयंत्र कहां स्थित है?
उ.6. कच्छ के लांबा में (गुजरात)।

प्र.7. कोयला मुख्यतः किन दो भूगार्भिक कालों की सेल कर्मों में पाया जाता है?
उ.7. गोंडवाना तथा टर्शियरी क्षेत्रों में।

प्र.8. भारत में पवन ऊर्जा संयंत्र तमिलनाडु में कहां स्थित है?
उ.8. तूतीकोरिन में।

प्र.9. भारत में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना कब हुई?
उ.9. 1956 में।

प्र.10. गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना कब हुई थी?
उ.10. 1984 में।

प्र.11. भारत में सबसे अधिक तेल शोधन कारखाने किस राज्य में स्थित है?
उ.11. असम में।

प्र.12. भारत में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र कहां स्थापित किया गया है?
उ.12. मणिकरण में (हिमाचल प्रदेश)।

प्र.13. मुंबई हाई की खोज कब की गई?
उ.13. 1973 में।

प्र.14. यूरेनियम निक्षेप किस शैल समूह में पाए जाते हैं?
उ.14. धारवाड़ शैल समूह।

प्र.15. थोरियम मुख्यत: किस राज्य में पाया जाता है?
उ.15. केरल।

प्र.16. भारत में किन्ही दो खनन नगरों के नाम बताइए। (बोर्ड परीक्षा 2013)।
उ.16. रानीगंज, झरिया, डिगबोई, बोकरों, सिंगरौली।

प्र.17. ऊर्जा संसाधनों की आवश्यकता किन क्षेत्रों में होती है?
उ.17. ऊर्जा उत्पादन के लिए खनिज ईंधन अनिवार्य है और इसकी आवश्यकता कृषि उद्योग परिवहन तथा अर्थव्यवस्था के अन्य खंडों में होती है।

प्र.18. किस खनिज ईंधन को तरल सोना कहा जाता है और क्यों?
उ.18. अपनी दुर्लभता तथा विभिन्न उपयोगों के कारण पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है।

प्र.19. भारत में खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? हम उनका संरक्षण किस प्रकार कर सकते हैं?
उ.19. खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं भूगर्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लंबा समय लगता है और आवश्यकता के समय तुरंत इनका पूर्णभरण नहीं किया जा सकता। इसलिए सत्त पोषणीय विकास तथा आर्थिक विकास के लिए खनिजों का संरक्षण करना आवश्यक हो जाता है।
संरक्षण की विधियां:-
  1. इसके लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन, तरंग, भूतापीय आदि उर्जा के अस्माप्य स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए।
  2. धात्विक खनिजों में छाजन धातुओं के उपयोग तथा धातुओं के धूर्णचक्रण पर बल देना होगा।
  3. अत्यलप खनिजों के लिए प्रति स्थापनों का उपयोग भी खनिजों के संरक्षण में सहायक है।
  4. सामरिक व अति अल्प खनिजों के निर्यात को भी घटाना चाहिए।
  5. सबसे उचित तरीका है खनिजों का सूझबूझ से तथा मितव्यतता से प्रयोग करना ताकि वर्तमान आरक्षित भंडारों का लंबे समय तक प्रयोग किया जा सके।
प्र.20. भारत में ऑयल इंडिया लिमिटेड के कार्य बताइए।
उ.20. भारत में ऑल इंडिया लिमिटेड कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के अन्वेषण, उत्पादन और परिवहन कार्य करती है।
भारत की 4 पाइप लाइनें:-
  1. असम के नहरकटिया क्षेत्र से बरौनी होती हुई कानपुर तक।
  2. हजीरा, विजयपुर, जगदीशपुर (गुजरात तट के उत्तर प्रदेश तक)।
  3. सलाया (गुजरात) से मथुरा (उत्तर प्रदेश) तक।
  4. नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक।
प्र.21. उड़ीसा राज्य के चार मैग्नीज की खदानों के नाम बताइए।
उ.21. बुनाई, केंदूझार, सुंदरगढ़, कोल्हापुर, कालाहांडी, बोलनगिर।

प्र.22. भारत में पाए जाने वाले खनिजों की तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उ.22. (i) खनिज क्षेत्र में असमान रूप में वितरित होते हैं।
(ii) अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम गुणवत्ता वाले खनिज की तुलना में कम मात्रा में जाते हैं।
(iii) सभी खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं वह भूगार्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लंबा समय लगता है और आवश्यकता के समय इनका तुरंत पूर्णभरण नहीं किया जा सकता है।

प्र.23. रसायनिक वाह पेट्रोरासायनिक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य कर रही तीन संथाओ का वर्णन कीजिए।
उ.23. (i) भारतीय पेट्रो रसायनिक कारपोरेशन लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र में है यह विभिन्न प्रकार के पेट्रोल रसायनों जैसे पॉलीमार, रेशों और देशों से बने संक्रियक का निर्माण और वितरण करता है।
(ii) पेट्रोफिल्स कोऑपरेटिव लिमिटेड - भारत सरकार एवं बुनकरों की सहकारी संस्थाओं का संयुक्त प्रयास है यह पॉलिस्टर तुरंत सूत और नायलॉन चिप्स का उत्पादन गुजरात स्थित बड़ोदरा एवं नलधारी संयंत्रों में करता है।
(iii) सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी जो पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान करता है।

'ऊर्जा संसाधन'

  • कोयला
  • पेट्रोलियम 
  • प्राकृतिक गैस
उर्जा संसाधन:- (i) ऊर्जा उत्पादन के लिए खनिज इधर अनिवार्य है।
(ii) कोयला पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन ऊर्जा के परंपरागत स्रोत है।
(iii) यह स्रोत समाप्य साधन है।

कोयला:- 
  1. कोयला सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है जिसका मुख्य उपयोग लौह अयस्क को पिघलाने और ताप विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
  2. भारत में कोयला निक्षेपो का का लगभग 80% भाग विदूमिनियस प्रकार का तथा 11 कोककारी श्रेणी का है।
  3. भारत में प्रमुख क्षेत्र: दामोदर घाटी (झारखंड-बंगाल कोयला पट्टी) रानीगंज, झाड़ियां, बोकारो एवं करणपुरा।
  4. झरिया सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है उसके बाद रानीगंज आता है।
  5. सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोयला खनन केंद्र मध्यप्रदेश में सिंगरौली है।
  6. छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में तलचर।
  7. इसके अतिरिक्त भूरा कोयला या लिग्नाइट तमिलनाडु के तट के भाग में पाया जाता है।

पेट्रोलियम:-
  1. यह मोटर बानो रेलवे तथा वायुयान ओके ईंधन के रूप में कार्य करता है।
  2. यह कोयले के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण साधन है।
  3. इसके अनेक सहउत्पादन: उर्वरक, कृत्रिम रबड़, कृत्रिम रेशे, दवाइयां, वैसलीन, मोम, साबुन तथा अन्य उत्पादों में प्रकृमित किए जाते हैं।
  4. व्यवस्थित रूप से तेल का उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ।
  5. असम का डिगबोई सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है।
  6. मुंबई हाई जो मुंबई नगर से 160 किलोमीटर दूर है को 1973 में खोजा गया और वहां 1976 से उत्पादन प्रारंभ हुआ।
प्राकृतिक गैस:-
  1. गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) की स्थापना 1984 में हुई।
  2. इसकी स्थापना प्राकृतिक गैस के परिवहन तथा विपणन के लिए की गई।
  3. प्रमुख क्षेत्र: तमिलनाडु का पूर्वी तट, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान।

'अपरंपरागत ऊर्जा स्रोत'

  1. नाभिकीय ऊर्जा 
  2. जैव ऊर्जा 
  3. पवन ऊर्जा 
  4. भूतापीय ऊर्जा 
  5. सौर ऊर्जा 
  6. ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा
नाभिकीय ऊर्जा:
  1. प्रमुख खनिज: यूरेनियम, थोरियम।
  2. यूरेनियम क्षेत्र: धारवाड़, अलवर, उदयपुर।
  3. थोरियम क्षेत्र: केरल, आंध्र प्रदेश, विशाखापट्टनम।
  4. परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गई थी।
  5. इसे बाद में 1967 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के नाम से जाना गया।
सौर ऊर्जा:
  1. फोटोवॉल्टेक सेलो में विपाशत सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, जिसे सौर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।
  2. भारत के पश्चिम भागो गुजरात एवं राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक संभावनाएं हैं।
सौर ऊर्जा के लाभ: पर्यावरण अनुकूल, लाभप्रद, प्रदूषण मुक्त, अस्माप्य, ग्रामीण के लिए लाभदायक।

पवन ऊर्जा:
  1. यह ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है।
  2. बहती पवन को ऊर्जा में परिवर्तित करना काफी आसान है।
  3. पवन की गतिज ऊर्जा टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदल जाता है।
  4. भारत ने काफी पहले से इसका प्रारंभ कर दिया है।
  5. गैर परंपरा उर्जा स्रोत मंत्रालय, भारत के तेल के आयात बिल के भार को कम करने के लिए पवन ऊर्जा को विकसित कर रहा है।
  6. पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियां विद्यमान है।
ज्वारिय तथा तरंग ऊर्जा:
महासागरीय धाराएं ऊर्जा का भंडार है।
काफी पहले से ही महासागरीय धाराओं को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा रहा है।
भारत के पश्चिम तट पर बड़ी-बड़ी ज्वारीय तरंगे उत्पन्न होती है।
जैव ऊर्जा: प्रदूषण मुक्त, सस्ती, खाना पकाने में इस्तेमाल।
जैव ऊर्जा उस ऊर्जा को कहा जाता है जिसे जैविक उत्पादों द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसमें कृषि के अवशेष व औद्योगिक कचरा भी होता है उसके बाद उर्जा बनाई जाती है।

भूतापीय ऊर्जा:
  • पृथ्वी से मैग्मा निकलता है तो बहुत ज्यादा गर्मी निकलती है उसी गर्मी को ऊर्जा में बदला जाता है। जैसे गिरज गर्म होकर बिजली बनाता है।
  • क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश।
प्र.24. भारत में अपरंपरागत ऊर्जा के 5 स्रोतों का एक संभावित क्षेत्र बताइए।
उ.24. (i) सौर ऊर्जा: भारत में पश्चिमी भागों गुजरात और राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक संभावना है।
(ii) पवन ऊर्जा: इसके लिए राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियां हैं।
(iii) ज्वारीय ऊर्जा: भारत में पश्चिमी तट के साथ ज्वारीय ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं हैं।
(iv) भूतापीय ऊर्जा: भूतापीय ऊर्जा के लिए हिमाचल प्रदेश में विकसित होने की व्यापक संभावना है।
(v) जैव ऊर्जा: ग्रामीण क्षेत्रों में जैव ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं हैं।

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