'घनानंद का संक्षिप्त जीवन परिचय हिन्दी में'
घनानंद का जीवन परिचय
घनानंद का जन्म : घनानंद का जन्म 1673 में हुआ जो रीतिकाल के रीतिमुक्त या स्वच्छंद काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि घनानंद दिल्ली के बादशाह मोहम्मद शाह के मीर मुंशी थे।
पारिवारिक जीवन : कहां जाता है कि सुजान नाम की एक स्त्री से उनका अटूट प्रेम था। उसी के प्रेम के कारण घनानंद बादशाह के दरबार में बे- अदबी कर बैठे, जिससे नाराज होकर बादशाह ने उन्हें निकाल दिया। साथ ही घनानंद को सुजान की बेवफाई ने भी दुखी और निराश किया।
वे वृंदावन चले गए और निर्बाक संप्रदाय में दीक्षित होकर भक्त के रूप में जीवन-यापन करने लगे। परंतु वे सुजान को भूल नहीं पाए और अपनी रचनाओं में सुजान के नाम का प्रतिकात्मक प्रयोग करते हुए काव्य रचना करते रहे।
वे वृंदावन चले गए और निर्बाक संप्रदाय में दीक्षित होकर भक्त के रूप में जीवन-यापन करने लगे। परंतु वे सुजान को भूल नहीं पाए और अपनी रचनाओं में सुजान के नाम का प्रतिकात्मक प्रयोग करते हुए काव्य रचना करते रहे।
घनानंद के काव्य विशेषताएं :
- कविता में प्रेम की पीड़ा
- रचनाओं में प्रेम का अत्यंत गंभीर, निर्मल, आवेगमय और व्याकुल कर देने वाला उदात्त रूप
- रसों का सटीक प्रयोग
- भावनाओं का अत्यंत गहराई
- कविता में लाक्षणिकता, वक्रोक्ति, वागविद्घता के साथ अलंकारों का कुशल प्रयोग
- काव्य कला में सहजता के साथ सात वचन- वक्रता का अद्भुत मेल। भाषा परिष्कृत और साहित्यिक ब्रज है
- सुजान सागर
- विरह लीला
- कृपाकांड निबंध
- रसकेलि
- वल्ली आदि।