'Class 12th History Notes Chapter 02 in Hindi'
राजा, किसान और नगर
Class 12th History Notes
- ऋग्वेद का लेखन कार्य शुरू
- उत्तर भारत दक्कन पठार क्षेत्र और कर्नाटक जैसे उस महाद्वीपों के कई क्षेत्रों में कृषक बस्तियां अस्तित्व में आई।
- दक्कन और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में चरवाहा बस्तियों का अस्तित्व में आना।
- दक्षिण भारत में शवों के अंतिम संस्कार के नए तरीकों का अस्तित्व में आना।
- अभिलेख
- ग्रंथ
- सिक्के
- चित्रों का प्रयोग
अभिलेख : अभिलेख उन्हें कहते हैं जो पत्थर धातु या मिट्टी के बर्तन जैसे कठोर सतह पर खड़े होते हैं उन लोगों की उपलब्धियां विचार लिखे जाते हैं जो बनावाते हैं।
- जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी थे जिन्होंने सर्वप्रथम ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि का अर्थ निकाला।
- जेम्स प्रिंसेप के अनुसार का प्रयोग सबसे पहले अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है इनमें से अधिकांश अभिलेख और सिक्कों पर प्रियदर्शी यानी मनोहर मुखाकृति वाले राजा का नाम लिखा है।
- बौद्ध तथा जैन धर्म के आरंभिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से 16 राज्यों का उल्लेख मिलता है।
- इस काल के आरंभिक में राज्यो, नगरो का विकास
- लोहे के बढ़ते प्रयोग
- सिक्कों का विकास
- बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारों का विकास
- अधिकांश महाजनपदों का रुख राजा का शासन होता है।
- गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध है राज्यों में कई लोगों का समूह शासन करता था इस समूह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था।
- महावीर और भगवान बुद्ध ने गणों से संबंधित थे।
- प्रत्येक महाजनपद की राजधानी होती थी जिसे प्राय: किले से खेला जाता है।
- किलेबंद राजधानियों के रखरखाव और प्रारंभिक सेनाओं और नौकरशाही के लिए भारी आर्थिक स्रोत की आवश्यकता होती थी।
- मगध क्षेत्र में खेती की उपज का खास तौर पर अच्छा होना
- लोहे की खदानें भी आसानी से उपलब्ध थी जिससे उपकरण और हथियार बनाना सरल होता था।
- इसके अलावा जंगली क्षेत्रों में हाथी उपलब्ध थे जो सेना के एक महत्वपूर्ण अंग थे।
- गंगा और इसकी उपनदियों से आना-जाना सस्ता व सुलभ होता था।
- जैन तथा बौद्ध लेखको ने मगध के शक्तिशाली होने का कारण विभिन्न शासकों की नीतियों को बताया।
- इन लेखकों के अनुसार बिंबिसार अजातसत्तू और महापदम नंद जैसे प्रसिद्ध राजा बहुत महत्वाकांक्षी शासक थे और इनके मंत्री इनकी नीतियां लागू करते थे।
- प्राकृत
- अरामेइक
- यूनानी
- ब्राह्मी
- खरोष्ठी
- पुरातात्विक प्रमाण जैसे मूर्तिकला
- समकालीन रचनाएं जैसे यूनानी राजदूत मेगस्थनीज द्वारा लिखा गया विवरण
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र
- जैन बौद्ध और पुरानी ग्रंथ
- पत्थरो, स्तंंभो पर मिले अशोक के अभिलेख
- मगध की राजधानी - पाटलिपुत्र
- चार प्रांतीय केंद्र - 1. तक्षशिला विश्वविद्यालय
- 2. उज्जयिनी
- 3. तोसलि
- 4. स्वर्णगिरी
साम्राज्य के संचालन के लिए भूमि और नदियों दोनों मार्गो से आवागमन बना रहना अत्यंत आवश्यक क्यों था? कोई दो कारण बताइए!
- चीन की राजधानी से प्रांतों तक जाने में कई सप्ताह या महीनों का समय लगता था।
- यात्रियों के लिए खानपान की व्यवस्था और उनकी सुरक्षा भी करनी पड़ती थी।
मेगस्थनीज की सैनिक व्यवस्था
मेगस्थनीज ने सैनिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक समिति और छः उप समितियों का उल्लेख किया।
मेगस्थनीज की छः प्रमुख उपसमितियां:
- नौसेना का संचालन करना।
- यातायात और खानपान का संचालन करना।
- तीसरे का काम पैदल सैनिकों का संचालन करना।
- अश्वरोहियां का संचालन करना।
- रथारोहियां का संचालन करना।
- हथियारों का संचालन करना।
19वीं सदी जब इतिहासकारों ने भारत के आरंभिक इतिहास की रचना करनी शुरू की तो मौर्य साम्राज्य को इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल क्यों माना जाता है?
- क्योंकि इस समय भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन एक औपनिवेशिक देश था।
- 19वीं सदी और बीसवीं सदी के आरंभिक में भारतीय इतिहासकारों को प्राचीन भारत का एक ऐसे साम्राज्य की संभावना बहुत चुनौतीपूर्ण तथा उत्साहवर्धक लगी।
- साथ ही प्रस्तर मूर्तियों सहित मौर्यकालीन सभी पुरातत्व एक अद्भुत कला के प्रमाण थे जो साम्राज्य की पहचान जाते हैं।
- इतिहासकारों को लगा कि अभिलेखों पर लिखे संदेश अन्य शासकों के अभिलेखों से भिन्न है।
- चोल
- चेर
- पाण्डय।
सरदार से आप क्या समझते हैं?
सरदार एक शक्तिशाली व्यक्ति होता है जिसका पद वंशानुगत भी हो सकता है और नहीं भी उसके समर्थन उसके खानदान के लोग होते हैं।
- विशेष अनुष्ठान का संचालन करना
- युद्ध का नेतृत्व करना
- विवादों को सुलझाने में मध्य स्थल की भूमिका निभाना।
- साहित्य
- सिक्के
- अभिलेख
प्रशस्ति
प्रशस्ति एक प्रसिद्ध ग्रंथ है जिसमें गुप्त शासकों के इतिहास का वर्णन किया गया है।
प्रयाग प्रशस्ति
प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरीश सेन ने की थी और इसमें समुद्रगुप्त के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।
जातक कथा
जातक कथाएं पहली सहस्त्राब्दी ईसवी के मध्य में पाली भाषा में लिखी गई थी।
- हल का प्रचलन
- लोहे के फॉल वाले हल का प्रयोग
- कुदाल का प्रयोग
- सिंचाई के स्रोतों का प्रयोग जैसे कुआं, तालाब इत्यादि।
गहपति
गणपति घर का मुखिया होता था और घर में रहने वाली महिलाओं, बच्चों, नौकरों और दासो पर नियंत्रण करता था घर से जुड़े भूमि जानवर या अन्य सभी वस्तुओं का वह मालिक होता था।
- हर्षचरित नामक ग्रंथ की रचना बाणभट्ट ने की थी
- प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरिसेन ने की थी।
- जेम्स प्रिंसेप में अशोककालीन ब्राही ही नीति का अर्थ 1838 ईसवी में निकाला।
- सोने के सिक्के सबसे पहले प्रथम शताब्दी ईस्वी में कुशान राजाओं ने जारी किए थे।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भूमि दान शासक वंश द्वारा कृषि को नए क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने की एक रणनीति थी।
- जबकि कुछ का कहना है कि भूमि दान से दुर्बल होते राजनीतिक प्रभुत्व का संकेत मिलता है अर्थात राजा का शासन सामंतों पर कमजोर होने लगता है तो उन्होंने भूमि दान के माध्यम से अपने समर्थन जुटाने का प्रयास किया।
- इनमें दाता के नाम के साथ साथ प्रायः उनके व्यवसाय का भी उल्लेख होता है।
- इनमें नगरों में रहने वाले धोबी, बुनकर, लिपिक, बढ़ाई, कुम्हार, स्वर्णकार, लौहकार, धार्मिक गुरु, व्यापारी और राजाओं के विवरण होते हैं।
श्रेणी में शामिल लोगों के कार्य
पहले कच्चे माल खरीदते थे फिर उनसे समान तैयार करना बाजार में बेच देते थे।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में नदी मार्ग और भूमार्ग
- मद्धेशिया और उससे भी आगे तक भू मार्ग थे, समुद्र तट पर बने कई बंदरगाहों से जलमार्ग अरब सागर से होते हुए उत्तरी अफ्रीका पश्चिम एशिया तक फैल गया और बंगाल की खाड़ी में यह मार्ग चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक चल गया था।
- इन मार्गों पर चलने वाले व्यापारियों में पैदल फेरीवाले लगाने वाले व्यापारी तथा बैलगाड़ी और घोड़े-खच्चर जैसे जानवरों के दल के साथ चलने वाले व्यापारियों होते थे।
- तमिल भाषा में मस्त्थुवान और प्राकृत में सत्थावाह और सिटी के नाम से प्रसिद्ध है सफल व्यापारी बड़े धनी हो जाते थे नमक अनाज कपड़ा धातु और उस से निर्मित उत्पाद पत्थर लकड़ी जड़ी-बूटी जैसे अनेक प्रकार के समान एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाए जाते थे।
- रोमन साम्राज्य में काली मिर्च जैसे मसालों तथा कपड़ों का जड़ी-बूटी की भारी मांग थी इन सभी वस्तुओं को अरब सागर के रास्ते भूमध्य क्षेत्र तक पहुंचाया जाता था इन सभी को पहुंचाने में जलमार्ग की एक विशेष भूमिका होती थी अतः इसीलिए छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में भी नदी मार्गों बाबू मार्गों का जाल बिछ गया था।
- इन सिक्कों के माध्यम से दूर देशों से व्यापार विनिमय में करने में आसानी होती थी।
- सिक्कों के प्रचलन से शासकों को भी कर लेने में लाभ होता था।
- सिक्के प्रचलन में थे और उनका संग्रह करके किसी ने नहीं रखा।
- सोने की खदानों में सोने मिलने काम हो गए।
वर्णितकाल में प्राप्त अभिलेखों की मुख्य सीमाएं :
- अक्षरों को हल्के ढंग से लिखा जाता था जिन्हें पढ़ पाना मुश्किल होता था।
- अभिलेख नष्ट भी हो जाते थे जिससे अक्सर लोग तो हो जाते थे।
- अभिलेखों के शब्दों के वास्तविक अर्थ के बारे में पूर्व ज्ञान ना होना।
- कालांतर में अभिलेखों का सुरक्षित ना रह पाना।
- खेती की दैनिक प्रक्रियाएं और रोजमर्रा की जिंदगी के सुख-दुख का उल्लेख अभिलेखों में ना मिलना क्योंकि अधिकतर अभिलेखों में बड़े और विशेष अवसरों का वर्णन किया गया था।
- अभिलेख हमेशा उन्हें व्यक्तियों के विचार व्यक्त करते थे जो उन्हें बनवाते थे।