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(समष्टि अर्थशास्त्र, परिचय) Class 12th Economics Chapter 01 Notes in Hindi | Education Flare

Class 12th Economics Chapter 1 Notes in Hindi. समष्टि अर्थशास्त्र में यह विश्लेषण करने का प्रयास किया जाता है कि विभिन्न वस्तुओं का व्यक्तिगत निर्गत स

"Class 12th Economics Notes Chapter 01"

Class 12th Economics Notes Chapter 01

'परिचय'

Class 12th Economics Notes

समष्टि अर्थशास्त्र, परिचय

  • समष्टि अर्थशास्त्र में यह विश्लेषण करने का प्रयास किया जाता है कि विभिन्न वस्तुओं का व्यक्तिगत निर्गत स्तर, कीमतें, रोजगार का स्तर आदि का निर्धारण कैसे किया जाता है।
  • व्यष्टि अर्थशास्त्र मांग और पूर्ति के व्यक्तिगत बाजारों का अध्ययन है।

समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव

  • समष्टि अर्थशास्त्र का एक अलग शाखा के रूप में उद्भव ब्रिटिश अर्थशास्त्री 'जॉन मेनार्ड कीन्स' की प्रसिद्ध पुस्तक 'द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी' के 1936 में प्रकाशित होने के बाद हुआ।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 से 1933 तक बेरोजगारी की दर 3% से बढ़कर 25% तक हो गई थी। उस अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में समस्त निर्गत में लगभग 33% की गिरावट आई। इन घटनाओं ने अर्थशास्त्रियों को नए तरीके से अर्थव्यवस्था के प्रकार्य के संबंध में सोचने को प्रेरित किया।
  • जिस अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी लंबी अवधि तक विद्यमान होगी, वहां एक सिद्धांत की प्रस्तुति और उसकी व्याख्या की आवश्यकता होगी। कीन्स की पुस्तक इस दिशा में एक प्रयास साबित हुई। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत उनका दृष्टिकोण अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली तथा विभिन्न क्षेत्रों की परस्पर निर्भरता का परीक्षण करना था। ऐसे में समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।

समष्टि अर्थशास्त्र के चार महत्वपूर्ण क्षेत्रक

  • समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था को परिवार, फर्म, सरकार (राज्य) और बाह्य क्षेत्रक इन चार क्षेत्रको के संयोग के रूप में देखा जाता है।
  1. पारिवारिक क्षेत्रक: यहां परिवार से हमारा तात्पर्य एकल व्यक्तिगत उपभोक्ता जो अपने उपभोग से संबंधित निर्णय अथवा कई व्यक्तियों के समूह जिसके उपभोग संबंधित निर्णय संयुक्त रूप से लिए जाते हैं, से हैं।
  2. फर्म: विकासशील देशों में फर्म मौजूद है वह पूंजीवादी सिद्धांतों के अनुरूप है किसी फर्म के कारोबारियों के संचालन का दायित्व उद्यमियों के ऊपर होता है। उद्यमी ही बाजार से श्रमिकों को किराए पर लाकर अपने उत्पादन प्रक्रम में नियोजन करता है। इसी प्रकार व भूमि एवं पूंजी का भी नियोजन करता है। उनका उद्देश्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन कर बाजार में उनको बेचना और उससे लाभ प्राप्त करना होता है।
  3. सरकार (राज्य): विकसित एवं विकासशील दोनों प्रकार के देशों में निजी पूंजीवादी क्षेत्र के अलावा राज्य में उसके अनुरूप एक संस्था होती है। राज्य की भूमिका कानून बनाने उसे लागू करने और न्याय दिलाने में होती है। कई ऐसे उदाहरण है जहां राज्य उत्पादन का कार्य भी करता है। कर लगाने और सार्वजनिक आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर व्यय करने के अतिरिक्त राज्य के द्वारा स्कूल, कॉलेज भी चलाए जाते हैं तथा स्वास्थ्य सेवा भी प्रदान की जाती है। जब हम किसी देश की अर्थव्यवस्था का वर्णन करें तो राज्य के आर्थिक प्रकारों का उल्लेख करना आवश्यक है।
  4. बाह्य व्यापार: बाय क्षेत्र से व्यापार तीन प्रकार से हो सकता है।
  • जब कोई देश अपनी घरेलू वस्तु विश्व के अन्य देशों में बेचते हैं तो उसे निर्यात कहते हैं।
  • कोई देश जब विश्व के अन्य देशों से वस्तुएं खरीदता है तो उसे आयात कहते हैं। आयात और निर्यात के अलावा दूसरी तरह से भी विश्व के अन्य देश किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
  • किसी देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी पूंजी का भी प्रभाव हो सकता है अथवा कोई देश विदेशों में भी पूंजी का निर्यात कर सकता है।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था

वह अर्थव्यवस्था जिसमें अधिकांश आर्थिक क्रियाकलापों के निम्नलिखित अभिलक्षण हो-

  • उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है।
  • बाजार में निर्गत को बेचने के लिए ही उत्पादन किया जाता है।
  • श्रमिकों की सेवाओं का कार्य कर रहे एक निश्चित कीमत पर होता है जिसे मजदूरी दर कहते हैं।
  • उत्पादन क्षमता में वृद्धि लाने के लिए जो व्यय किया जाता है उसे निवेश व्यय कहते हैं।
  • अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं और सेवाओं के निर्गत के स्तरों में एक साथ संचलन पर की प्रवृत्ति होती है। उदाहरण खाद्यान्न के निर्गत में वृद्धि होती है तो आमतौर पर औद्योगिक वस्तुओं का निर्गत स्तर भी बढ़ता है।

बेरोजगारी की दर की परिभाषा

  • लोगों की संख्या जो काम करने के इच्छुक है किंतु काम नहीं करते हैं, में लोगों की कुल संख्या जो काम करने के इच्छुक है और काम करते हैं, से भाग देकर जो भागफल प्राप्त होता है वह बेरोजगारी की दर है।

Q. समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णयकर्ता अथवा (आर्थिक भूमि अदा करने वाले) कौन होते हैं?

Ans. समष्टि अर्थशास्त्रीय नीतियों का अनुपालन राज्य स्वयं अथवा वैधानिक निकाय जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और इसी प्रकार की संस्था करते हैं।

Q. समष्टि अर्थशास्त्र के निर्णयकर्ता क्या करने का प्रयास करते हैं?

Ans. समष्टि अर्थशास्त्र के निर्णयकर्ताओं को आर्थिक उद्देश्यों के बाहर जाना पड़ता है और सार्वजनिक आवश्यकताओं के लिए आर्थिक संसाधनों का परिनियोजन करने का निर्णय लेना पड़ता है। इस प्रकार के क्रियाकलाप का लक्ष्य व्यक्ति के निजी हित के लिए नहीं होता है इनका अनुपालन संपूर्ण देश और उसकी जनता के कल्याण के लिए किया जाता है।

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