Class 12th History Notes Chapter 04 in Hindi

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग
-आरंभिक समाज (Early Societies)
{लगभग 600 ईसा पूर्व से 600 ईसवी तक}
Class 12th History Notes
महाभारत
महाभारत हिंदुओं का प्रमुख काव्य ग्रंथ है जो समिति के इतिहास वर्ग में आता है इसे भारत की धार्मिक, पौराणिक ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है इसके अलावा इस ग्रंथ को हिंदू धर्म में पंचम वेद माना जाता है इस ग्रंथ की रचना 1000 वर्ष तक होती रही है महाभारत की मुख्य कथा दो परिवारों के बीच हुए युद्ध का चित्रण है इस कथन के कुछ भाग विभिन्न सामाजिक समुदायों के आचार व्यवहार के मानदंड तय करते हैं अतः इस ग्रंथ के मुख्य रचेता 'वेदव्यास' थे।
महाभारत एक समालोचनात्मक संस्करण
- देश के विभिन्न भागों में विभिन्न लिपियों में लिखी गई महाभारत की संस्कृत पांडुलिपियों को इकट्ठा किया गया।
- इस परियोजना पर काम करने वाले विद्यालयों में सभी पांडुलिपियों में पाए जाने वाले लोगों की तुलना करने का तरीका ढूंढ निकाला।
- इन सभी पांडुलिपियों का प्रकाशन 13000 पृष्ठों में फैले अनेक खंडों में किया।
- इस विशाल संस्करण को तैयार करने में 47 वर्ष लगे आता इसीलिए महाभारत को एक समालोचनात्मक संस्करण कहना सही होगा।
मातृवांशिकता
मातृवांशिकता से अभिप्राय उस वंश परंपरा से है जो मां से जुड़ी होती है।
पितृवांसिकता
पितृवांसिकता से अभिप्राय उस परंपरा से हैं जिसमें पिता के बाद पुत्र, पौत्र के बाद प्रपौत्र से आदि चलती आती है।
विवाह के प्रकार
- अंतर्विवाह
इस विवाह में व्यवाहिक संबंध समूह के मध्य होते हैं यह समूह एक गोत्र कुल अथवा जाति या फिर एक ही स्थान पर बसने वाले का हो सकता है।
- बहिर्विवाह
गोत्र से बाहर विवाह करने की पद्धति को बहिर्विवाह कहा जाता है।
- बहुपत्नी प्रथा
इस प्रथा में एक पुरुष की कई पत्नियां होने का प्रावधान है।
- बहुपति प्रथा
एक स्त्री के कई अनेक पति होने का पद्धति है।
ब्राह्मण है पद्धति के अनुसार गोत्रों के नियम
- विवाह के बाद स्त्रियों को पिता के स्थान पर पति के गोत्र का माना जाता था।
- एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह संबंध नहीं रख सकते थे।
धर्मसूत्र और धर्मशास्त्रों में वर्णित वर्ग
- ब्राह्मण
ब्राह्मणों का कार्य अध्ययन करना वेदों की शिक्षा देना यज्ञ करवाना तथा दान लेना।
- क्षत्रिय
क्षत्रियों का काम युद्ध करना लोगों को सुरक्षा प्रदान करना न्याय करना वेद पढ़ना और दान-दक्षिणा देना।
- वैश्य
वैश्य का काम दोनों बार वर्गों की सेवा करना अर्थात कृषि, गोपालन और व्यापार करना।
- शूद्र
शुद्रो का मात्र एक ही जीविका थी तीनों वर्गों की सेवा करना।
ब्राह्मणों ने वर्ण व्यवस्था के नियम का पालन करवाने के लिए नीति
- ब्राह्मणों के द्वारा यह बताया गया कि वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति एक दैविक व्यवस्था है।
- इसके अलावा उन्होंने शासकों को यह उपदेश दिया कि वह इस व्यवस्था के नियमों का अपने राज्यों में इसका अनुसरण करें।
- उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है।
क्षत्रिय शासक
- शक राजा रूद्रदमन
- गोमती-पुत्र श्री सातकर्णि
यायावर पशुपलक
- यायावर पशु पशु पालक को आसानी से बचे हुए कृषि कर्मियों के साथी के अनुरूप नहीं डाला जा सकता था।
- यदा-कदा उन लोगों को जो संस्कृत भाषी थे उन्हें मलेच्छ कहकर है की दृष्टि से देखा जाता था।
चांडाल
शवों का अंतिम संस्कार और मृतक पशुओं को छूने वालों को चांडाल कहा जाता था।
मनुस्मृति में वर्णित चांडाल के कर्तव्य
- उन्हें गांव के बाहर रहना पड़ता था।
- वे फेंके हुए बर्तनों का इस्तेमाल करते थे मरे हुए लोगों के वस्त्र तथा लोहे के आभूषण पहनते थे।
- रात्रि में वे गांव और नगर में लोचल फिर नहीं सकते थे।
- संबंधियों से विभिन्न मृतकों की उन्हें अंतिम संस्कार करनी पड़ती थी तथा वधिक के रूप में भी कार्य करना पड़ता था।
- चीन से आए बौद्ध भिक्षु फा -शिआन का कहना है कि चांडालो को सड़क पर चलते हुए करताल बजाकर अपने होने की सूचना देनी पड़ती थी जिससे अन्य जन उन्हें देखने के दोस्त से बच जाए।
- एक और चीनी तीर्थयात्री श्वैन-त्सांग कहता है कि अधिक और सफाई करने वालों को नगर से बाहर रहना पड़ता था।
मनुस्मृति के अनुसार पैतृक जायदाद
- मनुस्मृति के अनुसार जायदाद का माता पिता के मृत्यु के बाद सभी मित्रों में समान रूप से बांट देना चाहिए किंतु बड़ा पुत्र विशेष भाग का अधिकारी था। स्पीरिया इस पैतृक संसाधन में हिस्सेदारी की मांग नहीं कर सकती थी।
- किंतु विवाह के समय मिले उपहारों पर स्त्रियों का स्वामित्व माना जाता था और इसे स्त्रीधन की संज्ञा दी जाती थी इस संपत्ति को उनकी संतान विरासत के रूप में हासिल कर सकते थे और इस पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था।
सूत
महाभारत के मूल कथा के रचयित भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था
सूत के प्रमुख कार्य
- यह छत्रिय योद्धाओं के साथ युद्ध क्षेत्र में जाते थे और उनकी विजय व उपलब्धियों के बारे में कविताएं लिखते थे।
आरंभिक समाज की सामाजिक स्थिति
- उनकी सामाजिक स्थिति इस बात पर निर्भर करते थे कि आर्थिक संसाधन पर उनका कितना नियंत्रण है।
- आख्यान : आख्यान में महाभारत के कहानियों का संग्रह किया गया है।
- उपदेशात्मक : जबकि उपदेश आत्मक में सामाजिक आचार विचार के मानदंडों का चित्रण किया गया है।
महाभारत की सबसे चुनौतीपूर्ण उपकथा
- महाभारत की सबसे चुनौतीपूर्ण कथा द्रोपदी से पांडवों का विवाह था यह बहुपति विवाह का उदाहरण है, जो महाभारत की कथा का अभिन्न अंग है।
महाभारत एक गतिशील ग्रंथ
- महाभारत का विकास संस्कृत के पाठ के साथ ही समाप्त नहीं हुआ था बल्कि शताब्दियों से इस महाकाव्य के अनेक पाठांतर अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए।
- यह सब उस संवाद को दर्शाते हैं जो अन्य लोगों और समुदायों के बीच कायम हुए।
- अनेक कहानियां जिस का उद्भव एक क्षेत्र विशेष में हुआ और जिसका खास लोगों के बीच प्रसार हुआ वे सब इस महाकाव्य में समाहित कर ली गई।
- इस महाकाव्य की मुख्य कथा की अनेक पुनर्व्याख्याएं की गई।
- इसके प्रसंगों को मूर्तिकला और चित्रों में भी दर्शाया जाए।
- इस महाकाव्य ने नाटकों और नृत्य कला के लिए भी विषय वस्तु प्रदान की।
Q. भारत के पुरातत्ववेदा बी.बी लाल ने मेरठ जिले के हस्तिनापुर नामक गांव में उत्खनन किया यहां के 5 स्तरों के साक्ष्य मिले थे जिसमें से दूसरे और तीसरे स्तर हमारे विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण क्यों था?
- दूसरे स्तर पर मिलने वाले घरों के बारे में लाल कहते हैं "जिस समिति क्षेत्र का उत्खनन हुआ वहां से आवास गृहों की कोई निश्चित परियोजना नहीं मिलती किंतु मिट्टी की बनी दीवारे और कच्ची मिट्टी की ईटों अवश्य मिलती है सरकंडे की छाप वाले मिट्टी के फलस्तर की खोज इस बात की ओर इशारा करती है कि कुछ घरों की दीवारें सरकंडे की बनी थी जिस पर मिट्टी का प्लस्तर पर चढ़ा दिया जाता था।"
- तीसरे स्तर के लिए लाल कहते हैं तृतिय काल के घर कच्ची और कुछ पक्की ईंटों के बने हुए थे। इसमें शोषक घर और ईंटों के नाले गंदे पानी के निकासी के लिए इस्तेमाल किए जाते थे तथा वलय-कूपों का इस्तेमाल कुआँ और मल की निकासी वाले गर्तो दोनों ही रूपों में किया जाता था।"