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(एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर) Class 12th History Notes Chapter 07 in Hindi | Education Flare

(एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर) Class 12th History Notes Chapter 07 in Hindi | Education Flare,विजयनगर अथवा 'विजय का शहर' है एक शहर और एक साम्राज्

  Class 12th History Notes Chapter 07 in Hindi

Class 12th History Notes

एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

{लगभग 14वीं से 16वीं सदीं तक}

Class 12th History Notes 

विजयनगर साम्राज्य

  • विजयनगर अथवा 'विजय का शहर' है एक शहर और एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयोग किया जाता था। इस साम्राज्य की स्थापना चौदहवीं शताब्दी में की गई थी, यह साम्राज्य उत्तर में कृष्ण नदी से लेकर प्राद्वपीय दक्षिण तक फैला हुआ था। 1565 में इस साम्राज्य पर आक्रमण किया गया और इसे लूटा गया। बाद में यह उजड़ गया 17वीं-18वीं शताब्दियों तक साम्राज्य लगभग पूर्ण रूप से नष्ट हो गया था, परंतु फिर भी कृष्ण-तुंगभद्रा दोआव क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में जीवित रहा उन्होंने इसे हम्पी नाम से याद रखा। 

Note :

  • विजय नगर का अर्थ है 'विजय का शहर'
  • विजयनगर साम्राज्य की स्थापना सन 1336 में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। 
  • हरिहर और बुक्का संगम वंश से संबंधित थे। 
  • विजयनगर साम्राज्य मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों के अपने बाजार के लिए प्रसिद्ध था। 
  • दक्षिण भारत के चोलों और होयसालों ने तंजावुर के वृद्धेश्वर मंदिर तथा बेलूर के चन्नेकेशव मंदिर को संरक्षण प्रदान किया था।
  • विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्णदेव राय थे। 
  • कृष्णदेव राय ने अपनी मां के नाम पर विजय नगर के समीप 'नगलपुरम' की स्थापना की थी। 
  • विजयनगर साम्राज्य का पहला सर्वेक्षण मानचित्र कॉलिन मैकेंजी द्वारा तैयार किया गया था। 
  • आराविदु राजवंश ने विजयनगर साम्राज्य पर पेनुकोंडा और चंद्रगिरी 2 स्थानों से शासन किया।
  • इस काल में युद्धकला प्रभावशली अश्वसेना पर आधारित थी।
  • विजयनगर साम्राज्य में भवन निर्माण के लिए 'इंडो-इस्लामिक' स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया था। 
  • विजय नगर के राजकीय केंद्र में स्थित दो प्रसिद्ध मंदिर 1.) कमल महल, 2.) हज़ार राम मंदिर
  • विजय नगर के दो प्रसिद्ध मंदिर 1.) विरुपाक्ष मंदिर, 2.) विट्ठल मंदिर
  • विजयनगर में विशाल स्तर पर बनाई गई संरचनाएं राजकीय  सत्ता की घोतक राय गोपुरम और राजकीय प्रवेश द्वार था। 

कॉलिन मैकेंजी

  • कॉलिंग मैकेंजी एक अभियंता सर्वेक्षण तथा मानचित्र कार और भारत के पहले सर्वेक्षण जनरल डिरेक्टर थे। 
  • उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारी विरुपाक्ष मंदिर तथा पंपा देवी के पूजास्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी। 
  • कॉलिन मैकेंजी ने भारत के अतीत को बेहतर ढंग से समझने और उपनिवेश के प्रशासन को आसान बनाने के लिए उन्होंने इतिहास से संबंधित स्थानीय परंपराओं का संकलन तथा ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण करना आरंभ किया। 
कुदिरई चेट्टी
  • विजयनगर साम्राज्य में घोड़े के व्यापारियों को कुदिरई चेट्टी के नाम से जाना गया। 
राय 
  • विजयनगर साम्राज्य के शासक स्वमं को राय से संबोधित करते थे। 

व्यापार की मुख्य विशेषताएं

  • यहां की समृद्ध जनता महंगी विदेशी वस्तुओं की मांग करती थी विशेष रूप से रत्नों और आभूषणों की। 
  • व्यापार प्राप्त राजस्व राज्य की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता था।

राक्षसी तांगड़ी युद्ध

  • सन 1565 में विजयनगर की सेना प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में राक्षसी तागड़ी के युद्ध में उत्तरी जहां से बीजापुर अहमदनगर तथा गोल कुंभ की संयुक्त सेनाओं द्वारा करारी हार मिली जिसे राक्षसी तागड़ी युद्ध के नाम से जाना हुआ। 

विजयनगर साम्राज्य के पतन होने के मुख्य कारण

  • कृष्णदवराय जैसे शासकों का ना होना
  • राक्षसी तागड़ी का युद्ध व 1565 में साम्राज्य पर आक्रमण
  • राम राय की जोखिम भरी नीति
  • सुल्तानों की सेना

नायक

  • नायक सेना प्रमुख होते थे उनके पास शसस्त्र समर्थक सैनिक होते थे। 
नायक की मुख्य विशेषताएं
  1. नायक शासकों के किलो पर नियंत्रण रखते थे और उनके पास स्वयं के शसस्त्र समर्थक सैनिक होते थे। 
  2. यह प्रमुख आमतौर पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण चीन होते थे और कई बार बचने के लिए उपजाऊ भूमि की तलाश में किसान भी उनका साथ देते थे। 
  3. नायक आमतौर पर तेलुगु या कन्नड़ भाषा बोलते थे। 

विजयनगर साम्राज्य के प्रमुख शासकीय वंश

संगम वंश
  • स्थापना : हरिहर और बुक्का (1336ई. - 1485ई.) 
सुलुव वंश
  • यह सैनिक कमांडर थे (1485ई. - 1503ई.) 
तुलुव वंश 
  • कृष्णदेव राय स्लोगन से संबंधित थे (1503ई. - 1529ई.) 
अराविदु वंश
  • 17वीं सदी तक शासन किया

राक्षसी तागड़ी का युद्ध

  • रामराय, इन्होंने विजयनगर साम्राज्य का नेतृत्व किया था। 
  • बीजापुर, अहमदनगर और गोलकुंडा की संयुक्त सेना। 

विजयनगर साम्राज्य के उत्थान में अमरनाथ प्रणाली का महत्व

  1. अमर नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक खोज थी ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रणाली के कई तत्व दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से लिए गए थे। 
  2. अमर नायक सैनिक कमांडर थे जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिए जाते थे। 
  3. अमर नायक किसानों सिर्फ कारण तथा व्यापारियों से भू राजस्व तथा अन्य कार्य वसूलते थे। 
  4. राजस्व का कुछ भाग मंदिरों तथा सिंचाई के साधनों के रखरखाव के लिए भी खर्च किया जाता था। 
  5. अमर नायकों के दाल आवश्यकता के समय विजयनगर के शासकों को भी एक प्रभावी सैनिक सहायता प्रदान करते थे। 
  6. अमर नायक राजेश का कुछ भाग व्यक्तिगत उपयोग तथा घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल के रखरखाव के लिए अपने पास रख लेते थे। 
  7. यह दल विजयनगर शासकों को एक प्रभावी शक्ति प्रदान करने में सहायक होते थे जिसकी मदद से उन्होंने पूरे दक्षिण प्रायोजित को अपने नियंत्रण में किया हुआ था। 
  8. अमर नायक राजा को वर्ष में एक बार भेजा करते थे और अपनी स्वामी भक्ति प्रकट करने के लिए राज्य दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित हुआ करते थे। 
  9. अमर नायक राजा के नियंत्रण में रहते थे राजा कभी-कभी उन्हें एक से दूसरे स्थान पर हस्तांतरित कर उन पर अपना नियंत्रण दर्शाते थे। 
  10. 17वीं शताब्दी में इनमें से कई नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए। 

विजयनगर साम्राज्य में जल संपदा की पूर्ति के स्रोत

  • तुंगभद्रा नदी : यह नदी उत्तर पूर्व दिशा में बहती के आसपास का वह दृश्य रमणीय ग्रेनाइट की पहाड़ियों से परिपूर्ण था जो शहर के चारों ओर करधनी का निर्माण करती-सी प्रतीत होती थी इन पहाड़ियों से कई जलधाराएं आकर नदी से मिलती थी। 
  • कमलपुरम् जलाशय : लगभग सभी धाराओं के साथ-साथ बांध बनाकर अलग-अलग आकारों के हौज़ बनाए गए थे क्योंकि विजयनगर साम्राज्य प्रायद्वीप के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक था इसीलिए पानी के संचय और इसे शहर तक ले जाने के लिए व्यापक प्रबंध करना आवश्यक था ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण हौज़ो में से एक का निर्माण 15वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में हुआ जिसे आज कमलपुरम् जलाशय कहा जाता है इस हौज़ के पानी से ना केवल आसपास के खेतों को  सींचा जाता था, बल्कि इसे एक नहर के माध्यम से 'राजकीय केंद्र' तक भी ले जाया जाता था। 
  • हिरिया नहर : इस नहर में तुमभद्रा पर बने बांध से पानी लाया जाता था और इसे धार्मिक केंद्र से शहरी केंद्र को अलग करने वाली घाटी को सिंचित करने में प्रयोग किया जाता था संभवत इसका निर्माण संगम वंश के राजाओं द्वारा करवाए गया था। 

कृष्ण देव राय के शासन की चारित्रिक विशेषताएं "विस्तार और सुदृढीकरण"

  • इसी काल में तुमभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र (रायचूर दोआब) 1512 में हासिल किया गय, 1514 में उड़ीसा के शासकों का दमन किया गया, 1520 बीजापुर के सुल्तानो को बुरी तरह से पराजित किया गया था। 
  • राजा हमेशा सामरिक रूप से तैयार रहता था लेकिन फिर भी यह अतुलनीय शांति और समृद्धि की स्थितियों में फला-फूला। 
  • मंदिरों के निर्माण तथा कई महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय मंदिरों में भद्दे गोपुरम को जोड़ने का श्रेय कृष्णदेवराय को ही जाता है। 
  • विजयनगर के संदर्भ में सबसे विस्तृत विवरण कृष्णदेव राय के या उन के तुरंत बाद के कारणो से प्राप्त होते हैं। 

शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के फायदे एवं नुकसान :-

प्रस्तावना : विजयनगर शहर की एक मुख्य विशेषता इसकी बड़ी एक सुदृढ किलेबंदी थी। किलेबंद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें केवल शहरों को ही नही बल्कि खेती कार्य में प्रयोग किए जाने वाले आसपास के क्षेत्रों को भी घेरा गया था। अब्दुल रज्जाक के विवरण से भी किलेबंदी कृषि क्षेत्रों की पुष्टि होती है शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के कई लाभ तथा नुकसान थे। 

लाभ

  1. मध्यकाल में विजय प्राप्ति में घेराबंदी का मुख्य योगदान होता था घेराबंदी यों का मुख्य उद्देश्य प्रतिपक्ष को खाद सामग्री से वंचित कर देना होता था ताकि यह वेवस होकर आत्मसमर्पण को तैयार हो जाए। घेराबंदी या कई कई महीनों तक और यहां तक कि वर्षों तक चलती रहती थी इस स्थिति में बाहर से खाद्ध सामग्री का आना बहुत मुश्किल हो गया था किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के परिणाम स्वरूप शहर को अनाज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता था। 
  2. इसके परिणाम खेतों में उगी फसलें शत्रु द्वारा किए जाने वाले आक्रमण से बस जाती थी। 
  3. खेतों के किलेबंद क्षेत्र में होने के कारण प्रतिपक्ष की

हाँनिय

  • कृषि क्षेत्र को किलेबंदी क्षेत्र में रखने की व्यवस्था बहुत महंगी थी राज्य को इस पर ज्यादा धनराशि व्यय करनी पड़ती थी। 
  • किलेबंदी क्षेत्र में कृषि क्षेत्र के होने के परिणाम स्वरूप घेराबंदी की स्थिति में बाहर रहने वाले किसानों के लिए खेतों में काम करना मुश्किल हो जाता था। 
  • घेराबंदी की स्थिति में कृषि के लिए बीज, उर्वरक, यंत्र आदि को बाहर के बाजारों से लाना पड़ता था, जो बहुत कठिन कार्य भी था क्योंकि यदि कोई शत्रु किलेबंद क्षेत्र में प्रवेश करने में सफल हो जाता था तो खेतों में उगी फसल उसके विनाश शिकार बन जाती थी। 

विजयनगर साम्राज्य के शहरी केंद्रो की विशेषता ;

  • विजयनगर साम्राज्य के उत्तर पूर्वी कोना शहरी केंद्र के लिए प्रसिद्ध था, और इस हिस्से में परिष्कृत चीनी मिट्टी पाई जाती थी। 
  • विजय नगर के शहरी केंद्रों में अमीर व्यापारी रहते थे। 
  • इसके अलावा इस पूरे क्षेत्र में बहुत से पूजा स्थल और छोटे मंदिर से जो विभिन्न प्रकार के संप्रदायों द्वारा संरक्षित थे। 

विजय नगर के राजकीय केंद्र में महानवमी डिब्बा का आकार और कार्य का वर्णन

  • महानवमी डिब्बा शहर के सबसे ऊंचे स्थानों में से एक पर स्थित एक विशालकाय मंच था। इसका आधार लगभग 11000 वर्ग फीट तथा ऊंचाई 40 फीट था इस पर लकड़ी की एक संरचना बनी हुई थी मंच के आधार उभारदार नक्काशी की गई थी। 
  • इस संरचना से जुड़े अनुष्ठान संभत: महानवमी डिब्बा से जुड़े थे जिसका संबंध उत्तर भारत के त्योहार दशहरे, बंगाल का दुर्गा पूजा, प्रायद्वीपीय भारत के नवरात्रि या महानवमी के त्योहारों से है। इस अवसर पर विजयनगर के शासक अपनी प्रतिष्ठा तथा शक्ति का प्रदर्शन करते थे इस अवसर से जुड़े अनुष्ठान थे मूर्ति की पूजा, राज्य की अश्व की पूजा तथा भैंसों और अन्य जानवरों की बलि। 
  • इस अवसर के प्रमुख आकर्षक थे नृत्य, कुश्ती, साज, घोड़े, हाथियों और रथो, सैनिकों की शोभायात्रा प्रमुख नायकों एवं अधीनस्थ राजाओं द्वारा राज्य और उसके अतिथियों को दी जाने वाली औपचारिक भेंट। इन उत्सवों का बहुत ही महत्वपूर्ण अर्थ था। त्यौहार के अंतिम दिन राजा अपने तथा अपने नायकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में निरीक्षण करता था। इस अवसर पर नायक राजा के लिए बड़ी मात्रा में उपहार तथा निश्चित कर लाते थे। 
  • विद्वानों का मत है कि संरचना के चारों ओर का स्थान सशस्त्र पुरुषों-स्त्रियों तथा बड़ी संख्या में जानवरों की शोभायात्रा के लिए पर्याप्त नहीं था। राजकीय केंद्र में स्थित कई अन्य संरचनाओं की तरह स्थल भी एक पहेली बना हुआ है। 

'डोमिंगो पेस' द्वारा विजयनगर शासन के महानवमी डिब्बा के बारे में देखे गए पहलू

  1. महानवमी डिब्बा शहर के सबसे ऊंचे स्थानों में से एक पर एक शेर था यह एक विशालकाय मंच था। इसका लगभग आधार 11,000 से तथा ऊंचाई 40 फिट था। इसके साथ ही मंच के आधार पर धारदार नक्काशी की गई थी। 
  2. इस मंच का सरोकार संभव है महानवमी या नवरात्रि नामक पर्व से जुड़े अनुष्ठानों से था। यह अनुष्ठान निम्नलिखित थे- भूमि की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा और भैंस एवं अन्य जानवरों की बलि। इसके अलावा इस अवसर पर विजय नगर के शासक अपनी प्रतिष्ठा और शक्ति का भी प्रदर्शन करते थे। 
  3. नृत्य, कुश्ती, साज लगे घोड़े, हाथियों तथा रखो और सैनिकों की शोभयात्रा इस अवसर के मुख्य आकर्षक थे। इसके अतिरिक्त इन उत्सवों के विशेष सांकेतिक अर्थ भी थे। 
  4. 'डोमिगो पेस' के अनुसार त्योहार के अंतिम दिन राजा अपने तथा अपने नायकों के सेना का खुले मैदान में आयोजित एक समारोह में निरीक्षण करता थे। इस अवसर पर नायक राजा के लिए उपाय और निश्चित कर भी लाते थे। 

हज़ार राम मंदिर की विशेषताएँ

  • इस मंदिर का प्रयोग केवल राजा और उसके परिवार द्वारा किया जाता था। 
  • इस मंदिर के बीच के देवस्थल की मूर्तियां अब नहीं है लेकिन दीवारों पर बनाए गए पटल मूर्तियां सुरक्षित है। 
  • मंदिर के आंतरिक दीवारों पर रामायण को उत्क्रमित किया गया है। 

विरुपाक्ष मंदिर की विशेषताएं

  • विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण कई शताब्दियों में हुआ था। 
  • मुख्य द्वार के सामने बना मंडप कृष्णदेव राय ने अपने राज्यरोहन के उपलक्ष्य में बनवाया था। इसे शूक्ष्मता से उत्क्रणित स्तंभों से सजाया गया था। 
  • पूर्वी गोपुरम के निर्माण का श्रेय भी उसे ही दिया जाता है इन परिवर्तनों का अर्थ था कि केंद्रीय देवालय पूरे परिसर के एक छोटे भाग तक सीमित रह गया था
  • मंदिर के सभागारो का प्रयोग विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए होता था इसमें से कुछ ऐसे थे जिसमें देवताओं की मूर्तियां, संगीत, नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थी। 
  • अन्य सभागारों का प्रयोग देवी देवताओं के विवाह के उत्सव पर आनंद मनाने और कुछ अन्य का प्रयोग देवी देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था। इन अवसरों पर विशिष्ट मूर्तियों का प्रयोग होता था जो छोटे केंद्रीय देवाल्यो में स्थापित मूर्तियां में भिन्न होती थी। 

विट्ठल मंदिर की विशेषताएं

  • इस मंदिर के मुख्य देवता विट्ठल थे जो महाराष्ट्र में पूजे जाने वाले विष्णु के रूप हैं। 
  • किस देवता की पूजा को कर्नाटक में आरंभ करना उन माध्यमों का घोतक है जिनसे एक साम्राज्यिक संस्कृति के निर्माण के लिए विजयनगर के शासकों ने अलग-अलग परंपराओं को आत्मसात किया अन्य मंदिरों की तरह ही इस मंदिर में भी कई सभागार तथा रथ के आकार का एक अनूठा मंदिर भी है। 
  • मंदिर परिसरों की चारित्रिक विशेषता रथ गलियां हैं जो मंदिर के गोपुरम से सीधी रेखा में जाती है इन गलियों का फर्श पत्थर के टुकड़ों से बनाया गया है और इसके दोनों ओर स्तंभ वाले मंडप थे जिनमें व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे। 
  • जिस प्रकार नायकों ने किलेबंदी की परंपराओं को जारी रखा तथा और अधिक व्यापक बनाया, ठीक वैसे ही उन्होंने मंदिर निर्माण की परंपराओं के संदर्भ में भी किया। यहां तक कि कुछ सबसे दार्शनिक गोपुरो का निर्माण भी स्थानीय नायकों द्वारा किया गया था विरुपाक्ष और विठ्ठल मंदिर इसका जीता जागता उदाहरण है। 

विजयनगर साम्राज्य की जानकारी के प्रमुख स्रोत

  • फोटोग्राफ
  • नक्शे
  • संरचनाओं के खड़े रेखाचित्र
  • मूर्तियां

विजयनगर साम्राज्य पर अध्ययन करने वाले प्रमुख पुरातात्विक

  • जॉन एमo
  • जॉर्ज मिशेल
  • एमo एसo नागराज राव

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