पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जीवन परिचय
- पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म सन् 1883 में राजस्थान के पुरानी बस्ती, जयपुर में हुआ था। इनकी मृत्यु सन् 1922 में हुई।
- चंद्रधर शर्मा गुलेरी के पिता 'पंडित शिव राम शास्त्री' थे जो हिमाचल प्रदेश के 'गुलेर गांव' के निवासी थे। उनकी माता लक्ष्मी देवी जी थी जो पंडित शिवराम शास्त्री की तीसरी पत्नी थी।
- चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से M.A. की पढ़ाई की।
गुलेरी जी की उपलब्धियां:
- गुलेरी जी बहुभाषाविद् थे। संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, ब्रज, अवधि, मराठी, गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, बांग्ला के साथ-साथ अंग्रेजी, लैटिन, तथा फ्रेंच आदि भाषाओं में भी उनकी अच्छी गति थी।
- वे संस्कृत के पंडित थे। प्राचीन इतिहास और पुरातत्व उनका प्रिय विषय था। उनकी रुचि भाषा विज्ञान में थी। यही वजह है कि उन्हें इतने सारे भाषाओं का ज्ञान था।
गुलेरी जी की सृजनशीलता के चार मुख्य पड़ाव:
(i) समालोचक (1903-06)
(ii) मर्यादा (1911-12)
(iii) प्रतिभा (1918-20)
(iv) नागरी प्रचारिणी पत्रिका (1920-22)
गुलेरी जी की प्रमुख रचनाएं:
(i) कहानियां: सुखमय जीवन (1911), बुद्धू का कांटा (1914), उसने कहा था (1915)।
(ii) निबंध: मारेसि कुठांव, कछुआ धर्म।
(iii) आलोचना: पुरानी हिंदी।
गुलेरी जी को इतिहास दिवाकर की उपाधि से सम्मानित किया गया। मदन मोहन मालवीय के आग्रह पर 11 फरवरी 1922 ई. को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राची विभाग के प्राचार्य बने।