Best UPSC Coaching For Preparing For UPSC CSAT Exam. Visit this page

(मृदा) Class 7th Science Chapter 09 Notes in Hindi | Education Flare

Class 7th Science Notes Chapter 09 in Hindi. मृदा: शैल कणों और ह्यूमस का मिश्रण मृदा कहलाती हैं। ह्यूमस: मृदा में उपस्थित सड़े गले जैव पदार्थ फ्यूमस क

Class 7th Science Chapter 09 Notes

Class 7th Science chapter 9 Notes

'मृदा'

Class 7th Science Notes

हमारे जीवन में मृदा का महत्व

मृदा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है यह पादपों की जड़ों को दृढ़ता से थामे रखकर तथा उन्हें जल और पोषक तत्वों की आपूर्ति करके उनकी वृद्धि में सहायता करती है। यह अनेक जीवो का आवास है। कृषि के लिए मृदा अनिवार्य हैं। कृषि हम सभी को भोजन, कपड़ा और आश्रय प्रदान करती है। अतः मृदा हमारे जीवन का अनिवार्य भाग है। पहली वर्षा के बाद मृदा की सौंधी गंध सदैव ताजगी भर देती है।

पॉलीथिन प्लास्टिक मृदा को किस प्रकार प्रदूषित करते हैं?

पॉलिथीन की थैलियां और प्लास्टिक, मृदा को प्रदूषित करते हैं। ये मृदा में रहने वाले जीवो को भी हानि पहुंचाते हैं इसलिए पॉलिथीन की थैलियां और प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है। अनेक प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ, रसायन तथा पीड़कनाशी मृदा को प्रदूषित करते हैं। ऐसे अपशिष्ट पदार्थों और रसायनों को मृदा में निर्मुक्त करने से पहले उन्हें उपचारित किया जाना चाहिए। पीड़कनाशियों का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए।

मृदा 5 परतो से बनी होती है। 
  1. ह्यूमस।
  2. जल।
  3. मृतका।
  4. बाबालू।
  5. बजरी।
  • मृदा: शैल कणों और ह्यूमस का मिश्रण मृदा कहलाती हैं।
  • ह्यूमस: मृदा में उपस्थित सड़े गले जैव पदार्थ फ्यूमस कहलाते हैं।
  • मृदा परिच्छेदिका: मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाकाट मृदा परिच्छेदिका कहलाती है।
  • संस्तर - स्थितियां: प्रत्येक परत स्पर्श (गठन), रंग, गहराई और रासायनिक संगठन में भिन्न होती है। ये परते संस्तर स्थितियां कहलाती है।

संस्तर के चारों स्थितियों को समझाइए:

i) A-संस्तर-स्थिति: सबसे ऊपर वाली संस्तर स्थिति सामान्यतः गहरे रंग की होती है, क्योंकि यह ह्यूमस और खनिजों से समृद्ध होती है। यह परत सामान्यतः मृदु, सरंध्र और अधिक जल को धारण करने वाली होती है। इसे शीर्षमृदा या A-संस्तर-स्थिति कहते हैं। 

ii) B-संस्तर-स्थिति: शीर्षमृदा से नीचे की परत में ह्यूमस कम होती है लेकिन खनिज अधिक होते हैं। यह परत सामान्यत: अधिक कठोर और अधिक संहत (घनी) होती हैं। यह B-संस्था-स्थिति मध्यपरत कहलाती है।

iii) C-संस्तर-स्तिथि: तीसरी परत C-संस्तर-स्थिति कहलाती है, जो दरारों और विदारोयुक्त शैलाें के छोटे ढलों की बनी होती है।

iv) आधार शैल: सबसे निचली परत आधार शैल कहलाती है। जो कठोर होते हैं और इसे फावड़े से खोदना कठिन होता है।

  • मृदा के कुछ महत्वपूर्ण अंग
  • शैल कण, खनिज, ह्यूमस, बैक्टीरिया, पादपमूल, केंचुए।
  • बलुई मृदा किसे कहते हैं?
  • मृदा में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है तो उसे बलुई मृदा कहते है।
  • मृण्मय: मृदा में बारीक (सूक्ष्म) कणों का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक होता है, तो यह मृण्मय मृदा कहलाती हैं।
  • दुमटी मृदा: जिस मृदा में बड़े और छोटे कणों की मात्रा समान होती हैं उस मृदा को दुमटी मृदा कहते हैं। 
  • गाद मृदा: नदी तल में नीचे के रूप में पाई जाती है याद करो काम आप बालू और चिकनी मिट्टी के अमापुर के बीच का होता है।
  • पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा दुमट होती है।
स्श्रवण दर (ml/min): जल की मात्रा (ml)/ स्श्रवण अवधि (min)


एक टिप्पणी भेजें