"Class 7th Science Notes Chapter 08"

'पवन, तूफान और चक्रवात'
Class 7th Science Notes
पवन : गतिशील वायु पवन कहलाती है।
वायु दाब डालती है
वायुदाब डालती है इसे हम कुछ उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं
- वायु की विपरीत दिशा में नाव चलना कठिन होता है।
- तेज हवा में पतंग को उड़ाना कठिन होता है।
- साइकिल के टायर में हवा भरना आदि।
पवन का वेग बढ़ने पर वायुदाब घट जाता है
उदाहरण :-
- जब हम बोतल के मुख पर फूंक मारते हैं तो मुंह के पास की वायु का वेग अपेक्षाकृत अधिक हो जाता है इससे वहां वायु दाब घट जाता है वह तल के भीतर वायु दाब अधिक होने के कारण बोतल के भीतर की वायु गेंद को बाहर की ओर धकेल देती है।
- पवन सदैव अधिक वायुदाब वाले क्षेत्र से कम वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर गति करती है वायु दावों के बीच जितना अधिक अंतर होगा पवन का भी उतना ही अधिक होगा।
- गर्म किए जाने पर वायु का प्रसार होता है और वह अधिक स्थान गिरती है इसीलिए गर्म वायु ठंडी वायु की अपेक्षा हल्की होती है यही कारण है कि धुआं ऊपर उठता है।
पवन धाराओं का पृथ्वी के असमान रूप से गर्म होने का कारण उत्पन्न होना :-
- भूमध्य रेखीय और ध्रुवीय क्षेत्रों का समान रूप से गर्म होना : भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है जिसके कारण यहां अधिक तापमान से पृथ्वी की सतह के निकट की वायु गर्म होकर ऊपर उठती है और ठंडी वायु भमध्य रेखा के दोनों ओर 0 डिग्री से 30 डिग्री अक्षांश से भूमध्य रेखा की ओर चलती है इस प्रकार उत्पन्न पवन धाराएं उत्तर और दक्षिण से भूमध्य रेखा की ओर बहती है।
- ध्रुवों की वायु अत्यधिक ठंडी होती है जो कि 60 डिग्री अक्षांश तक के क्षेत्रों की गर्मियों के ऊपर उठने पर उनका स्थान ले लेती है इस प्रकार वायु का प्रभाव ध्रुवों से अपेक्षाकृत अधिक गर्म क्षेत्र की ओर होता रहता है।
- पवन के प्रवाह की दिशा उत्तर से दक्षिण तथा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है यह परिवर्तन पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है।
थल और जल का समान रूप से गर्म होना :
- समुद्री समीर और थल समीर के कारण तापमान में परिवर्तन होता है।
- मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द के मौसम से हुई है जिसका अर्थ है रितु
- शीतकाल में पवन के प्रवाह की दिशा विपरीत होती है अर्थात स्थल से समुद्र की ओर।
- समुंद्र से आने वाली गाड़ी मानसून हवाएं जो अपने साथ जलवाष्प लाती है जिससे वर्षा होती है।
- उदाहरण राजस्थान के मरूस्थलों के असमान तापन से ग्रीष्म काल में दक्षिण पश्चिम दिशा से मानसून निर्मित होता है यह मानसूनी पवन अपने साथ हिंद महासागर से काफी जलवाष्प लेकर आती है।
प्राकृतिक आपदा
- तड़ित झंझा: तड़ित झंझा भारत जैसे गर्म आद्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अक्सर विकसित होते रहते हैं जब गिरती हुई जल की बूंदें और तीव्र वेग से ऊपर उड़ती हुई वायु की परस्पर क्रिया से बिजली क्रौंधती है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है इसी घटना को हम तड़ित झंझावट कहते हैं।
चक्रवात : वर्षा की बूंदों को पुणे द्रव में परिवर्तन होने पर उसमें से निकलने वाली उस्मा से आसपास की वायु गर्म हो जाती है इस प्रकार गर्म वायु उपर की ओर उठती है, जिससे वायुदाब कम हो जाता है फलस्वरुप तड़ित झंडा के केंद्र की और उच्च वर्ग की अधिक मात्रा में वायु गति करने लगती है इस चक्र की पुनरावृति अंत में बहुत ही निम्न दाब के एक ऐसे तंत्र का निर्माण करती है जिसके चारों ओर उच्च वर्ग की वायु अनेक कुंडलीत परतों के रूप में घूमती रहती है मौसम की इस स्थिति को चक्रवात कहते हैं।
अधिक वायु वेग और वायु दिशा चक्रवात के तापमान और आर्द्रता में विधि करने वाले कुछ कारक है
चक्रवात और द्वारा होने वाला विनाश : चक्रवात का फिर विनाशकारी हो सकते हैं। तेज पवन समुद्र के जल को तत्वों की ओर धकेल देती है भले ही चक्रवात तट से 0 किलोमीटर दूर हो यह चक्रवात के आगमन के पूर्व संकेत होते हैं चक्रवात के तट को पार करते समय होने वाली लगातार वर्षा बाढ़ की स्थिति को और भयानक बना देती है चक्रवात अपने साथ अति उजबेक की पवन लाते हैं जो घरों दूरभाष और अन्य संचार प्रणालियों वृक्ष आदि को क्षति पहुंचा सकती है जिससे जीवन और संपत्ति की अत्यधिक हानि होती है।
टॉरनेडो
टॉरनेडो गहरे रंग के कीपाकार बादल होते हैं, इसकी कीप जैसी संरचना आकाश से पृथ्वी तल की ओर आती हुई प्रतीत होती है अधिकांश टॉरनेडो कमजोर या निर्बल होते हैं परंतु कोई विनाशकारी टॉरनेडो लगभग 30km/h के वेग से गति कर सकता है। टोरनैडो चक्रवात ओं के भीतर भी बन सकते हैं।