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(जंतुओं और पादप में परिवहन) Class 7th Science Chapter 11 Notes in Hindi | Education Flare

(जंतुओं और पादप में परिवहन) Class 7th Science Chapter 11 Notes in Hindi | Education Flare,मनुष्य के शरीर में रक्त के परिवहन के लिए मुख्यतः दो प्रकार क

 Class 7th Science Chapter 11 Notes

'जंतुओं और पादप में परिवहन'

Class 7th Science Notes

नोट :

  • हृदय और रक्त वाहिनी संयुक्त रूप से हमारे शरीर का परिसंचरण तंत्र बनाती है।
  • परिसंचरण: तंत्र रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज विलियम हार्वे ने की थी।
  • रक्त: एक संयोजी तरल पदार्थ है जो वाहिनीओं में प्रवाहित होता है।
  • फेफड़ों से प्राप्त ऑक्सीजन को भी शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है।
  • रक्त शरीर से सभी अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए उनका परिवहन करता है।
  • रक्त एक तरल पदार्थ प्लाज्मा का बना होता है जिसमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं निलंबित होती है।

रक्त में पाई जाने वाली कोशिकाएं

  • लाल रक्त कोशिकाएं (RBCs) : लाल रक्त कोशिकाओं में हिमोग्लोबिन लाल वर्णक पाया जाता है जो अपने साथ ऑक्सीजन को संयुक्त करके उसका परिवहन सभी अंगों तक करता है।
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBCs) : श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर में बाहर से आए रोगाणुओं को नष्ट करती है।
  • प्लेटलेट्स : या चोट लगने पर रक्त का थक्का जमाने का कार्य करती है।

रक्त वाहिनियां : 

  • मनुष्य के शरीर में रक्त के परिवहन के लिए मुख्यतः दो प्रकार की वाहिनीया पाई जाती है- धमनी और शिरा
  1. धमनी (Artery): धमनियों की भित्तियां मोटी और प्रत्यास्थ होती हैं। हृदय से ऑक्सीजन समृद्ध रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती है।
  2. शिरा (Vein): शिराएं कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध रक्त को शरीर के विभिन्न भागों से वापस हृदय तक लाती है। इनकी भित्तियां अपेक्षाकृत पतली होती है शिराओं में ऐसे वाल्व होते हैं जो रक्त को केवल हृदय की ओर ही प्रवाहित होने देती है।
  • स्पंदन दर (Pulse rate): प्रति मिनट स्पंदो की संख्या स्पंदन दर कहलाती है। एक वयस्क व्यक्ति 1 मिनट में 72 से 80 स्पंदन करता है।
  • कोशिकाएं (Capillaries): धमनिया उत्तको में पहुंचकर अत्यधिक पतली नलिकाओं में विभाजित हो जाती है, जिन्हें कोशिकाएं कहते हैं। कोशिकाएं पुनः मिलकर शिराओं को बनाती है जो रक्त को हृदय में ले जाती है।
  • फुफ्फुस: फुफ्फुस धमनी कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध रक्त को फेफड़ों तक ले जाती है।
  • फुफ्फुस शिरा: फुफ्फुस शिरा कार्बन डाइऑक्साइड समृद्धि फेफड़ों से वापस हृदय में लाती है।

हृदय 

  • हृदय कार्डियक मांसपेशियों का बना वह अंग है जो रक्त द्वारा पदार्थों के परिवहन के लिए पंप के रूप में कार्य करता है यह निरंतर धड़कता रहता है इसमें शुद्ध अशुद्ध दोनों प्रकार का रक्त उपस्थित होता है। इसे अलग रखने के लिए हृदय 4 कक्षाओं में बटा होता है ऊपरी दो कक्ष अलिंद और निचले दो कक्ष से निलय कहलाते हैं।
हृदय स्पंदन (Heart beat):
  1. हृदय के कक्ष में भित्तियां पेशियों की बनी होती है यह पेशियां लयबद्ध रूप से संकुचन और विश्रांति करती है यह लयबद्ध संकुचन और उसके बाद होने वाली लयबद्ध विश्रांति दोनों मिलकर हृदय स्पंदन कहलाता है।
  2. हृदय स्पंदन को स्टेथोस्कोप द्वारा मापा जाता है।
  3. प्रत्येक हृदय स्पंदन धमनियों में एक स्पंद उत्पन्न करता है प्रति मिनट धमनी में उत्पन्न स्पंद ह्रदय स्पंदन दर को बताती है।
नोट: स्पंजी और हाइड्रा जैसे जंतुओं में कोई परिसंचरण तंत्र नहीं पाया जाता है जिस जल में वे रहते हैं वही उनके शरीर में प्रवेश करके उनके लिए भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है तथा अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है।

जंतुओं में उत्सर्जन : 

  • जब हमारी कोशिकाएं अपना कार्य करती है तो कुछ पदार्थ अवशिष्ट के रूप में निरमुक्त होते हैं। अधिकांशत यह विषाक्त होते हैं। इन अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के प्रकरण को उत्सर्जन कहते हैं। इस प्रकरण में भाग लेने वाले सभी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र बनाते हैं।

मानव उत्सर्जन तंत्र : 

  • मानव में रक्त को छानने के लिए दो वृक्क उपस्थित होते हैं जब रक्त इनमें जाता है तो उसके उपयोगी पदार्थों को रक्त में पुन: अवशोषित कर लिया जाता है तथा हानिकारक पदार्थ जल में घूलकर मूत्र के रूप में वृक्क से होकर मूत्र वाहिनियो से होता हुआ मूत्राशय में जाता है, जहां यह एकत्रित हो जाता है यहां से मूत्र शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
नोट: 
  • कोई वयस्क व्यक्ति सामान्यतः 24 घंटे में 1 से 1.8 लीटर तक मूत्र करता है। मूत्र में 95% जल, 2.5% यूरिया और 2.5% अन्य अपशिष्ट पदार्थ उपस्थित होते हैं।
  • गर्मियों में हमें पसीना आता है पसीने में जल और लवण होते हैं अनावश्यक जल एवं लवण पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है यह शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।

वृक्क :

वृक्क जब किसी कारण बस कार्य करना बंद कर देते हैं तो कृत्रिम वृक्क द्वारा रक्त का छनन किया जाता है, इस विधि को अपोहन (डायलिसिस) कहते हैं।

अन्य जंतुओं द्वारा अवशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन :

  • मछली जैसे जलीय जंतु अमोनिया के रूप में अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं।
  • पक्षी, छिपकली, सर्प जैसे कुछ जंतु अर्ध घन यूरिक अम्ल को उत्सर्जित करते हैं।
  • मानव द्वारा उत्सर्जित पदार्थ यूरिया है।

पादपों में पदार्थों का परिवहन :

  • पादप, मूल (जड़ों) द्वारा जल और खनिजों का अवशोषण करते हैं जड़ों में उपस्थित मूल रोम जल में घुले हुए खनिज पोषक पदार्थों को अवशोषित करते हैं और जल के अंत: ग्रहण के लिए मूल के सतह क्षेत्रफल को बढ़ा देता है।
  • पादपों में जल एवं पोषक तत्वों के परिवहन के लिए पाइप जैसी वाहिकाएं होती है जो संवहन उत्तक का निर्माण करती है।
  • जल और पोषक तत्वों के परिवहन के लिए पादकों में जाइलम (दारू) नामक संवहन उत्तक होता है।
  • पत्तियों में बने भोजन का संवहन फ्लोएम (पोशवाह) नामक संवहन उत्तक द्वारा होता है।

वाष्पोत्सर्जन : 

  • वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया के द्वारा पादपों में अनावश्यक जल का वाष्प के रूप में वातावरण में निष्कासित हो जाता है।
  • पत्तियों से जल के वाष्पन से चूशन अभिकर्षण (खिंचाव) विकसित होता है। विशाल वृक्षों में बहुत ऊंचाई तक जल का अभिकर्षण इसी प्रकार होता है।


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