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(पादप में जनन) Class 7th Science Chapter 12 Notes in Hindi | Education Flare

पादप में जनन Class 7th Science Chapter 12 Notes in Hindi. सभी जीव अपनी किस्म को बनाए रखने के लिए जनन या गुणन करते हैं। वंश को आगे बढ़ाने की क्रिया जनन

 Class 7th Science Chapter 12 Notes

Class 7th Science Chapter 12 notes

'पादप में जनन'

Class 7th Science Notes

  • सभी जीव अपनी किस्म को बनाए रखने के लिए जनन या गुणन करते हैं।
  • वंश को आगे बढ़ाने की क्रिया जनन कहलाती है।
  • अधिकांश पादपों में मूल, तना और पत्तियां होती है यह पादप के कायिका अंग कहलाते हैं।
  • पादप में जनन दो प्रकार से होता है - लैंगिक और अलैंगिक।
  • अलैंगिक जनन की कुछ विधियां खंडन, मुकुलन, बीजाणु निर्माण और कायिक प्रवर्धन हैं।
  • अलैंगिक जनन में पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं।
  • लैंगिक जनन में नए पादप बीजों से प्राप्त होते हैं।
  • लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मको का युग्मन होता है।
  • कायिक प्रवर्धन में पत्तियां, तना और मूल जैसे कायिक भागों से नए पादप उगाए जाते हैं।
  • पुष्प, पादप का जनन अंग है।
  • एक लिंगी पुष्प में या तो नर अथवा मादा जनन अंग होते है।
  • द्विलिंगी पुष्प में नर और मादा जनन अंग दोनों ही होते हैं।
  • नर युग्मक पराग कणों के अंदर और मादा युग्मक बीजांड में पाए जाते हैं।
  • शाखा के पर्वसंधि भाग को कर्तन या कलम कहते हैं।
  • किसी पुष्प के परागकोश से उसी पुष्प अथवा किसी अन्य पुष्प के वर्तिकार्ग तक परागकणों के स्थानांतरण का प्रक्रम परागण कहलाता है।
  • परागण दो प्रकार का होता है, स्व-परागण और पर-परागण। स्वपरागण में, परागकण परागकोश से उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं। पर-परागण में परागकण एक पुष्प के परागकोश से उसी प्रकार के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं।
  • परागण पवन, जल और कीटों के द्वारा हो सकता है।
  • नर और मादा युग्मको का युग्मन निषेचन कहलाता है।
  • निषेचित अंड युग्मनज कहलाता है। युग्मनज का विकास भ्रूण में होता है।
  • फल एक परिपक्व अंडाशय है, जबकि बीजांड बीज में विकसित होता है। बीज में विकासशील भ्रूण होता है।
  • बीजों का प्रकीर्णन पवन, जल अथवा जंतुओं के द्वारा होता है।
  • बीज प्रकीर्णन (i) एक ही स्थान पर पादप की अधिक संख्या की वृद्धि को रोकने, (ii) सूर्य के प्रकाश, जल और खनिजों के लिए स्पर्धा को कम करने और (iii) नए आवासों के अधिग्रहण में सहायक होता है।
कायिक कालिकाए: पुष्प कलिकाओं के अतिरिक्त पत्तियों के कक्ष में भी कलिकाएं होती है। ये कालिकाएं प्ररोहो (अंकुर) के रूप में विकसित होती है और कायिक कालिकाएं कहलाती है।

  • यीस्ट कोशिका से बाहर निकलने वाला प्रवर्ध मुकुल या कली कहलाता है।
  • पुंकेसर नर जनन अंग होते हैं। स्त्रीकेसर मादा जनन अंग होते हैं।
  • प्रागकोश में परागकण होते हैं, जो नर युग्मक को बनाते हैं।
  • नर तथा मादा युग्मकों के युग्मन (संयोग) द्वारा बनी कोशिका युग्मनज चलाते हैं।
  • युग्मनज बनाने के लिए नर और मादा युग्मको के युग्मन का प्रक्रम निषेचन कहलाता है।
  • प्रकृति में पादप के फलों और बीजों का प्रकीर्णन पवन, जल और जंतुओं द्वारा होता है।

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