'Class 7th Science Chapter 14 Notes'

'विद्युत धारा और इसके प्रभाव'
Class 7th Science Notes
- स्विच ऑन :- जब परिपथ पूरा होता है या परिपथ बंद की स्थिति में सारे परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है।
- स्विच ऑफ :- जब परिपथ में लगा स्विच ऑफ की स्थिति में होता है तो परिपथ अधूरा अथवा खुला रहता है, ऐसी स्थिति में परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है।
विद्युत धारा का तापीय प्रभाव :
- जब किसी तार ( नाइक्रोम का तार) से कोई विधुत धारा प्रवाहित होती है तो वह तप्त हो जाता है। इसे विधुत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं। किसी तार से उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण उस तार के पदार्थ लंबाई तथा मोटाई पर निर्भर करता है।
- उदाहरण :- विद्युत तापक (हीटर), विद्युत बल्ब, प्रेस, हेयर ड्रायर आदि ।
नोट :
- ताप दीप्त बल्ब प्रायः विद्युत का एक भाग ऊष्मा उत्पन्न करने में व्यय कर देतें हैं। इससे विद्युत की क्षति होती है। प्रतिदीप्त नालिकाये (फ्लोरोसेंट ट्यूब लाइट) तथा संहत प्रतिदीप्ति लैंप (CFLs) इनसे बेहतर दक्ष स्रोत हैं, परंतु आजकल प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) का प्रयोग तीव्रता से हो रहा है क्योंकि यह कम विद्युत उपयोग करता है, साथ ही साथ ट्यूबलाइट और CFL में पारे की वाष्प होती है जो कि विषैली होती है। खराब होने पर इनका निपटारा सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
विधुत फ्यूज़ :-
- विधुत फ्यूज़ एक सुरक्षा युक्ति है, इसमें विशेष प्रकार का तार लगा होता है। जब परिपथ में किसी दुर्घटनावश विद्युत धारा का प्रवाह अधिक हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में यह तार पिघलकर कर परिपथ को तोड़ देता है, जिससे विद्युत परिपथ की क्षति तथा संभावित आग के प्रति सुरक्षा मिलती है।
- आजकल फ्यूज़ के स्थान पर लघु परिपथ विच्छेदकों (MCBs) का उपयोग बढ़ता जा रहा है। जब किसी परिपथ में विद्युत धारा सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाती है, तो ये ऐसे स्विच होते हैं, जो स्वतः ही ऑफ हो जाते है।
विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव :
- हम जानते हैं कि चुंबकीय सुई एक लघु चुंबक होती है, जो उत्तर दक्षिण दिशा की ओर संकेत करती है। जब हम कोई चुंबक इसके - निकट लाते हैं, तो सुई विक्षेपित हो जाती है। हमने यह भी देखा कि जब चुंबकीय सुई के निकट रखे तार में विधुत धारा प्रवाहित होती है, तब भी सुई विक्षेपित होती है। " जब किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह चुंबक के भाँति है, इसे विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं। "
- इसे सबसे पहले हैंस क्रिश्चियन ऑस्टैंड ने देखा।
विद्युत चुंबक :-
- एक कील पर एक लचीला तार कुंडली के रूप में लपेटिए । तार के स्वतंत्र सिरों को किसी स्विच से होते हुए, सेल से जोड़ दीजिए। कुछ पिन कील के सिरे के निकट लाइए। अब स्विच 'ऑन' कीजिए । विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कुंडली चुंबक की भांति व्यवहार करती है और पिनों को अपनी और आकर्षित करती है। जब विद्युत धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है तो कुंडली का चुंबकत्व सामान्यतः नष्ट हो जाता है। इस प्रकार की कुंडली को विधुत चुंबक कहते हैं।
विधुत घंडी :
- विधुत चुम्बक की क्रियाविधि पर विधुत घंटी कार्य करती है।